!! सर्व संगत से दास का हाथ जोड़कर निवेदन !!!
आपजी इस नकली होली को मनाना बंद कीजिए ! और असली होली पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब के सुमरण पर ध्यान दीजिए !
नकली होली मना रहे मूर्खो ! से इस दास की विनती !
हमे जैसा ज्ञात है कि ब्रह्मा भक्त हिरनाकस्यप की बहिन बिश्नु भक्त प्रहलाद को अग्नि मे जलाने हेतु भक्त प्रहलाद को लेकर चिता मे बैठ गई थी लेकिन प्रहलाद बच गया और होलिका जल गई मर गई !
अरे भाइओ इस कहानी को लेकर इतने खुशी हो रहे हो कि इस बात को भी भूल गये कि भक्त प्रहलाद ने भक्ति की थी तब उसकी जान बची !
लेकिन आप क्या कर रहे हो ??????
तीन देवता ब्रह्मा- विश्नू- शिव की भक्ति से कुछ राहत मिल सकती है लेकिन पूर्ण मोक्ष नही !
पूर्ण मोक्ष = जन्म-मरन से मुक्ति !
ब्रह्मा विश्नू शिव भी म्रत्यु के चक्र मे फसे हैं !और मूर्ख लोग इनकी भक्ति करके मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं !
आइए असली होली को जाने -------
सतनाम पाड़ले रंग होरी हो !
तीन लोक पासंग धरे रंग होरी हो !
चोदह भुवन चडावे राम रंग होरी हो !
तो ना तुले तुलाबे राम रंग होरी हो !
ओहं-सोहं सही राम रंग होरी हो !!
नकली होली रंगो से खेली जाती है !
और असली होली शब्दस्वरुपी राम के नाम के सुमरण से खेली जाती है !
जो सतनाम रूपी पूर्ण परमात्मा , पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब के नाम की होली खेली जाती है वह हम पूरे साल यानी 365 दिन खेलते हैं और खुशी मनाते हैं !
और नकली होली एक अज्ञानी लोग मनाते हैं !
जो हम सतनाम रूपी होली खेलते हैं वह तीन लोक तो पासंग मे ही लग जात है !
और चौदह भुवन भी उस की बराबरी नही कर पाता है !
जबकि तखरी हमारे ज्ञान की बनी होती है !
जो लोग पूर्ण परमात्मा को भूल कर अपनी मौज मस्ती मे लगे हुए हैं भविस्य मे 84 लाख योनियो मे चले जयेगे !
फिर ये नकली होली कैसे खेलोगे ???
सतनाम रूपी असली होली खेलो और 84 लाख योनियो से बचकर अपना पूर्ण मोक्ष करवाओ !
होली खेलने का तरिका ----
स्वास- स्वास पर नाम जपो,
विरथा स्वास मत खोय !
ना जाने इस स्वास का
आवन हो के न होय !!
कहता हू कह जात हू,
सुनता है सब कोय !
सुमरण से भला होयगा
नातर भला न होय !!
कहता हु कह जात हु
कहू बजा कर डोल !
स्वास जो खाली जात है
तीन लोक का मोल !!
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब के जो सतनाम, व सारनाम का सुमरण कर रहे हैं !
वह ज्ञानी पुरुष असली नाम की होली खेल रहे हैं !!
Pages
▼
Pages
▼
No comments:
Post a Comment