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Monday, December 28, 2015

राम नाम रटते रहाे, जबतक घटमे प्रान ।

राम नाम रटते रहाे, जबतक घटमे प्रान ।
कबहु दिनदयालकी भनक पडेगी कान ।।
राम रटत दरिद्र भला, टुटि घरकी छान ।
वाे सुन्दर महल किसकामका , जाहा भक्ति नहि भगवान ।।
 अाया हे ताे जाऐंगे, राजा रङ्क फकिर।।
एक जन्जिर से बांधके, एक चढके पुष्पक बिमान ।। -सत् साहेब जी ।।


कबीर-सत्यनाम सुमरण बिन,
मिटे न मन का दाग..!
विकार मरे मत जानियो,
ज्यो भूभल में आग.!!!!

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