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Monday, December 28, 2015

बीत गये दिन भजन बिना रे ।

बीत गये दिन भजन बिना रे ।
भजन बिना रे, भजन बिना रे ॥
बाल अवस्था खेल गवांयो ।
जब यौवन तब मान घना रे ॥
लाहे कारण मूल गवाँयो ।
अजहुं न गयी मन की तृष्णा रे ॥
कहत कबीर सुनो भई साधो ।
पार उतर गये संत जना रे ॥

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