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Monday, January 11, 2016

दोस्तों आप सभी शिक्षित हो पढे लिखे हो प्लीज विचार करे।



इंसान भगवान् की भक्ति केवल सुख शान्ति कारोबार में उन्नति शारीरिक सुख बच्चों का सुख पत्नी का सुख माँ बाप का सुख भाई का सुख व् आने वाले समय में आने वाली परेशानियो से निजात पाने के लिए भक्ति करता है। हिन्दू समाज में हम पंडितो के मार्ग दर्शन अनुसार हम केवल भगवान् राम व् उसकी भक्ति को ही ज्यादा महत्व देते है।
दोस्तों भक्ति की सुरुवात करने से पहले हमें ये जांच लेना चाहिये की हम जिस को भगवान् मानकर पूज रहे है क्या वो वास्तव में भगवान् है और हमें वे सारे सुख दे सकता है जो हमें चाहिए।
1. जब रामचंद्र जी का राज्य सुख भोगने का समय आया तो उनको स्वयं को 14 वर्ष का वनवाश हो गया। गर्मी सर्दी सहनी पड़ी खाने को समय पर खाना नहीं मिलता था। रहने को टूटी हुई से झोपड़ी बनानी पड़ी जंगली जानवरो का सदा भय बना रहता था। आदि।
सोचे........
जब रामचंद्र जी स्वयं राज का सुख नहीं भोग सके तो आपजी को कहा से सुख दे सकते है।
2. वनवास में जाते वक़्त उनके माता पिता दशरथ जी व् कौशल्या जी उनको जाने के लिए मना कर रहे थे। लेकिन माता पिता की आज्ञा ना मानकर वे जबरन जंगल में चल दिए और पीछे से उनके पिता का निधन हो गया और माता जी लगभग पागल सी हो गई थी।
सोचे..........
रामचंद्र जी बचपन में 4 साल से लेकर 18 वर्ष तक टी महर्षि बाल्मीक के आश्रम में बाण विधा सिखने गए और वहीँ रहे। उसके उपरान्त घर आये तो 14 वर्ष का वनवाश हो गया। वनवास से वापस आये तो उससे पहले बाप की मौत हो चुकी थी व् माता आधी पागल हो चुकी थी। अर्थात जब रामचंद्र जी अपने माता पिता का सुख नहीं भोग सके तो उनकी भक्ति से हमें कैसे माँ बाप का सुख हो सकता है
3......... वनवास के दौरान सीता जी को रावण उठा ले गया अर्थात भगवान् की औरत को एक आदमी उठा ले गया (रावण केवल लंका देश जा एक राजा था और रामचंद्र जी भगवान् विष्णु के अवतार अर्थात स्वयं भगवान्) सीता 10 साल तक भूखी प्यासी रावण से नौ लखाबाग में रही उसके बाद युध्द करके सीता को अयोध्या लाये तो 1 साल बाद एक धोभी के कहने से गर्भवती सीता को जंगल में निकाल दिया और सीता आजीवन जंगल में ही रही।
सोचे.........
रामचंद्र जी स्वयं पत्नी का सुख नहीं भोग पाये तो उनकी भक्ति से हमें कैसे पत्नी सुख मिल सकता है।
4............ 14 वर्ष के वनवास के समय अपने 2 भाईओ भरत व् शत्रुधन से दूर रहे। और जंगल में ही सीता जी ने लव व् कुश नामक दो बच्चों को जन्म दिया जो आजीवन जंगल में ही उनसे दूर रहे कभी अयोध्या में नहीं आये।
सोचे........
रामचंद्र जी स्वयं अपने भाईओ व् पुत्रो का सुख नहीं भोग सके और ना उनको सुख दे सके हो हमें क्या दे सकते है
5......... लंका से सीता को लाते वक़्त राम को सीता के चरित्र पर शंका हुई और सीता को सबके सामने अग्नि परीक्षा देने को कहा । सीता ने अग्नि परीक्षा दी और पवित्र साबित हुई उसके बाद राम ने उसको अपनाया और फिर एक धोबी के कहने मात्र से घर से निकाल दिया।
सोचे......
रामचंद्र जी ने अग्नि परीक्षा लेने के बाद भी अपनी पत्नी पर विश्वास नहीं किया। वे 2 रुपए की पांच अगरबत्ती जलाने मात्र से आप और हम पर कैसे विश्वास कर लेंगे।
6......... सीता जी को रावण की कैद से छुड़वाने के लिए राम रावण युध्द में 18 करोड़ सेना का कत्ले आम हुवा था (इतिहास गवाह है) जिसमे सुग्रीव की वानर सेना व् जामवंत की भालू सेना से लेकर भील व् आदिवासी आदि शामिल थे।
सोचे.........
राम रावण युध्द कोई धार्मिक व् सीमाओ का युध्द नहीं था की जिसमे इतनी सेना मरवाई जाये। अगर भगवान् थे तो अपनी पत्नी को स्वयं छुड़वाकर लाते
जिस सीता को छुड़वाने के लिये 18 करोड़ औरतो को विधवा बना दिया दिया करोडो बच्चों को यतीम बना दिया अंत में उसी सीता को जंगल में धक्के खाने के लिए छोड़ दिया। अगर सीता को वापस जंगल में ही छोड़ना था तो क्यों 18 करोड़ सेना का नाश करवाया वो रावण की जेल में ही ठीक थी जहा समय पर खाना तो मिल रहा था।
