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Saturday, September 24, 2016

पूजा क्या होती है??

१.ध्यान -- जैसे हम मूर्ति या फोटो को देखते है भगवान की याद आती है .. भगवान को जितनी बार याद करते है उससेे ध्यान यज्ञ का फल मिलता है.. चाहे कही बैठ कर कर लो..

२..ज्ञान.... सुबह शाम आरती करना धार्मिक बुक गीता या कबीर नानक वाणी को पढना ये होती है ज्ञान यज्ञ.. इससे ज्ञान यज्ञ का फल मिलता है.. 

३.हवन.... जैसे हम ज्योति लगाते है देशी घी की उससे हमे हवन यज्ञ का फल मिलता है... 

४. धर्म... जैसे हम भंडारा आदि भूखे को भोजन कराते है उससे धर्म यज्ञ का फल मिलता है.. 

५.. प्रणाम.. जो हम लम्बे लेट कर भगवान को प्रणाम करते है प्रणाम यज्ञ का फल मिलता है.. 

ये पांच यज्ञ करनी होती है साथ मे जो गुरू नाम (मंत्र )भी जाप करना होता है.. 


नाम(मंत्र) क्या होता है??? 

जिस इष्टदेव की आप पूजा करते हो उसका एक गुप्त आदि नाम होता है उसको मंत्र(नाम) बोलते है.. उदाहरण - जैसे नाग बिन के वश होता है बिन बजते ही सावधान हो जाता है.. ऐसे ही ये देवता भगवान अपने अपने मंत्र के वश होते है ... नारद ने ध्रुव को ऐसा मंत्र दिया था ध्रुव ने ऐसी कसक के साथ जाप किया था 6 महीने मे बिषणु भगवान को बुला दिया था.. 
ये 5 यज्ञ करना और साथ मे गुरूमंत्र का जाप करना ही पूजा करलाती है.. … 

उदाहरण के लिए - आपका शरीर समझो खेत है .. पूजा मे ये गुरूमंत्र समझो बीज है ये पांच यज्ञ समझो खाद पानी निराई गुडाई है... अगर आप गुरूमंत्र जापकर रहे हो पांचो यज्ञ नही कर रहे हो तो आप ऐसे हो -- जैसे आप खेत मे बीज डाल रहे है खाद पानी नही दोगे तो बीज नही होगा.. आपका बीज डालना व्यर्थ है... और अगर आपने गुरूमंत्र नही लिया है केवल पांच यज्ञ ही कर रहे हो तो ऐसा है... जैसे खेत मे खाद पानी डाल रहे हो बीज आपने डाला ही नही तो खाद पानी डालना व्यर्थ है.. उससे घास फूस झाडिया ही उगेगी...फसल नही जैसे खेत मे बीज और खाद पानी डालना जरूरी है, वैसे ही भगवान की पूजा भगती मे गुरूमंत्र(बीज) और पांचो यज्ञ (खाद पानी) करने जरूरी है...

 रामपाल जी महाराज कबीर साहेब ने ऐसे पूजा करने को कहा है.. ये गीता वेद शास्त्रो मे ऐसे ही लिखी है...

लेकिन हिन्दू धर्म के लोग इसके विपरीत कर रहे है ना तो वो गुरू बनाते है। राम कृष्ण मीरा घ्रुव पहलाद सबने गुरू बनाया क्या वो पागल थे.. ?

जिस इष्टदेव की पूजा करते है उनका मंत्र इनके पास नही है.. मंदिर की घंटी बजा कर फुल चढा कर पाच रूपये का प्रसाद बाटकर पूजा समझते है.. ओस के चाटने से प्यास नही बुझती.... 

रामपाल जी महाराज हमे सभी देवी देवताओ का आदर सत्कार करने को बोलते है... 

हम हिन्दू धर्म, वेद गीता , देवी देवताओ सबको मानते है सबका सत्कार करते हैा 

जैसे पतिवर्ता औरत पूजा अपने पति की करती है बाकी देवर जेठ जेठानी देवरानी सास ससुर सबका आदर करती है.. ऐसे ही हम पूजा कबीर साहेब पूर्णब्रह्म की करते है और सभी देवी देवता ब्रह्मा विषणु शिव दुर्गा ब्रह्म परब्रह्म सबका आदर सत्कार करते है.... 

