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Tuesday, October 25, 2016

"चूक तो हमसे भी हुयी है जी "

"चूक तो हमसे भी हुयी है जी "

"मेरे गुरु ने हिंसा के लिए कभी न
ही कहा "  
अगर किसी सतसंग में कहा हो तो बताइये ?
में अपनी गलती सुधार  लू ....


 परमेश्वर ने सबकुछ अपने उप्र ले लिया इसका मतलब ये नही है हमारी   कोई गलती ही नही थी ?हमे आत्म निरक्षण करना पड़ेगा , अपनी गलतियों को परमात्मा की लीला कहकर छुपाना सही नही है ! मेरे गुरु ने हिंसा के लिए कभी नही कहा अगर किसी सतसंग में कहा हो तो बताइये ?में अपनी गलती सुधार  लू ....परमेश्वर के लिए हमारा मर-मिटना तो सही था लेकिन .........? कुछ भगतो की बचकाना हर्कतो के कारण आज मेरे परमेश्वर जेल में है और लाखो साध -संगत कठिन परिस्थितियों में है , बिना किसी कसूर के हजारो आत्माओ को पीड़ा सहन की है, पुलिस के जुल्म सहे  है, जिनका विवरण लेखनी से नही हो सकता ! खैर ....   इसे हमे स्वीकारना पड़ेगा ! अब उन आत्माओ की जरूरत है जो इस कठिन घड़ी में नेतृत्व कर सके ,जिन्हे सगठन चलाने का तजर्बा हो ,परन्तु अब भी कमांड बच्चो के हाथ में है जिनको संगठन चलाने की ABCD  तक नही आती और संगत के कंधो पर धरकर बंदूक चला रहे हैं गोली  चाहे कहि भी लगे........... 

"कुशल नेतृत्व की जरूरत पड़ेगी,"         "लुक-छिपकर कुछ नही हो पायेगा"
में  फिर  कहना  चाहता  हु , ये लड़ाई ज्योत निरंजन के साथ है जी  इसलिए हमे इसे हल्के में नही लेना चाहिए ! जेल में हुयी बर -बरता के   खिलाफ , हमारे साथियो पर  हुए जुल्मो के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए कुशल नेतृत्व की जरूरत पड़ेगी, संगठन की जरूरत पड़ेगी ! लेकिन अभी तो कुछ ऐसा होता दिखाई नही दे रहा पत्र वगैरा तो पहले भी काफी लिखे जा चुके है जिनका रजल्ट पॉजिटिव नही रहा ! व्ही सब अब किया जा रहा है जिसका रजल्ट भी नेगेटिव ही रहेगा ! पता नही क्यों इस और नही सोचा जा रहा की कुशल नेतृत्व के बिना हम ये लड़ाई नही लड़ पायेगे लुक-छिपकर कुछ नही हो पायेगा, अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने का ये तरीका बिलकुल नही है ! इसलिए सिस्टम बनाना पड़ेगा ......."खुलकर सामने आना पड़ेगा "हमे इन आठ सो भगतो के बारे  में भी सोचना पड़ेगा जो अभी जेल से बहार आ रहे हैं ! इनको भी साथ लेकर चलना पड़ेगा , इनके परिवारो को हुयी परेशानी में हमे भी सह-भागी होना पड़ेगा , परमेश्वर तुल्य गुरुदेव के साथ जेल में  डेड सो के करीब भगतो और उनके  परिवारो को साथ लेकर चलना पड़ेगा , उनके कठिन समय में उनको होंसला देना होगा और उन्हें लगना चाहिए की परमेश्वर का बच्चा बच्चा उनके साथ है जी ! हम परमेश्वर के बच्चे है परमेश्वर ने हमे यही शिक्षा दी है की काल के लोक में इनके कानूनो का पालन करते हुए इसी के हथियार से शांतिपूर्वक आंदोलन करते हुए हमे संघर्स करना है जी 
{Date:17-04-2015}

