मुक्ति का मार्ग और है,कोई देखो सत्संग करके II टेक II
सत्संग किया था बजरंगी ने, मुनीन्द्र जी के संग में |
कह मुनीन्द्र सुनो हनुमाना, तुम उलझे झूठे रंग में |
ये तीस करोड़ राम हो जा लिए, जीत-जीत के जंग ने |
देख्या सतलोक नजारा था, विधि पूछी चरण पकड़ के......
मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके |
सत्संग किया था बजरंगी ने, मुनीन्द्र जी के संग में |
कह मुनीन्द्र सुनो हनुमाना, तुम उलझे झूठे रंग में |
ये तीस करोड़ राम हो जा लिए, जीत-जीत के जंग ने |
देख्या सतलोक नजारा था, विधि पूछी चरण पकड़ के......
मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके |
योगजीत के सत्संग में, एक दिन आ गए कागभुसंडा |
ऐसा सत्संग नहीं सुना, मैं फिर लिया नोऊ खंडा |
उपदेश लिया फिर सुमिरन कीन्हा, तब मिटा काल का दंडा |
वो करे आधीनी बंदगी, सतगुरु चरणा के माह पड़के......
मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके |
ऐसा सत्संग नहीं सुना, मैं फिर लिया नोऊ खंडा |
उपदेश लिया फिर सुमिरन कीन्हा, तब मिटा काल का दंडा |
वो करे आधीनी बंदगी, सतगुरु चरणा के माह पड़के......
मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके |
सत्संग किया था सतगुरु जी से, पक्षी राज गरुड़ ने |
कह सतसुकृत के स्वाद बतावे, गूंगा खाके गुड़ ने |
अकड़ घनी थी ज्ञान की, फिर लागी गर्दन मुड़ने |
निर्गुण उपदेश लिया सतगुरु से, तब सुरत अगम को सरके......
मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके |
कह सतसुकृत के स्वाद बतावे, गूंगा खाके गुड़ ने |
अकड़ घनी थी ज्ञान की, फिर लागी गर्दन मुड़ने |
निर्गुण उपदेश लिया सतगुरु से, तब सुरत अगम को सरके......
मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके |
साहेब कबीर ने नानक जी से, कही अगम की वाणी |
कह नानक मैं तो वाको मानु, जाकि जोत स्वरुप निशानी |
देखी सतलोक की चांदनी, वा ज्योति फिकी जानी |
वाहे गुरु सतनाम कहा, उन्हें घनी उमंग में भरके......
मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके |
कह नानक मैं तो वाको मानु, जाकि जोत स्वरुप निशानी |
देखी सतलोक की चांदनी, वा ज्योति फिकी जानी |
वाहे गुरु सतनाम कहा, उन्हें घनी उमंग में भरके......
मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके |
साहेब कबीर के सत्संग में, एक दिन आ गए गोरखनाथा |
वो सिद्धि बल से बोलता, सतगुरु कहं ज्ञान की बाता |
जब पूर्ण सिद्धि दिखलाई, तब नाथ जी रगड़ा माथा |
गोरख ने भेद शब्द का पाया, सतगुरु चरणा बीच पसर के......
मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके |
वो सिद्धि बल से बोलता, सतगुरु कहं ज्ञान की बाता |
जब पूर्ण सिद्धि दिखलाई, तब नाथ जी रगड़ा माथा |
गोरख ने भेद शब्द का पाया, सतगुरु चरणा बीच पसर के......
मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके |
ब्रह्मा विष्णु महेश ने, किया सत्संग गरुड़ के साथा |
तीनों देवा नु कहन लगे, हम सर्व लोक विधाता |
गरुड़ कह ये बालक मर गया, इसे जीवा दो दाता |
नहीं जीया तब नु बोले, ये तो हाथ परम ईश्वर के......
मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके |
तीनों देवा नु कहन लगे, हम सर्व लोक विधाता |
गरुड़ कह ये बालक मर गया, इसे जीवा दो दाता |
नहीं जीया तब नु बोले, ये तो हाथ परम ईश्वर के......
मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके |
सत्संग होया था सम्मन के घर, ऐसी हुई सतगुरु मेहमानी |
अन्न नहीं था प्रसाद को, फिर चोरी करन की ठानी |
सतगुरु सेवा कारने, खुद ली लड़के की प्राणी |
भक्त वो पाला जीत गए, जो होए आसरे सतगुरु के......
मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके |
अन्न नहीं था प्रसाद को, फिर चोरी करन की ठानी |
सतगुरु सेवा कारने, खुद ली लड़के की प्राणी |
भक्त वो पाला जीत गए, जो होए आसरे सतगुरु के......
मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके |
मान गुमान छोड़ मेरे मनवा, तत्वभेद तब दरसे |
प्रेम भाव सतगुरु में हो जा, तब सहज ही अमृत बरसे |
सार शब्द पाए बिना, सतलोक जान ने तरसे |
रामपाल जी ने मुक्ति पाली, हरदम सतगुरु नाम सुमर के......
मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके |
प्रेम भाव सतगुरु में हो जा, तब सहज ही अमृत बरसे |
सार शब्द पाए बिना, सतलोक जान ने तरसे |
रामपाल जी ने मुक्ति पाली, हरदम सतगुरु नाम सुमर के......
मुक्ति का मार्ग और है, कोई देखो सत्संग करके |
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