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Saturday, March 5, 2016

संकट मोचन कष्ट हरण हो,

संकट मोचन कष्ट हरण हो,
मंगल करन कबीर,
के आ गए शरण तेरी........
पहले तो मोहे ज्ञान नहीं था,
प्रेम बना ना तेरे में,,
दीन जान कै माफ किजीयो,
खता हुई जिन मेरे मैं।
अनगिन अवगुण भरे मेरे मैं,
माफ करो तकसीर,
के आ गए शरण तेरी.....
संकट मोचन कष्ट हरण हो,
मंगल करन कबीर,
के आ गए शरण तेरी....
या गीदड वाली रात चौरासी,
आन गिरा हूँ झेरे में,,
ऊंची ऊंची लाई छलांगा,
यतन किए बहुतेरे मैं।
काम क्रोध अंहकार लोभ की,
मोटी लगी जंजीर,
के आ गए शरण तेरी.....
संकट मोचन कष्ट हरण हो,
मंगल करन कबीर,
के आ गए शरण तेरी.....
कर्म कुसंगत बहुत किए,
वो जाते है नहीं कहे,,
आ के आप संभालो दाता,
चौरासी में जान बहे।
जन्म मरण के कष्ट सहे,
अब मेटो जम की पीर,
के आ गए शरण तेरी....
संकट मोचन कष्ट हरण हो,
मंगल करन कबीर,
के आ गए शरण तेरी.......
गुप्त रुप में सब काम सारते,
जो भी विपदा आन पडै,,
एक दिन दर्शन देने होंगे,
दीनदयाल यूं नही सरै।
तुम बिन पापी नहीं तिरे,
मेरा अवगुण भरा शरीर,
के आ गए शरण तेरी.....
संकट मोचन कष्ट हरण हो,
मंगल करन कबीर,
के आ गए शरण तेरी.....
रज़ा तेरी से दादु नानक जी का,
सतलोक में वास हुआ,,
सौ सौ प्रश्न उत्तर किन्हें,
तब धर्मदास कै विश्वास हुआ।
भगत के कारण ख्वास हुआ,
जागी सुलतानी की तकदीर,
संकट मोचन कष्ट हरण हो,
मंगल करन कबीर,
के आ गए शरण तेरी.....
पाव चनो के लालच में,
या बंदर मूठ गई,,
मूठ खुलै ना जान बचै ना,
हे साहिब ये कोन भई।
रामपाल सतगुरु शरण लई,
खाई शब्द दूध की खीर,
के आ गए शरण तेरी.....
संकट मोचन कष्ट हरण हो,
मंगल करन कबीर,
के आ गए शरण तेरी.....
पाव चनो के लालच में,
या बंदर मूठ गई,,
मूठ खुलै ना जान बचै ना,
हे साहिब ये कोन भई।
रामपाल सतगुरु शरण लई,
खाई शब्द दूध की खीर,
के आ गए शरण तेरी।
संकट मोचन कष्ट हरण हो,
मंगल करन कबीर,
के आ गए शरण तेरी...
सत् साहेब..

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