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Sunday, September 11, 2016

ज्ञान गंगा पुस्तक पढ़ने के बाद आप इन जटिल प्रश्नो के जवाब भी जान पायेगे


इस अथाह ब्रह्माण्ड का रचयिता कौन है ?

क्या इसकी रचना विज्ञान के बिग-बैंग थ्योरी के आधार पर हुई है या इसको रचने वाला परमात्मा है ?

पूर्ण परमात्मा कौन है?  कहाँ रहता है?  कैसे मिलता है?

पूर्ण परमात्मा साकार है या निराकार?

मोक्ष क्या है, हमें मोक्ष की आवश्यकता क्यों पडती है?

जीव, ब्रह्म, माया क्या है ?

आत्मा और मन क्या है ?

आत्मा परमात्मा का अंश है फ़िर ये शैतान मन किसका अंश है ?

कहते है परमात्मा सुख का सागर है फ़िर भी सब जीव इतने दुखी क्यों है ?

परमात्मा ने आत्माऐं बनायी थी फ़िर आत्मा के ऊपर ये शरीर (जो कि दुख का मूल कारण है) किसने चढ़ा दिया तथा इस अमर आत्मा को पशु-पक्षी एवं कीडे-मकोडे के शरीर में क्यों डाल दिया  गया ?

हमको जन्म देने व मारने में किस प्रभु का स्वार्थ हैं ?

ब्रह्मा, विष्णु, महेश कौन है, इनके माता-पिता कौन है ? इनकी उत्पत्ति कैसे हुई ? और इनकी आयु कितनी है ?

गीता व पुराणों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु, महेश अजर-अमर नहीं हैं, क्यों ?

दुर्गा जी के पति का क्या नाम है ? द्वापर युग में दुर्गा जी ने द्रौपदी के रूप मे जन्म क्यो लिया ? दुर्गा जी ने ब्रह्मा जी को शाप एवं विष्णु जी को वरदान क्यों दिया ? ब्रह्मा जी की पूजा क्यो नही होती ?

शिव जी का एक जन्म परन्तु पार्वती जी के 108 जन्म ऐसा क्यों ? अमरनाथ की कथा का क्या रहस्य है ?
तीर्थ और धाम क्या है ?

प्रलय और महा-प्रलय में क्या अन्तर है ? तत्त्वज्ञान क्या है तथा तत्त्वज्ञान प्रदान करने वाले तत्त्वदर्शी संत (सतगुरु) की क्या पहचान है ?

वास्तव में गीता जी का ज्ञान किसने कहा था ? गीता का ज्ञान देने वाला प्रभु गीता अध्याय 18 के श्लोक 62 में अर्जुन को किस अन्य 'पूर्ण परमात्मा' की शरण में जाने को कह रहा है ? गीता अध्याय 11 श्लोक 32 में ये विराट रूप दिखाकर कहता है कि हे अर्जुन 'मैं काल हूँ'। ये काल कौन है ?

क्या आप जानते है जिसको हम आज तक भगवान मानकर पूजते आये है वो हमें खाने वाला काल है ?

हम सब आत्माऐं काल के जाल में कैसे फँसी ? महाभारत के युद्ध के बाद श्री कृष्ण जी गीताजी का ज्ञान क्यों भूल गये ?

गीता जी में तीनों देवताओं रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी तथा तमगुण शिव जी की पूजा करने वालों को मनुष्य में नीच एवं बुद्धिहीन क्यों कहा ?

गीता जी अध्याय 15 श्लोक 16 में वर्णित तीनों देवताओं से उपर 'क्षर ब्रह्म' तथा 'अक्षर ब्रह्म' कौन है तथा श्लोक 17 में इन दोनों से परे पूर्ण परमात्मा 'परम अक्षर ब्रह्म' कौन है ?

ईश, ईश्वर, परमेश्वर या ब्रह्म, परब्रह्म, पारब्रह्म में क्या भेद हैं ?

ॐ, तत्, सत क्या हैं ?
ॐ(ब्रह्म), तत्(परब्रह्म), सत(पारब्रह्म) इन सांकेतिक शब्दों का क्या अर्थ है ?

शास्त्रों के अनुसार साधना के लाभ व शास्त्रविरुद्ध साधना से हानि क्या है ?

हम सभी आत्माओं को 84 लाख योनियाँ क्यों भोगनी पडती है ?

क्या ब्रह्मा, विष्णु, महेश चौरासी लाख योनियों से मुक्त हैं ?

पूर्ण सन्त(सदगुरु) की क्या पहचान है? 

उसके क्या लक्षण है?

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9 comments:

  1. ये ज्ञान मानव मात्र के लिये बहुत जरुरी है ।

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  2. Sabhi ko is prashn ka answer Janna jaruri hai.

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  3. It is necessary to all to know about these questions and get knowledge about this .

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  4. मौत के उस पार क्या है, मुझे ये जानना हैं।

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