ये संसार एक पेड की तरह है ये संसार के लोग संसार रूपी पेड के पत्ते है ३३ करोड देवी देवता छोटी छोटी टहनिया है..      आगे ब्रह्मा बिषणु शिव तीन मोटी शाखा है आगे ब्रह्म( काल) निरंजन डार है।  ------->आगे परब्रह्म तना है अागे--------> पूर्णब्रह्म (कविर्देव) कबीर साहेब संसार रूपी पेड की जड है.... 

संत रामपाल जी महाराज ये नही कहते कि इन टहनी पत्तो डार शाखा को काट दो मतलब इन देवी देवताओ को छोड दो.. 

संत रामपाल जी ये कहते है आप केवल जड मे पानी डालो मतलब पूर्णब्रह्म कबीर साहेब की पूजा करो..

गीता अ०-15 श्लोक 4 मे गीता ज्ञान दाता कह रहा है मै भी उसी आदि नारायण परमेश्वर की शरण मे हुँ. उसी की पूजा करनी चाहिये.. . जड पूरे पेड का मूल  है जड के सामने सारे टहनी पत्ते शाखा डार तना सब भिखारी है.. जड मे पानी डालने से पूरे पेड को आहार मिलेगा पूरे पेड का विकास होगा.. 

एक पूर्णब्रह्म के सामने सब भिखारी है एक पूर्णब्रह्म की पूजा मे सब की पूजा हो जाती है जैसे जड मे पानी डालने से पूरे पेड का विकास हो जाता है... 

ये साधना शास्त्रानुकूल साधना है.. 

कबीर - एक साधे सब सधे, सब साधे सब जावे... 
माली सिंचे मूल को फले फूले अंगाहे... 

लेकिन दुनिया वाले क्या कर रहे है देवी देवताओ को पूजते है ये तो ऐसे है टहनी और शाखाओ मे पानी देना... जड मूल(पूर्णब्रह्म) का लोगो को मालूम नही है.. जड को छोड टहनियो शाखाओ मे पानी दोगे तो पेड सूखेगा ही... ये शास्त्रविरूद्ध साधना है.. ये तो ओस चाटना है ओस चाटने से प्यास नही बुझती...

अवोर 
 आप को शास्त्रविरूद्ध साधना करने  से आपको कोइ फल नही मिलता हे/ 
पिछ्ले पुण्य कर्मो के हि फल इस जन्म मे मिलता हे जी आपको ।

अधिक जानकारी के लिए जगत गुरु रामपाल जी महाराजका सात संग जरुर देखे आवोर सुने 

   