"परमानेंट भग्तजन इस और ध्यान दे '
हिसार  में एक सुचना कार्यालय बनाया जाये जहां से दूर-दूर से भगतो की जमानत करवाने आने वालो को सही गाइड किया जा सके हैल्प  नंबर भी जारी  किये जाए ताकि भगतो को नई जानकारी मिल सके आर्थिक सेवा की सुचना तो सभी भगतो के पास मिंटो में पहुंच जाती है पर केश और तारीख की सुचना मांगने पर भी नही मिलती ! भगतो को जेल से छूटने में जो मैन दो प्रॉब्लम हिसार का जमानती और एक लाख का मुचलका आगे की अपील की क्या तारीख है ? कब तक छूट जाएंगे ? सैंकड़ो फोन प्रतिदिन मुझे मिल रहे हैं क्यूंकि मैंने अपना फोन नंबर सभी एवलेवल करवाया है पर जवाब देने में तकलीफ हो रही है क्यूंकि सुचना का कोई सोर्स नही है वकील भी सही ढ़ंग से जवाब नही देते क्या करें इसलिए "परमानेंट भग्तजन इस और ध्यान दे ' सेवा का सदुपयोग कीजिये........................

मित्रो  कॉमेंट करके इन  सुझावों को गति दें .......
सभी को सतसाहेब
अब  मेरी  उन  भगत जनो से प्रार्थना है जो अपने-आप को परमानेंट बोलते हैं निज स्वार्थ को छोड़  कर बंदी भगत जनो के रिश्तेदारों को गाइड करे क्यूंकि ये लोग अख़बार पढ़कर न्यूज सुनकर हिसार में धक्के खा  रहे  हैं क्या हम भगतो का फर्ज नही बनता इनकी सेवा करने का ? इनके भोजन और ठहरने की व्यवस्था करने का ? इन को    धर्य-धीरज    और हिम्मत देने का ? जिन्होंने अपने नौजवान लालों के बिना , ये समय  कष्टों और ताने  सुन-सुनकर  काटा है ?  हिम्मत कीजिये अगर सेवा को खर्च कर सकते हैं तो यहां  कीजिये जी ! ना की   अपने रहन-बसेरे पर ..........   जय बंदी  छोड़  की    

"ये सब मैंने पांच  नवंबर 14.को चंडीगढ़ से आने के बाद लिखा था जी " 
मुझे कल रैली स्थल का जो वातावरण दिखाई दिया उसको देखकर ये कहने में बिलकुल संकोच नही है -कल इस आंदोलन का नेतृत्व बच्चो के हाथो में था ,जिनको केवल वीडियो रील बनाने और फोटो उतारने से फुर्सत नही थी ! साउंड का प्रबंध नही था- जो अत्यंत जरूरी होता है नेतृत्व के प्रोग्राम को संगठन के सदस्यों के पास पहुँचाने का ! आंदोलन की रूप-रेखा बनाई जाती है फिर उसको नेतृत्व द्वारा संगठन के पर्त्येक सदस्य के पास पहुँचाना अनिवार्य होता है पर ऐसा बिलकुल नही किया गया ! अनुशासन नही था ! माइक स्पीकर से बोला जा रहा था , पर आगे खड़े ब्लेक कमांडो के शोर-सराबे के कारण किसी को कुछ सुनाई नही दे रहा था ! हमारे सर पर पूर्ण परमेश्वर का हाथ है हम पर ,वरना ...................................
ये आंदोलन बहुत बड़ा आंदोलन है इसको बच्चों का खेल बिलकुल ना समझा जाए ! हमारी लड़ाई भगवान ज्योतनिरंजन के प्रशिक्षित सैनको से है जो साजिश रचने में माहिर हैं ! जिनका नेतृत्व कुशल राक्षसों के हाथो में है ! जिनको किसी भी आंदोलन को दबाने की विशेस ट्रेनिंग दी गयी है !इनका मुकाबला करने के लिए हमे भी काफी होश्यारी के साथ तजुर्बे कार आत्माओ के हाथो में अपना नेतृत्व सौंपना पड़ेगा ! जो इनकी पर्त्येक चाल को काटने का तजुर्बा रखता हो , जो पहले के जीवन में किसी न किसी संगठन से जुड़ा रहा हो , जो ऑर्गेनाइजेशन में महारथ रखता हो ! जो अपने जीवन को परमेश्वर को समर्पित कर चूका हो , जिसको जेल जाने ,लाठियां खाने से डर नही लगता हो ! जो ऐसा जोशीला हो संगठन के पर्त्येक सदस्य में जोश भर दे ! जो जोश के साथ होश भी रखे ! आल टाइमर संगठन को समर्पित हो ! जो अपने जैसे ही जुझारू सदस्यों की पहचान करने में एक्सपर्ट हो अच्छा वक्ता हो ! जो स्टेट लेबल पर ,जिला स्तर पर ,ब्लॉक सत्र पर और गावं स्तर पर अपने जैसे वर्करों को खोजने की हिम्मत रखता हो ! और संगठन के पर्त्येक सदस्य को अपने जैसा बनाने में अपनी जान लगा दे ! एक-एक क्षण को अपने मकसद को हासिल करने में लगा दे ! तभी हम कामयाबी हासिल कर सकेंगे इस आंदोलन की तभी कामयाबी होगी ! गुरु जी हम तुच्छ प्राणियों के लिए इतने कष्ट सहन कर रहे हैं तो हमे भी अंतजुर्बेकार बच्चो की जगह तजुर्बेकार व्यक्तियों को इस आंदोलन की कमांड सौंप देनी चाहिए !! मेरे गुरु जी तो शेर हैं जिनकी छत्रछाया में "राष्ट्रिय समाज सेवा समिति" कार्य कर रही है ! पर हम ?
मेरे सतगुरू के दरबार मे कमी काहे की नाहि,
हंसा मोज नहीं पावता तैरी चूक चाकरी माहे । 

