From 97191 53104
एक बार की बात है कबीर साहिब की कुटिया के पास एक वैश्या ने अपना कोठा बना लिया।
एक ओर तो कबीर साहिब जो दिन भर भगवान का नाम कीर्तन करते है और दूसरी और वो वैश्या जिसके घर में नाच गाना होता रहता है । एक दिन कबीर जी उस वैश्या के यहाँ गए और कहा की:-‘देख बहन ! तुमारे यहाँ बहुत खराब लोग आते है। तो आप और कहीं जाकर रह सकते हो क्या? संत की बात सुनकर वैश्या भड़क गयी और कहा की :- अरे फ़कीर तू मुझे यहाँ से भगाना चाहता है, कही जाना है तो तु जा कर रह, पर मैं यहाँ से कही जाने वाली नही हूँ। कबीर जी ने कहा:- ठीक है जैसी तेरी मर्जी। कबीर साहिब जी अपनी कुटिया में वापिस आ गए और फिर से अपने भजन कीर्तन में लग गये।
जब कबीर जी के कानो में उस वैश्या के घुघरू की झंकार और कोठे पर आये लोगो के गंदे – गंदे शब्द सुनाई पड़ते तो कबीर जी अपने भजन कीर्तन को और जोर जोर से तेज आवाज से करने लगे । तो बंधुओ ऐसा प्रभाव भजन का हुआ जो लोग वैश्या के कोठे पर आते जाते थे वो अब कबीर जी पास बैठकर सत्संग सुनते और कीर्तन करते।
वैश्या ने देखा की ये फ़कीर तो जादूगर है इसने मेरा सारा धंधा चोपट कर दिया। अब तो वे सब लोग उस फ़कीर के साथ ही भजनों की महफ़िल जमाये बैठे है। वैश्या ने क्रोधित हो कर अपने यारो से कहा की तुम इस फ़कीर जादूगर की कुटिया जला दो ताकि ये यहाँ से चला जाये।
वैश्या के आदेश पर उनके यारों ने संत कबीर जी की कुटियां में आग लगा दी , कुटिया को जलती देख संत कबीर साहिब बोले:- वाह ! मेरे मालिक अब तो तू भी यही चाहता है कि में ही यहाँ से चला जाऊं। प्रभु ! जब अब आपका आदेश है तो जाना ही पड़ेगा। संत कबीर जी जाने ही वाले थे भगवान से नही देखा गया अपने भक्त का अपमान। उसी समय भगवान ने ऐसी तूफानी सी हवा चलायी उस कबीर जी कि कुटिया कि आग तो बुझ गयी और उस आग ने वैश्या के कोटे को पकड़ ली। वैश्या के देखते ही देखते उनका कोठा जलने लगा। वो चीखती चिल्लाती हुए कबीर जी के पास आकर कहने लगी :-अरे कबीर जादूगर देख देख मेरा सुन्दर कोठा जल रहा है। मेरे सुंदर परदे जल रहे है। वे लहराते हुए झूमर टूट रहे है। अरे जादूगर तू कुछ करता क्यों नही ।
कबीर जी को जब अपने झोपडी कि फिकर नही थी तो किसी के कोठे से उनको क्या लेना देना । कबीर जी खड़े खड़े हंसने लगे। कबीर जी कि हंसी देख वैश्या क्रोधित हो कर बोली अरे देखो देखो यारों इस जादूगर ने मेरे कोठे में आग लगा दी अरे देख कबीर जिसमे तूने आग लगायी वो कोठा मेने अपना तन , मन , और अपनी इज्ज्त बेच कर बनाया और तूने मेरे जीवन भर की कमाई पूंजी को नष्ट कर दिया। कबीरजी मुस्कुरा कर बोले कि देख बहन ! तू फिर से गलती कर रही है और कहते है कि
वैश्या ने देखा की ये फ़कीर तो जादूगर है इसने मेरा सारा धंधा चोपट कर दिया। अब तो वे सब लोग उस फ़कीर के साथ ही भजनों की महफ़िल जमाये बैठे है। वैश्या ने क्रोधित हो कर अपने यारो से कहा की तुम इस फ़कीर जादूगर की कुटिया जला दो ताकि ये यहाँ से चला जाये।
