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Friday, March 4, 2016

चल देखो देश हमारा रे, जहाँ कोटि पदम उजियारा रे,

चल देखो देश हमारा रे, जहाँ कोटि पदम उजियारा रे,🏃
चल देखो देश हमारा रे, जहाँ सतशब्द झनकारा रे,🏃
चल देखो देश हमारा रे,जहाँ उजल भँवर गुंजारा रे,🏃
चल देखो देश हमारा रे, जहाँ चवंर सुहगंम डारा रे,🏃
चल देखो देश हमारा रे,जहाँ चन्द्र सूरज नहीं तारारे,🏃
चल देखो देश हमारा रे, नहीं धर अम्बर कैनारा रे🌎🏃
चल देखो देश हमारा रे,जहाँ अनन्त फूल गुलजारारे,🏃
चल देखो देश हमारा रे, जहाँ भाटी चवै कलारा रे,🏃
चल देखो देश हमारा रे, जहाँ धूमत है मतवारा रे🚁
रे मन कीजै दारमदारा रे तुझे ले छोडूं दरबारारे,🏃
फिर वापिस ना ही आवे रे सतगुरु सब नाँच मिटावै रे,🏃
चल अजब नगर विश्रामा रे, तुम छोड़ो देना बाना रे,🏃
चल देखो देश अमानी रे,जहाँकुछ पावक पानिरे🚣🏃
चल देखो देश अमानी रे, जहाँ झलकै बारा बानी रे,🏃
क्षर और अक्षर से परे त्यहा पुर्ण कबीर दरबारा रे,
चल परम अक्षर धाम चलाऊं रे, मैं अवगत पंथ लखाऊं रे,
कर मकरतार पियाना रे, क्यों शब्दै शब्द समानारे,🌞🌳
जहाँ झिलझिल दरिया नागर रे, जहाँ हंस रहे सुखसागर रे,
जहाँ अनहद नाद बजन्ता रे, जहाँ कुछ आदि नहीं अन्ता रे,💥🌿
जहाँ अजब हिरम्बर हीरा रे,त जहाँ हंस रहे सुख तीरा रे,🌲
जहाँ अजब हिरम्बर हीरा रे, जहाँ यम दण्ड नहीं दुख पीडा र 🏃
चल देखो देश अमानी रे मैं तो सतगुरु पर कुर्बानी रे,🏃
चल देखो देश बिलन्दा रे, जहाँ बसे कबीरा जिन्दा रे,🌳🏃
चल देखो देश अगाहा रे, जहाँ बसे कबीर जुलाहा रे🏤🏃
चल देखो देश अमोली रे, जहाँ बसे कबीरा कोली रे🏃
चल देखो देश अमाना रे, जहाँ बुने कबीरा ताना रे,🏇🏃
चल अवगत नगर निबासा रे, जहाँ नहीं मन माया का बासा रे🏃चल देखो देश अगाहा रे,जहाँ बसै कबीर जुलाहा रे.. —

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