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Sunday, April 16, 2017
Thursday, September 29, 2016
बुद्धिमानो के लिए सन्देश
बुद्धिमानो के लिए
1 सतोगुण प्रधान विष्णु जी के अवतार श्री कृष्ण जी का जन्म जेल में ही हुआ और पूरी उम्र उनकी युद्ध जितने में ही निकल गयी। महाभारत जैसा युद्ध जिसमे करोड़ों लोग मारे गए जिसमे उनके पक्ष की भी बहुत सी नेक आत्माएं मृत्यू को प्राप्त हुई थी, क्या वो उन युद्धों को टाल नही सकते थे। समझिये परमात्मा की वाणी से:-
श्री कृष्ण गोवर्धन धारयो, द्रोणागीरि हनुमान।
शेसनाग सब पृथ्वी धारी, इनमे कौन भगवान।।
परमात्मा कबीर जी कहते हैं के आपके द्वारा प्रचलित कथाएँ ही कहती हैं के श्री कृष्ण और हनुमान ने पहाड़ उठाये।और आप ही कहते हो के शेसनाग के फैन पे सारी पृथ्वी है तो भगवान कौन हुए धरती के एक छोटे से पहाड़ को उठाने वाले या पूरी पृथ्वी उठाने वाला?
2 सतोगुण प्रधान विष्णु जी के दूसरे अवतार श्री रामचंद्र जी अपनी पत्नी सीता को ढूंढते हुए रोते रहे।उसी समुन्दर को जहाज से पार करके एक राक्षस सीता माता को उठा ले गया लेकिन भगवान पुल बना रहे हैं।
1 सतोगुण प्रधान विष्णु जी के अवतार श्री कृष्ण जी का जन्म जेल में ही हुआ और पूरी उम्र उनकी युद्ध जितने में ही निकल गयी। महाभारत जैसा युद्ध जिसमे करोड़ों लोग मारे गए जिसमे उनके पक्ष की भी बहुत सी नेक आत्माएं मृत्यू को प्राप्त हुई थी, क्या वो उन युद्धों को टाल नही सकते थे। समझिये परमात्मा की वाणी से:-
श्री कृष्ण गोवर्धन धारयो, द्रोणागीरि हनुमान।
शेसनाग सब पृथ्वी धारी, इनमे कौन भगवान।।
परमात्मा कबीर जी कहते हैं के आपके द्वारा प्रचलित कथाएँ ही कहती हैं के श्री कृष्ण और हनुमान ने पहाड़ उठाये।और आप ही कहते हो के शेसनाग के फैन पे सारी पृथ्वी है तो भगवान कौन हुए धरती के एक छोटे से पहाड़ को उठाने वाले या पूरी पृथ्वी उठाने वाला?
2 सतोगुण प्रधान विष्णु जी के दूसरे अवतार श्री रामचंद्र जी अपनी पत्नी सीता को ढूंढते हुए रोते रहे।उसी समुन्दर को जहाज से पार करके एक राक्षस सीता माता को उठा ले गया लेकिन भगवान पुल बना रहे हैं।
परमात्मा की वाणी है :-
समुदर पाट लंका गए, सीता के भरतार।
उन्हें अगस्त ऋषि पिय गए, इनमे कौन करतार।।
जिस समुदर को पार करने के लिए श्री रामचंद्र जी ने पुल इतनी मुश्किल से बनाया उस एक समुद्र नही बल्कि सातों समुद्रों को एक अगस्त नामक ऋषि अपनी सिद्धि से केवल एक घूंट में पी गए थे तो इन दोनों में बड़ा कौन हुआ?
मालिक की दूसरी वाणी:-
काटे बंधन विपत्ति में, कठिन कियो संग्राम।
चिन्हो रे नर प्राणिया, वो गरुड़ बड़ो के राम।।
जिस गरुड़ ने मेघनाथ के नागपास में फंसे श्री राम जी और लक्षमण की जान बचाई वो बड़े हुए या राम?
