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Saturday, May 28, 2016

आजा बन्दे शरण राम की फिर पिछे पछतावेगा ॥

आजा बन्दे शरण राम की फिर पिछे पछतावेगा ॥
बालू की भीत पवन का खम्भा कब लगखैर मनावेगा।
आ यम तेरे घट ने घेरे तू राम कहन न पावेगा ॥
काल बली तेरे सिर पे बैठा भूजा पकड़ ले जावेगा ।
मातपिता तेरा कुटूँबकबीला सारा ही खड़ा लखावेगा॥
धर्मराज तेरा लेखा लेगा वहाँ क्या बात बनावेगा ।
लालखम्भ से बाँधा जावे बिनसत्गुरू कौन छूटावेगा॥
दिया लिया तेरे संग चलेगा धरा ढँका रह जावेगा ।
कहे कबीर सुनो भाई साधु कर्म कि फल पावेगा॥

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