कबीर,हरि के नाम को ,
हीज भजो चाहे खीज ।
उल्टा सुल्टा ऊगे गा ,
जो खेत पड़ा बीज ।।
भावार्थँ - कबीर साहिब जी कहते है कि परमात्मा के नाम (मूलमँत्र) को चाहे रुचि से सुमिरन करो या अरुचि से उसका फल मिलता है जैसे खेत मे बीज को उल्टा सीधा यानी टेडा मेडा जैसा बोया जाता है वो ऊग जाता है ।
हीज भजो चाहे खीज ।
उल्टा सुल्टा ऊगे गा ,
जो खेत पड़ा बीज ।।
भावार्थँ - कबीर साहिब जी कहते है कि परमात्मा के नाम (मूलमँत्र) को चाहे रुचि से सुमिरन करो या अरुचि से उसका फल मिलता है जैसे खेत मे बीज को उल्टा सीधा यानी टेडा मेडा जैसा बोया जाता है वो ऊग जाता है ।
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