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Tuesday, October 25, 2016

कबिर साहेब

सत गुरुदेव जी कि जय हो।

जो सत्य का दर्शन कराये,
और झूठ को न कभी सराहे ।...वह कबीर है ।
जो फकीर सा जीवन बिताये,
और ताज को सर न झुकाये ।...वह कबीर है ।
जो आडम्बर को आग लगाये,
और भटकों को राह दिखाये ।...वह कबीर है ।
जो तलवार से भी भय न खाये,
और सब को खरी-खरी सुनाये।...वह कबीर है ।
जो शीश अपना कर में उठाये,
और मृत्यु को भी देख मुस्कराये।...वह कबीर है ।

जो मानुष-मानुष का भेद मिटाये,
और हर मानुष को एक बताये।...वह कबीर है ।
जो धर्मों की दीवार गिराये,
और राम रहीम को एक बताये ।...वह कबीर है ।
जो ज्ञान की गंगा बहाये,
और पाठ उल्टा न पढ़ाये ।...वह कबीर है ।
जो प्रेम का रस सर्वत्र बहाये,
और कमियाँ खुद में बताये ।...वह कबीर है ।
जो परमात्मा से परिचय कराये,
और जीव को मुक्ति दिलाये ।...वह कबीर है ।
जो जीवन का पारखी कहाये,
और इन्सान में भगवान दिखाये ।...वह कबीर है ।
जो हर मानुष की खुशियों खातिर,
खुद चिंता में कभी सो न पाये ।...वह कबीर है ।
जो जगत के सारे भरम मिटाये,
और माया-मोह से हमें बचाये ।...वह कबीर है ।
जो खुद शिक्षा तो कबहुँ न पाये,
पर दुनिया भर को पाठ पढ़ाये ।...वह कबीर है ।
जो अपने को अनपढ़ बतलाये,
पर परम तत्व का ज्ञानी कहलाये ।...वह कबीर है ।
जो धन दौलत न पास धराये,
और अपने को छोटा बतलाये ।...वह कबीर है ।
जो पहले सब को शीश झुकाये,
पर दुनिया का साहेब कहलाये ।...वह कबीर है ।
जो ध्यान में ही आनन्द पाये,
और संत शिरोमणि कहलाये ।...वह कबीर है ।

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