सत् साहेब जी
*अपने नाम के आगे भगत या दाश तो कोई भी लिख लेगा .... लेकिन लिखने से कुछ नही होगा उसमे श्रेष्टता नजर आणि चाहिए ! वो अन्य लोगों से उत्तम दिखणा चाहिए ! उसके स्वभाव में ,उसके कर्म में , उसके व्यवहार में , उसके रहन-सहन और बर्ताव में और लोगों से फर्क दिखाई देना चाहिए ! भगवान ज्योत निरंजन के राज में गलतियाँ होना लाजमी है लेकिन स्वीकार करना बहूत बड़ी बात है ! और की हुई गलती का अहसास होने के बाद प्रायश्चित करना और दोबारा ऐसा न होने देना उस से भी बड़ी बात है जी ! लेकिन ऐसा कोई बिरला ही कर पाता है जी !!
*डी के अंदर जो भगत थे उनको भी घमंड हो गया था सीधे मुँहू से किसी बात तक नही करते थे मैंने गुरु जी के दर्शन के लिए लगी लाइन में से पुराने भगतो को सेवादारो द्वारा धक्के देकर निकालते हुए देखा है इस बात पर कई सेवादारो के साथ मेरी झड़प भी हुयी कारण छोटे छोटे भगतो को उम्र का भी लिहाज नही था जी ...................

**मुझे बड़े  दुःख    के साथ कहना    पड़   रहा   है   की नेतृत्व  सही  न  होने  के कारण  सब   तहस  -नहस   हो   गया   जी और भगतो      की सारी गलतियों  जगतगुरु  रामपाल  जी ने  अपने ऊपर ले  लिया ! आज तक किसी भी सतसंग में गुरु जी ने कानून तोड़ने, किसी पर आक्रमण करने, हथियार उठाने के लिए नही कहा जी  गुरु जी तो बार-बार एक कहानी सुनाया करते कि :एक व्यक्ति का थानेदार मित्र था उस व्यक्ति ने थानेदार मित्र को बताया कि "मेरा पड़ोसी शराब पीकर मुझे प्रतिदिन गाली देता है"  थानेदार ने -कहा मार साले को सर में  लठ ! उस व्यक्ति ने ऐसा ही किया और गलती से वह पड़ोसी मर गया ! वही थानेदार पड़ोसी कि हत्या के जुर्म में अपने मित्र को हथकड़ी लगाकर पकड़ कर लेग्या इसलिए किसी कहने पर कानून नही तोडना चाहिए 



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