चल देखो देश हमारा रे, जहाँ कोटि पदम उजियारा रे,
चल देखो देश हमारा रे, जहाँ सतशब्द झनकारा रे,
चल देखो देश हमारा रे,जहाँ उजल भँवर गुंजारा रे,
चल देखो देश हमारा रे, जहाँ चवंर सुहगंम डारा रे,
चल देखो देश हमारा रे,जहाँ चन्द्र सूरज नहीं तारारे,
चल देखो देश हमारा रे, नहीं धर अम्बर कैनारा रे
चल देखो देश हमारा रे,जहाँ अनन्त फूल गुलजारारे,
चल देखो देश हमारा रे, जहाँ भाटी चवै कलारा रे,
चल देखो देश हमारा रे, जहाँ धूमत है मतवारा रे
रे मन कीजै दारमदारा रे तुझे ले छोडूं दरबारारे,
फिर वापिस ना ही आवे रे सतगुरु सब नाँच मिटावै रे,
चल अजब नगर विश्रामा रे, तुम छोड़ो देना बाना रे,
चल देखो देश अमानी रे,जहाँकुछ पावक पानिरे
चल देखो देश अमानी रे, जहाँ झलकै बारा बानी रे,
क्षर और अक्षर से परे त्यहा पुर्ण कबीर दरबारा रे,
चल परम अक्षर धाम चलाऊं रे, मैं अवगत पंथ लखाऊं रे,
कर मकरतार पियाना रे, क्यों शब्दै शब्द समानारे,
जहाँ झिलझिल दरिया नागर रे, जहाँ हंस रहे सुखसागर रे,
जहाँ अनहद नाद बजन्ता रे, जहाँ कुछ आदि नहीं अन्ता रे,
जहाँ अजब हिरम्बर हीरा रे,त जहाँ हंस रहे सुख तीरा रे,
जहाँ अजब हिरम्बर हीरा रे, जहाँ यम दण्ड नहीं दुख पीडा र
चल देखो देश अमानी रे मैं तो सतगुरु पर कुर्बानी रे,
चल देखो देश बिलन्दा रे, जहाँ बसे कबीरा जिन्दा रे,
चल देखो देश अगाहा रे, जहाँ बसे कबीर जुलाहा रे
चल देखो देश अमोली रे, जहाँ बसे कबीरा कोली रे
चल देखो देश अमाना रे, जहाँ बुने कबीरा ताना रे,
चल अवगत नगर निबासा रे, जहाँ नहीं मन माया का बासा रे
चल देखो देश हमारा रे, जहाँ सतशब्द झनकारा रे,
चल देखो देश हमारा रे,जहाँ उजल भँवर गुंजारा रे,
चल देखो देश हमारा रे, जहाँ चवंर सुहगंम डारा रे,
चल देखो देश हमारा रे,जहाँ चन्द्र सूरज नहीं तारारे,
चल देखो देश हमारा रे, नहीं धर अम्बर कैनारा रे
चल देखो देश हमारा रे,जहाँ अनन्त फूल गुलजारारे,
चल देखो देश हमारा रे, जहाँ भाटी चवै कलारा रे,
चल देखो देश हमारा रे, जहाँ धूमत है मतवारा रे
रे मन कीजै दारमदारा रे तुझे ले छोडूं दरबारारे,
फिर वापिस ना ही आवे रे सतगुरु सब नाँच मिटावै रे,
चल अजब नगर विश्रामा रे, तुम छोड़ो देना बाना रे,
चल देखो देश अमानी रे,जहाँकुछ पावक पानिरे
चल देखो देश अमानी रे, जहाँ झलकै बारा बानी रे,
क्षर और अक्षर से परे त्यहा पुर्ण कबीर दरबारा रे,
चल परम अक्षर धाम चलाऊं रे, मैं अवगत पंथ लखाऊं रे,
कर मकरतार पियाना रे, क्यों शब्दै शब्द समानारे,
जहाँ झिलझिल दरिया नागर रे, जहाँ हंस रहे सुखसागर रे,
जहाँ अनहद नाद बजन्ता रे, जहाँ कुछ आदि नहीं अन्ता रे,
जहाँ अजब हिरम्बर हीरा रे,त जहाँ हंस रहे सुख तीरा रे,
जहाँ अजब हिरम्बर हीरा रे, जहाँ यम दण्ड नहीं दुख पीडा र
चल देखो देश अमानी रे मैं तो सतगुरु पर कुर्बानी रे,
चल देखो देश बिलन्दा रे, जहाँ बसे कबीरा जिन्दा रे,
चल देखो देश अगाहा रे, जहाँ बसे कबीर जुलाहा रे
चल देखो देश अमोली रे, जहाँ बसे कबीरा कोली रे
चल देखो देश अमाना रे, जहाँ बुने कबीरा ताना रे,
चल अवगत नगर निबासा रे, जहाँ नहीं मन माया का बासा रे
चल देखो देश अगाहा रे,जहाँ बसै कबीर जुलाहा रे..
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