7......... बाली और सुग्रीव दोनों भाइयो का आपस का सम्पति का विवाद चल रहा था रामचंद्र जी ने धोखे से पेड़ की औट लेकर बाली को बाण से मारा और सुग्रीव को राज गद्दी पर बैठाया। क्यों।
सोचे.......
बाली को एक वरदान मिला हुवा था यदि कोई आपके सामने होकर युध्द करेगा तो उसकी आधी शक्ति आपके अंदर आ जायेगी और आपको कभी जीत नहीं पायेगा। रामचंद्र को इस बात का डर था की मेरी आधी शक्ति बाली में जायेगी और मै हार जाऊंगा इस लिए धोखे से बाण मार।। बताये बाली भगवान् हुवा या रामचंद्र भगवान् हुवा।
सोचे.....
हम रामचंद्र जी को मर्यादा पुरषोतम कहते है । एक व्यक्ति को धोखे से पेड़ की औट लेकर मारना कहा की मर्यादा है।
सोचे......
सीता जैसी पवित्र औरत को एक धोबी के कहने से घर से निकालना कहा की मर्यादा है। क्या आज आप ऐसा कर सकते है।
भगवान् होकर एक औरत के लिए 18 करोड़ औरतो को विधवा बना दिया उनके बच्चों को यतीम बना दिया ये कहा की मर्यादा है।
सोचे.......
माता पिता के रो रो कर मना करने पर की बेटा वनवास में मत जाओ लेकिन उनकी एक ना सुनना ये कहा की मर्यादा है।
सोचे........ सीता के जिद्द कर लेने पर की मुझे ये मृग जिन्दा या मुर्दा लाकर दो। भगवान् होकर उस मासूम व् लाचार पशु को मारने के लिए निकल पड़ा ये कहा की मर्यादा है।
सोचे.......
रामचंद्र जी द्वारा अश्मेघ में छोड़े गए घोड़े को जब लव व् कुश ने पकड़ लिया तो पूरी अयोध्या की सेना लेकर उन माशूम बच्चों को मारने के लिए निकल पड़ना कहा की मर्यादा है।
सोचे.....
जब लव व् कुश ने रामचंद्र सहित पूरी सेना को युध्द में हरा दिया टी अपनी हार की शर्मींदगी से वापस अयोध्या ना क जाकर सरयू नदी में राम और लक्ष्मण कूद कर आत्म हत्या कर ली।
(इतिहास गवाह है )
सोचे......
आज ये पैसो के लालची नकली पंडित व् गुरु कह देते है रामचंद्र जी ने सरयू नदी में जीवित समाधि लेली और कथा का समापन कर देते है।
अरे पैसे के लालची मूर्खो उल्टी सीधी कथा कहानी सुनाकर लोगो को पागल बनाकर अपना पेट भरने वाले मूर्खो अगर जीवित समाधी लेना इतना आशान है तो आप भी लीजिये जीवित समाधी क्योंकि आप रामचंद्र के भक्त हो तो आपको भी उनका ही अनुसरण करना चाहिए और अंत में किसी नदी या गंगा जी में या जमीन में खडडा खोदकर रामचंद्र जी की तरह जीवित समाधी लेनी चाहिए तभी तो आपका मोक्ष होगा।क्योंकि आपके भगवान् का भी तो इसी तरह हुवा था।
दोस्तों पहले हमारे पूर्वज अशिक्षित थे और पढ़ने का ठेका केवल इन ब्राह्मणों ने ही ले रखा था। इन्होंने हमारे सद् ग्रंथो को जैसा आधा अधूरा समझा वैसा हमारे अनपढ़ पूर्वजो को सुना कर दान दक्षिणा लेकर अपना पेट पालते थे।
लेकिन अब इनकी पोल खुलने लगी है आज हर आदमी शिक्षित हो रहा है अपने सद् ग्रंथो की सच्चाई व् उनमे वास्तव में क्या ज्ञान छुपा है पढ़ व् समझ रहा है। अब शिक्षित समाज इनके पाखंड व् आडम्बरो में नहीं आने वाला है।
विशेष।
आज हम किस ख़ुशी में दीवाली मनाये। 😔😔😔😔😔😔😔
? क्या सीता ने कभी दीवाली मनाई
? क्या राम ने कभी दीवाली मनाई
? क्या उनके माता पिता ने कभी दीवाली मनाई
? क्या उनके खानदान में किसी ने दीवाली मनाई
😄😄😄😄😄😄😄😄😄
जरा सोचे क्या हम वास्तव में उस परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ रचना मानव है मानव वो है जिसमे मानवता हो दया प्रेम हो लेकिन आज के दिन।
हम हजारो के पटाखे फोड़ते समय आनंद का अनुभव करते है और किसी जरूरत मंद के मदद मांगने पर कहते है अभी हाथ टाइट चल रहा है
सारे नियम कायदे कानूनों को टाक में रखकर पर्यावरण की ऐसी की तैसी कर देंगे। और पर्यावरण दिवस पर हरे हरे पोधो के बैनर हाथ में लेकर सड़को पर लोगो को सन्देश देते फिरते है
आज लोगो के घर घर जाकर गले मिलते है प्यार प्रेम से रहने के वादे करते है। और अगले ही दिन सड़को पर जरा से साइड की बात को लेकर हाथा पाई करते है।
लक्ष्मी की फ़ोटो खरीद कर पूजा करते है धन सम्पदा के लिए। अगले ही दिन उस लक्ष्मी (25 रुपए) को बेच देते है ठेके वाले को दारु के एक पव्वे के लिए।
🙈आज का दिन पैसे वालो के लिए दीवाली और गरीब के लिए दिवाला है🙈

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