अब आइये संतों पे
आधरणीय नानक जी को उस समय लोगों ने भला बुरा कहा 13 महीने तक उस संत को जेल में रखा और आज सब मानते हैं के वो परमात्मा की प्यारी आत्मा थे।लेकिन उस समय हम उनके जीते जी उनका आदर ना कर सके।
इशा मसीह जी को उस समय लोगों ने शरीर में कीलें ठोक ठोक के मारा आज आधा विश्व उनको मानता है।।लेकिन उस समय उनका आदर ना कर सके
वो भी मुर्ख है जो कहता है की राम कृष्ण अवतार नही थे। वो तीन लोक के भगवान विष्णु के अवतार थे ।लेकिन हमे पूर्ण मोक्ष के लिये इनसे ऊपर के भगवान की तलास करनी है।
ज्ञान गंगा पुस्तक पढ़ें और किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए आप किसी भी संत रामपाल जी महाराज के शिष्य से मिलिए। हम सब परमात्मा के कुते आप पूण्य आत्माओं तक इस ज्ञान को पहुंचाने में हर संभव मदद के लिए तैयार बैठे है।
सत साहेब
उन्हें अगस्त ऋषि पिय गए, इनमे कौन करतार।।
जिस समुदर को पार करने के लिए श्री रामचंद्र जी ने पुल इतनी मुश्किल से बनाया उस एक समुद्र नही बल्कि सातों समुद्रों को एक अगस्त नामक ऋषि अपनी सिद्धि से केवल एक घूंट में पी गए थे तो इन दोनों में बड़ा कौन हुआ?
मालिक की दूसरी वाणी:-
काटे बंधन विपत्ति में, कठिन कियो संग्राम।
चिन्हो रे नर प्राणिया, वो गरुड़ बड़ो के राम।।
जिस गरुड़ ने मेघनाथ के नागपास में फंसे श्री राम जी और लक्षमण की जान बचाई वो बड़े हुए या राम?
अब आइये संतों पे
आधरणीय नानक जी को उस समय लोगों ने भला बुरा कहा 13 महीने तक उस संत को जेल में रखा और आज सब मानते हैं के वो परमात्मा की प्यारी आत्मा थे।लेकिन उस समय हम उनके जीते जी उनका आदर ना कर सके।
इशा मसीह जी को उस समय लोगों ने शरीर में कीलें ठोक ठोक के मारा आज आधा विश्व उनको मानता है।।लेकिन उस समय उनका आदर ना कर सके
वो भी मुर्ख है जो कहता है की राम कृष्ण अवतार नही थे। वो तीन लोक के भगवान विष्णु के अवतार थे ।लेकिन हमे पूर्ण मोक्ष के लिये इनसे ऊपर के भगवान की तलास करनी है।
ज्ञान गंगा पुस्तक पढ़ें और किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए आप किसी भी संत रामपाल जी महाराज के शिष्य से मिलिए। हम सब परमात्मा के कुते आप पूण्य आत्माओं तक इस ज्ञान को पहुंचाने में हर संभव मदद के लिए तैयार बैठे है।
सत साहेब
Wednesday, September 7, 2016
भिक्षुक बन कर ही ब्रह्मा, विष्णु, महेश माता अनुसुइयाके दर पर जाकर माता से निर्वस्त्र हो कर भोजन करवाने की धृष्टता की और भगवान कहलाए। ....क्यों....???
भिक्षुक बन कर रावणने सीता माता का हरण करने का नीच कर्म किया और राक्षस कहलाया।
भिक्षुक बन कर ही ब्रह्मा, विष्णु, महेश माता अनुसुइयाके दर पर जाकर माता से निर्वस्त्र हो कर भोजन करवाने की धृष्टता की और भगवान कहलाए। ....क्यों....???
रावण जिसने सीता माता को बन्दी बना कर रखा पर शीलभंग करने की नीचता नही की। विष्णु जी ने राजा जलन्धर की पत्नी रानी वृंदा का शील भंग करने की नीचता की और फिर भी भगवान ............ क्यों....???
