प्रश्न: गीता का ज्ञान किसने दिया। प्रमाण सहित ज्ञान दें।
उत्तर:गीता का ज्ञान श्रीकृष्ण जी ने नहीं, बल्कि उनके शरीर में सूक्ष्म रूप से प्रेतवत् प्रवेश करके उनके पिता "काल रूपी ब्रम्ह" ने दिया। काल भगवान, जो इक्कीस ब्रह्मण्ड का प्रभु है, उसने प्रतिज्ञा की है कि मैं अपने व्यक्त रूप में (मानव सदृष्य अपने वास्तविक रूप में) सबके सामने कभी नहीं आऊँगा। (गीता 7.23) उसी ने सूक्ष्म शरीर बना कर प्रेत की तरह श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके पवित्र गीता जी का ज्ञान कहा।जिसे पूर्ण ब्रम्ह के पूर्ण संत के सिवा कोई नहीं जान सका।
प्रमाण:
विष्णु पुराण में दो जगह प्रकरण है कि काल भगवान महाविष्णु रूप में कहता है कि मैं किसी और के शरीर में प्रवेश कर के कार्य करूंगा।
1. श्री विष्णु पुराण (गीता प्रैस गोरखपुर से प्रकाशित), चतुर्थ अंश, अध्याय दूसरा, श्लोक 26 में पृष्ठ 233 पर विष्णु जी (महाविष्णु अर्थात् काल रूपी ब्रह्म) ने देव तथा राक्षसों के युद्ध के समय देवताओं की प्रार्थना स्वीकार करके कहा है कि मैं राजऋषि शशाद के पुत्र पुरन्ज्य के शरीर में अंश मात्र अर्थात् कुछ समय के लिए प्रवेश करके राक्षसों का नाश कर दूंगा।
2. श्री विष्णु पुराण (गीता प्रैस गोरखपुर से प्रकाशित) चतुर्थ अंश, अध्याय तीसरा, श्लोक 6 में पृष्ठ 242 पर श्री विष्ण जी ने गंधर्वाे व नागों के युद्ध में नागों का पक्ष लेते हुए कहा है कि “मैं (महाविष्णु अर्थात् काल रूपी ब्रह्म) मानधाता के पुत्र पुरूकुत्स में प्रविष्ट होकर उन सम्पूर्ण दुष्ट गंधर्वो का नाश कर दूंगा”।
3. श्रीकृष्ण जी काल नहीं थे। वे विष्णु जी के अवतार थे।अगर वे गीता ज्ञान बोलते तो अ.11.32 में यह नहीं कहते कि "मैं काल हूँ" और सबका नाश करने के लिए प्रकट हुआ हूँ। वे तो अर्जुन के समक्ष प्रकट हीं थे।और विष्णु जी का अंश थे जो काल नहीं हैं।इसका सीधा मतलब हुआ कि गीता का ज्ञान "काल ब्रम्ह" ने दिया श्रीकृष्ण जी ने नहीं।
4. तीनों देव ब्रम्हाजी,विष्णुजी एवं शिवजी की माता भगवती दुर्गा जी है। इसीलिए इन्हें अष्टांगी, प्रकृति, त्रिदेव जननी आदि नामों से भी जाना जाता है। इसलिए वे विष्णु जी के अवतार श्रीकृष्ण जी के भी माता हुए।अतः प्रकृति यानि दुर्गाजी श्रीकृष्णजी की पत्नी नहीं हो सकती।क्योंकि वे इनकी माता हैं। परंतु गीता 17.3-5 में गीता ज्ञान दाता ने प्रकृति यानी दुर्गा जी को अपनी पत्नी बताया हैं।जिससे पुनः स्पष्ट हो जाता है कि गीता का ज्ञान श्रीकृष्ण जी ने नहीं दिया।बल्कि उनके पिता काल ब्रम्ह ने दिया।
प्रमाण:
गीता 17.3-5 "इस लोक में जितने भी जीव हैं प्रकृति (दुर्गा) तो उनकी माता है और मैं (गीता ज्ञान वक्ता) उनकी योनि में वीर्य स्थापित करने वाला पिता हूँ"। इस श्लोक से प्रमाणित हो जाता है कि
a). श्रीकृष्णजी अर्थात् विष्णुजी जी की माता प्रकृति यानी दुर्गा जी है।
b) उनके पिता ब्रम्ह हैं। काल रूपी ब्रम्ह। जिन्हें महाविष्णु, महाब्रम्हा, महाशिव या सदाशिव के नाम से भी जाना जाता है।जो त्रिदेव यानी ब्रम्हा विष्णु, एवम् शिव के पिताजी हैं।
c). गीता का ज्ञान ब्रम्ह यानी कालरूपी ब्रम्ह ने दिया जो अ.17.3-5 में दुर्गा जी को अपनी पत्नी बता रहा है। अ. 8.13 में अपने को ब्रम्ह बता रहा जबकि अ. 11.32 में अपने की काल कहा है।
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सत साहेब
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न जाने कौन इंतज़ार कर रहा है!!!!!!....
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