Sunday, April 24, 2016

नाम लेने वाले व्यक्तियों के लिए आवश्यक जानकारी

1. पूर्ण गुरु की पहचान
संत रामपाल जी महाराज
आज कलियुग में भक्त समाज के सामने पूर्ण गुरु की पहचान करना सबसे जटिल प्रश्न बना हुआ है। लेकिन इसका बहुत ही लघु और साधारण–सा उत्तर है कि जो गुरु शास्त्रो के अनुसार भक्ति करता है और अपने अनुयाईयों अर्थात शिष्यों द्वारा करवाता है वही पूर्ण संत है। चूंकि भक्ति मार्ग का संविधान धार्मिक शास्त्रा जैसे – कबीर साहेब की वाणी, नानक साहेब की वाणी, संत गरीबदास जी महाराज की वाणी, संत धर्मदास जी साहेब की वाणी, वेद, गीता, पुराण, कुरआन, पवित्रा बाईबल आदि हैं। जो भी संत शास्त्रो के अनुसार भक्ति साधना बताता है और भक्त समाज को मार्ग दर्शन करता है तो वह पूर्ण संत है अन्यथा वह भक्त समाज का घोर दुश्मन है जो शास्त्रो के विरूद्ध साधना करवा रहा है। इस अनमोल मानव जन्म के साथ खिलवाड़ कर रहा है। ऐसे गुरु या संत को भगवान के दरबार में घोर नरक में उल्टा लटकाया जाएगा। उदाहरण के तौर पर जैसे कोई अध्यापक सलेबस (पाठयक्रम) से बाहर की शिक्षा देता है तो वह उन विद्यार्थियों का दुश्मन है। गीता अध्याय नं. 7 का श्लोक नं. 15, यजुर्वेद अध्याय न. 40 श्लोक न. 10, गीता अध्याय नं. 4 का श्लोक नं. 34
2. नशीली वस्तुओं का सेवन निषेध
संत रामपाल जी महाराज
हुक्का, शराब, बीयर, तम्बाखु, बीड़ी, सिगरेट, हुलास सुंघना, गुटखा, मांस, अण्डा, सुल्फा, अफीम, गांजा और अन्य नशीली चीजों का सेवन तो दूर रहा किसी को नशीली वस्तु लाकर भी नहीं देनी है। बन्दी छोड़ गरीबदास जी महाराज इन सभी नशीली वस्तुओं को बहुत बुरा बताते हुए अपनी वाणी में कहते हैं कि
3. तीर्थ स्थानों पर जाना निषेध
संत रामपाल जी महाराज
किसी प्रकार का कोई व्रत नहीं रखना है। कोई तीर्थ यात्राा नहीं करनी, न कोई गंगा स्नान आदि करना, न किसी अन्य धार्मिक स्थल पर स्नानार्थ व दर्शनार्थ जाना है। किसी मन्दिर व ईष्ट धाम में पूजा व भक्ति के भाव से नहीं जाना कि इस मन्दिर में भगवान है। भगवान कोई पशु तो है नहीं कि उसको पुजारी जी ने मन्दिर में बांध रखा है। भगवान तो कण–कण में व्यापक है। ये सभी साधनाएँ शास्त्रो के विरुद्ध हैं।
ऐसे संतों की तलाश करो जो शास्त्रो के अनुसार पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की भक्ति करते व बताते हों। फिर जैसे वे कहे केवल वही करना, अपनी मन मानी नहीं करना। सामवेद संख्या नं. 1400 उतार्चिक अध्याय नं. 12 खण्ड नं. 3 श्लोक नं. 5 , गीता अध्याय नं. 16 का श्लोक नं. 23, गीता अध्याय नं. 6 का श्लोक नं. 16, ग़रीब दास जी की वाणी
4. पितर पूजा निषेध
संत रामपाल जी महाराज
किसी प्रकार की पितर पूजा, श्राद्ध निकालना आदि कुछ नहीं करना है। भगवान श्री कृष्ण जी ने भी इन पितरों की व भूतों की पूजा करने से साफ मना किया है। गीता जी के अध्याय नं. 9 के श्लोक नं. 25 में कहा है कि । बन्दी छोड़ गरीबदास जी महाराज और कबीर साहिब जी महाराज भी कहते हैं ।
इसलिए उस(पूर्ण परमात्मा) परमेश्वर की भक्ति करो जिससे पूर्ण मुक्ति होवे। वह परमात्मा पूर्ण ब्र सतपुरुष(सत कबीर) है। इसी का प्रमाण गीता जी के अध्याय नं. 18 के श्लोक नं. 46 में है।, गीता अध्याय नं. 18 का श्लोक नं. 62 , and गीता अध्याय नं. 8 का श्लोक नं. 22
5. गुरु आज्ञा का पालन
संत रामपाल जी महाराज
जी की आज्ञा के बिना घर में किसी भी प्रकार का धार्मिक अनुष्ठान नहीं करवाना है। जैसे बन्दी छोड़ अपनी वाणी में कहते हैं कि
गुरु बिन यज्ञ हवन जो करहीं, मिथ्या जावे कबहु नहीं फलहीं।
6. माता मसानी पूजना निषेध
संत रामपाल जी महाराज