भिक्षुक बन कर ही ब्रह्मा, विष्णु, महेश माता अनुसुइयाके दर पर जाकर माता से निर्वस्त्र हो कर भोजन करवाने की धृष्टता की और भगवान कहलाए। ....क्यों....???
रावण जिसने सीता माता को बन्दी बना कर रखा पर शीलभंग करने की नीचता नही की। विष्णु जी ने राजा जलन्धर की पत्नी रानी वृंदा का शील भंग करने की नीचता की और फिर भी भगवान ............ क्यों....???
Sunday, June 26, 2016
काल गुप्त रूप से किसी और के शरीर में प्रवेश कर के कार्य करता है
काल गुप्त रूप से किसी और के शरीर में प्रवेश कर के कार्य करता है - पवित्र विष्णु पुराण में प्रमाण
काल भगवान जो इक्कीस ब्रह्मण्ड का प्रभु है, उसने प्रतिज्ञा की है कि मैं अपने शरीर में व्यक्त (मानव सदृष्य अपने वास्तविक) रूप में सबके सामने नहीं आऊँगा। उसी ने सूक्ष्म शरीर बना कर प्रेत की तरह श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके पवित्र गीता जी का ज्ञान कहा।
विष्णु पुराण में प्रकरण है की काल भगवान महविष्णु रूप में कहता है कि मैं किसी और के शरीर में प्रवेश कर के कार्य करूंगा।
काल भगवान जो इक्कीस ब्रह्मण्ड का प्रभु है, उसने प्रतिज्ञा की है कि मैं अपने शरीर में व्यक्त (मानव सदृष्य अपने वास्तविक) रूप में सबके सामने नहीं आऊँगा। उसी ने सूक्ष्म शरीर बना कर प्रेत की तरह श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके पवित्र गीता जी का ज्ञान कहा।
विष्णु पुराण में प्रकरण है की काल भगवान महविष्णु रूप में कहता है कि मैं किसी और के शरीर में प्रवेश कर के कार्य करूंगा।
1. श्री विष्णु पुराण (गीता प्रैस गोरखपुर से प्रकाशित) चतुर्थ अंश अध्याय
दूसरा श्लोक 26 में पृष्ठ 233 पर विष्णु जी (महाविष्णु अर्थात् काल रूपी
ब्रह्म) ने देव तथा राक्षसों के युद्ध के समय देवताओं की प्रार्थना स्वीकार
करके कहा है कि मैं राजऋषि शशाद के पुत्र पुरन्ज्य के शरीर में अंश मात्र
अर्थात् कुछ समय के लिए प्रवेश करके राक्षसों का नाश कर दूंगा।
2. श्री विष्णु पुराण (गीता प्रैस गोरखपुर से प्रकाशित) चतुर्थ अंश अध्याय तीसरा श्लोक 6 में पृष्ठ 242 पर श्री विष्ण जी ने गंधर्वाे व नागों के युद्ध में नागों का पक्ष लेते हुए कहा है कि “मैं (महाविष्णु अर्थात् काल रूपी ब्रह्म) मानधाता के पुत्र पुरूकुत्स में प्रविष्ट होकर उन सम्पूर्ण दुष्ट गंधर्वो का नाश कर दूंगा”।
2. श्री विष्णु पुराण (गीता प्रैस गोरखपुर से प्रकाशित) चतुर्थ अंश अध्याय तीसरा श्लोक 6 में पृष्ठ 242 पर श्री विष्ण जी ने गंधर्वाे व नागों के युद्ध में नागों का पक्ष लेते हुए कहा है कि “मैं (महाविष्णु अर्थात् काल रूपी ब्रह्म) मानधाता के पुत्र पुरूकुत्स में प्रविष्ट होकर उन सम्पूर्ण दुष्ट गंधर्वो का नाश कर दूंगा”।
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