वैश्या के आदेश पर उनके यारों ने संत कबीर जी की कुटियां में आग लगा दी , कुटिया को जलती देख संत कबीर साहिब बोले:- वाह ! मेरे मालिक अब तो तू भी यही चाहता है कि में ही यहाँ से चला जाऊं। प्रभु ! जब अब आपका आदेश है तो जाना ही पड़ेगा। संत कबीर जी जाने ही वाले थे भगवान से नही देखा गया अपने भक्त का अपमान। उसी समय भगवान ने ऐसी तूफानी सी हवा चलायी उस कबीर जी कि कुटिया कि आग तो बुझ गयी और उस आग ने वैश्या के कोटे को पकड़ ली। वैश्या के देखते ही देखते उनका कोठा जलने लगा। वो चीखती चिल्लाती हुए कबीर जी के पास आकर कहने लगी :-अरे कबीर जादूगर देख देख मेरा सुन्दर कोठा जल रहा है। मेरे सुंदर परदे जल रहे है। वे लहराते हुए झूमर टूट रहे है। अरे जादूगर तू कुछ करता क्यों नही ।
कबीर जी को जब अपने झोपडी कि फिकर नही थी तो किसी के कोठे से उनको क्या लेना देना । कबीर जी खड़े खड़े हंसने लगे। कबीर जी कि हंसी देख वैश्या क्रोधित हो कर बोली अरे देखो देखो यारों इस जादूगर ने मेरे कोठे में आग लगा दी अरे देख कबीर जिसमे तूने आग लगायी वो कोठा मेने अपना तन , मन , और अपनी इज्ज्त बेच कर बनाया और तूने मेरे जीवन भर की कमाई पूंजी को नष्ट कर दिया। कबीरजी मुस्कुरा कर बोले कि देख बहन ! तू फिर से गलती कर रही है और कहते है कि
“ना तूने आग लगाई ना मैंने आग लगाई
ये तो यारों ने अपनी यारी निभायी” !!
तेरे यारो ने तेरी यारी निभायी तो मेरा भी तो यार बैठा है। मेरा भी तो चाहने वाला है।जब तेरे यार तेरी वफ़ादारी कर सकते है
तो क्या मेरा यार तेरे यारों से कमजोर है क्या ?
“कुटिल वैश्या की कुटिलाई संत कबीर की कुटिया जलाई !
श्याम पिया के मन न भाई ।
तूफानी गति देय हवा की वैश्या के घर आग लगायी !
श्याम पिया ने प्रीत निभाई ।।”
वैश्या समझ गयी कि “मेरे यार खाख बराबर, कबीर के यार सिर ताज बराबर” उस वैश्या को बड़ी ग्लानि हुई कि मैं मंद बुद्धि एक हरी भक्त का अपमान कर बैठी भगवान मुझे क्षमा करे। तब से वैश्या ने सब गलत काम छोड़ दिए और भगवान के भजन में लग गई । भगवान बहुत सुन्दर लीला करते है और अपने भक्त का मान कभी घटने नही देते। इसलिए भगवान कहते है कि जहाँ मेरा भक्त पैर रखता है , उसके पैर रखने से पहले में हाथ रख देता हुं। मैं अपने भक्त का साथ कभी नही छोड़ता हुं हमेशा उसके साथ रहता हुं ।।
“भक्त हमारे पग धरे तहा धरूँ मैं हाथ !
सदा संग फिरू डोलू कभी ना छोडू साथ।”
श्याम पिया के मन न भाई ।
तूफानी गति देय हवा की वैश्या के घर आग लगायी !
श्याम पिया ने प्रीत निभाई ।।”
वैश्या समझ गयी कि “मेरे यार खाख बराबर, कबीर के यार सिर ताज बराबर” उस वैश्या को बड़ी ग्लानि हुई कि मैं मंद बुद्धि एक हरी भक्त का अपमान कर बैठी भगवान मुझे क्षमा करे। तब से वैश्या ने सब गलत काम छोड़ दिए और भगवान के भजन में लग गई । भगवान बहुत सुन्दर लीला करते है और अपने भक्त का मान कभी घटने नही देते। इसलिए भगवान कहते है कि जहाँ मेरा भक्त पैर रखता है , उसके पैर रखने से पहले में हाथ रख देता हुं। मैं अपने भक्त का साथ कभी नही छोड़ता हुं हमेशा उसके साथ रहता हुं ।।
“भक्त हमारे पग धरे तहा धरूँ मैं हाथ !
सदा संग फिरू डोलू कभी ना छोडू साथ।”
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