मन लागो मेरो यार फकीरी में॥
जो सुख पावो राम भजन में, सो सुख नाही अमीरी में ।
भला बुरा सब को सुन लीजै, कर गुजरान गरीबी में ॥
मन लागो मेरो यार फकीरी में ॥
प्रेम नगर में रहिनी हमारी, भलि बलि आई सबूरी में ।
हाथ में कूंडी, बगल में सोटा, चारो दिशा जगीरी में ॥
मन लागो मेरो यार फकीरी में ॥
आखिर यह तन ख़ाक मिलेगा, कहाँ फिरत मगरूरी में ।
कहत कबीर सुनो भाई साधो, साहिब मिलै सबूरी में ॥
मन लागो मेरो यार फकीरी में ॥
- कबीर साहेब
जो सुख पावो राम भजन में, सो सुख नाही अमीरी में ।
भला बुरा सब को सुन लीजै, कर गुजरान गरीबी में ॥
मन लागो मेरो यार फकीरी में ॥
प्रेम नगर में रहिनी हमारी, भलि बलि आई सबूरी में ।
हाथ में कूंडी, बगल में सोटा, चारो दिशा जगीरी में ॥
मन लागो मेरो यार फकीरी में ॥
आखिर यह तन ख़ाक मिलेगा, कहाँ फिरत मगरूरी में ।
कहत कबीर सुनो भाई साधो, साहिब मिलै सबूरी में ॥
मन लागो मेरो यार फकीरी में ॥
- कबीर साहेब
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