सत् साहेब जी.... भगतों से निवेदन है की परमात्मा का ये अनमोल ग्यान बच्चे बच्चे तक पहुंचाने में जी जान लगा दें..
अगर अभी हम चूक गये तो बाद में पश्चाताप के अलावा कुछ हाथ ना लगेगा ...
गुरू जी ने अपने द्वारा भेजे हुए लैटर में लिखा था कि - ‘आपजीके द्वारा प्रयास से जागी जनता को में देखुंगा तो मेरा सारा दुख दूर हो जायेगा' ... तो अपने गुरू जी की आग्या का पालन करना व परम पिता कबीर परमेश्वर जी ( संत रामपाल जी महाराज) के वचन -
“जिन बातों से गुरू दुख पावे, तिन बातों को दूर बहावे" |
को पालन करना हमारा परम कर्तव्य है....
अगर हर कोई भगत् दो या तीन(minimum) व्यक्तियों को परमात्मा से जोड़ने में व ग्यान उन तक पहुंचाने व नाम दान दिलाने में सफल हाे जाते हैं ताे जरा सोचिये कि हम खुद तो पुन्य कमायेंगे ही ..
लेकिन ग्यान सुनकर जागी जनता को देखकर गुरू जी कितना खुश होते हैं ,
वोे हमारी असली कमाई है ...
भक्तजनो वो दिन याद करिये जब गुरू जी ने घर - घर जाकर अपनी Junior Engineer जैसी अच्छी नौकरी को छोड़कर न सर्दी न गर्मी देखी , सतसंग किये और परमात्मा के तुच्छबुद्धी जीवों तक परमात्मा का अनमोल ग्यान पहुचाया और हमे काल के जाल से मुक्ति दिलवाने का रास्ता बताया...
अगर अभी हम चूक गये तो बाद में पश्चाताप के अलावा कुछ हाथ ना लगेगा ...
ये सेवा का अवसर तो महापुन्य कर्मियों को हि मिलता है .. इसे हाथ से ना जाने दें ... माया जितनी जोड़नी थी जोड़ ली जैसै एक पिता अपने पुत्र को पैसे देते वक्त ध्यान रखता है कि उसकी आवश्यकताओं की भी पूर्ति हो जाये व वह धन का गलत प्रयोग भी नहीं करे वैसै ही जितना परमातमा को उचित लगता है वो हमें देता है चाहे आप कितना ही जोर लगा लो...
बाकी गुरू जी ने कहा था कि किसी से जोर जबरदस्ती नहि करनी हमें अपनी ओर से संकेत कर देना है , न समझे तो उसी का दुर्भाग्य है...
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