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Monday, April 17, 2017

मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके II टेक II

मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके II टेक II
कोई देखो सत्संग करके,कोई देखो सत्संग करके

सत्संग किया था बजरंगी ने, मुनीन्द्र जी के संग में |
कह मुनीन्द्र सुनो हनुमाना, तुम उलझे झूठे रंग में |
ये तीस करोड़ राम हो जा लिए, जीत-जीत के जंग ने |
देख्या सतलोक नजारा था, विधि पूछी चरण पकड़ के......
मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके .......कोई देखो सत्संग करके......

योगजीत के सत्संग में, एक दिन आ गए कागभुसंडा |
ऐसा सत्संग नहीं सुना, मैं फिर लिया नोऊ खंडा |
उपदेश लिया फिर सुमिरन कीन्हा, तब मिटा काल का दंडा |
वो करे आधीनी बंदगी, सतगुरु चरणा के माह पड़के......सतगुरु चरणा के माह पड़के...
मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके.............कोई देखो सत्संग करके....

सत्संग किया था सतगुरु जी से, पक्षी राज गरुड़ ने |
कह सतसुकृत के स्वाद बतावे, गूंगा खाके गुड़ ने |
अकड़ घनी थी ज्ञान की, फिर लागी गर्दन मुड़ने |
निर्गुण उपदेश लिया सतगुरु से, तब सुरत अगम को सरके......
मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके 2 ................

साहेब कबीर ने नानक जी से, कही अगम की वाणी |
कह नानक मैं तो वाको मानु, जाकि जोत स्वरुप निशानी |
देखी सतलोक की चांदनी, वा ज्योति फिकी जानी |
वाहे गुरु सतनाम कहा, उन्हें घनी उमंग में भरके......
मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके ...........

साहेब कबीर के सत्संग में, एक दिन आ गए गोरखनाथा |
वो सिद्धि बल से बोलता, सतगुरु कहं ज्ञान की बाता |
जब पूर्ण सिद्धि दिखलाई, तब नाथ जी रगड़ा माथा |
गोरख ने भेद शब्द का पाया, सतगुरु चरणा बीच पसर के......
मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके ................

ब्रह्मा विष्णु महेश ने, किया सत्संग गरुड़ के साथा |
तीनों देवा नु कहन लगे, हम सर्व लोक विधाता |
गरुड़ कह ये बालक मर गया, इसे जीवा दो दाता |
नहीं जीया तब नु बोले, ये तो हाथ परम ईश्वर के......ये तो हाथ परम ईश्वर के
मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके .............कोई देखो सत्संग करके

सत्संग होया था सम्मन के घर, ऐसी हुई सतगुरु मेहमानी |
अन्न नहीं था प्रसाद को, फिर चोरी करन की ठानी |
सतगुरु सेवा कारने, खुद ली लड़के की प्राणी |
भक्त वो पाला जीत गए, जो होए आसरे सतगुरु के......जो होए आसरे सतगुरु के
मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके ......कोई देखो सत्संग करके

मान गुमान छोड़ मेरे मनवा, तत्वभेद तब दरसे |
प्रेम भाव सतगुरु में हो जा, तब सहज ही अमृत बरसे |
सार शब्द पाए बिना, सतलोक जान ने तरसे |
रामपाल जी ने मुक्ति पाली, हरदम सतगुरु नाम सुमर के...... हरदम सतगुरु नाम सुमर के
मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके ........... कोई देखो सत्संग करके


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