सोना सज्जन साधू जन , टूट जुड़े सौ बार |
दुर्जन कुम्भ कुम्हार के , एइके ढाका दरार ||
दुर्जन कुम्भ कुम्हार के , एइके ढाका दरार ||
अर्थ : सोने को अगर सौ बार भी तोड़ा जाए, तो भी उसे फिर जोड़ा जा सकता है। इसी तरह भले मनुष्य हर अवस्था में भले ही रहते हैं। इसके विपरीत बुरे या दुष्ट लोग कुम्हार के घड़े की तरह होते हैं जो एक बार टूटने पर दुबारा कभी नहीं जुड़ता।
प्रेम न बड़ी उपजी , प्रेम न हात बिकाय |
राजा प्रजा जोही रुचे , शीश दी ले जाय ||
राजा प्रजा जोही रुचे , शीश दी ले जाय ||
कामी क्रोधी लालची , इनसे भक्ति ना होए |
भक्ति करे कोई सूरमा , जाती वरण कुल खोय ||
भक्ति करे कोई सूरमा , जाती वरण कुल खोय ||
उज्जवल पहरे कापड़ा , पान सुपारी खाय |
एक हरी के नाम बिन , बंधा यमपुर जाय ||
एक हरी के नाम बिन , बंधा यमपुर जाय ||
जा पल दरसन साधू का , ता पल की बलिहारी |
राम नाम रसना बसे , लीजै जनम सुधारी ||
राम नाम रसना बसे , लीजै जनम सुधारी ||
जो तू चाहे मुक्ति को , छोड़ दे सबकी आस |
मुक्त ही जैसा हो रहे , सब कुछ तेरे पास ||
मुक्त ही जैसा हो रहे , सब कुछ तेरे पास ||
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