आपने खेत में बनी मंढी या किसी खेड़े आदि की या किसी अन्य देवता की समाध नहीं पूजनी है। समाध चाहे किसी की भी हो बिल्कुल नहीं पूजनी है। अन्य कोई उपासना नहीं करनी है। यहाँ तक कि तीनों गुणों(ब्रा, विष्णु, शिव) की पूजा भी नहीं करनी है। केवल गुरु जी के बताए अनुसार ही करना है। गीता अध्याय नं. 7 का श्लोक नं. 15 कबीर साहिब भी अपनी वाणी में कहते हैं
7. संकट मोचन कबीर साहेब हैं
संत रामपाल जी महाराज
कर्म कष्ट (संकट) होने पर कोई अन्य ईष्ट देवता की या माता मसानी आदि की पूजा कभी नहीं करनी है। न किसी प्रकार की बुझा पड़वानी है। केवल बन्दी छोड़ कबीर साहिब को पूजना है जो सभी दु:खों को हरने वाले संकट मोचन हैं। सामवेद संख्या न. 822 उतार्चिक अध्याय 3 खण्ड न. 5 श्लोक न. 8. कबीर साहिब भी अपनी वाणी में कहते हैं
8. अनावश्यक दान निषेध
संत रामपाल जी महाराज
कहीं पर और किसी को दान रूप में कुछ नहीं देना है। न पैसे, न बिना सिला हुआ कपड़ा आदि कुछ नहीं देना है। यदि कोई दान रूप में कुछ मांगने आए तो उसे खाना खिला दो, चाय, दूध, लस्सी, पानी आदि पिला दो परंतु देना कुछ भी नहीं है। न जाने वह भिक्षुक उस पैसे का दुरूपयोग करे। जैसे एक व्यक्ति ने किसी भिखारी को उसकी झूठी कहानी जिसमें वह बता रहा था कि मेरे बच्चे ईलाज बिना तड़फ रहे हैं। कुछ पैसे देने की कृपा करें को सुनकर भावनावस होकर 100 रु दे दिए। वह भिखारी पहले पाव शराब पीता था उस दिन उसने आधा बोतल शराब पीया और अपनी पत्नी को पीट डाला। उसकी पत्नी ने बच्चों सहित आत्म हत्या कर ली। आप द्वारा किया हुआ वह दान उस परिवार के नाश का कारण बना। यदि आप चाहते हो कि ऐसे दु:खी व्यक्ति की मदद करें तो उसके बच्चों को डॉक्टर से दवाई दिलवा दें, पैसा न दें। कबीर साहिब कहते हैं
9. झूठा खाना निषेध
संत रामपाल जी महाराज
ऐसे व्यक्ति का झूठा नहीं खाना है जो शराब, मांस, तम्बाखु, अण्डा, बीयर, अफीम, गांजा आदि का सेवन करता हो।
10. सत्यलोक गमन(देहान्त) के बाद क्रिया–कर्म निषेध
संत रामपाल जी महाराज
यदि परिवार में किसी की मौत हो जाती है, तो उसके फूल आदि कुछ नहीं उठाने हैं, न पिंड आदि भरवाने हैं, न तेराहमी, छ: माही, बरसोधी, पिंड भी नहीं भरवाने हैं तथा श्राद्ध आदि कुछ नहीं करना है। किसी भी अन्य व्यक्ति से हवन आदि नहीं करवाना है। यदि आपने उसके(मरने वाले के) नाम पर कुछ धर्म करना है तो अपने गुरुदेव जी की आज्ञा ले कर बन्दी छोड़ गरीबदास जी महाराज की अमृतमयी वाणी का अखण्ड पाठ करवाना चाहिए। प्रतिदिन की तरह ज्योति व आरती, नाम स्मरण करते रहना है, यह याद रखते हुए कि
11. बच्चे के जन्म पर शास्त्र विरूद्ध पूजा निषेध
संत रामपाल जी महाराज
बच्चे के जन्म पर कोई छटी आदि नहीं मनानी है। सुतक के कारण प्रतिदिन की तरह करने वाली पूजा, भक्ति, आरती, ज्योति जगाना आदि बंद नहीं करनी है। कबीर साहेब हमें बताते हैं कि
12. देई धाम पर बाल उतरवाने जाना निषेध
संत रामपाल जी महाराज
बच्चे के किसी देई धाम पर बाल उतरवाने नहीं जाना है। जब देखो बाल बड़े हो गए, कटवा कर फैंक दो। एक मन्दिर में देखा कि श्रद्धालु भक्त अपने लड़के या लड़कियों के बाल उतरवाने आए। वहाँ पर उपस्थित नाई ने बाहर के रेट से तीन गुना पैसे लीये और एक कैंची भर बाल काट कर मात–पिता को दे दिए। उन्होंने श्रद्धा से मन्दिर में चढ़ाए। पुजारी ने एक थैले में डाल लिए। रात्राी को उठा कर दूर एकांत स्थान पर फैंक दिए। यह केवल नाटक बाजी है। क्यों न पहले की तरह स्वाभाविक तरीके से बाल उतरवाते रहें तथा बाहर डाल दें। परमात्मा नाम से प्रसन्न होता है पाखण्ड से नहीं।
13. नाम जाप से सुख
संत रामपाल जी महाराज
नाम(उपदेश) को केवल दु:ख निवारण की दृष्टि कोण से नहीं लेना चाहिए बल्कि आत्म कल्याण के लिए लेना चाहिए। फिर सुमिरण से सर्व सुख अपने आप आ जाते हैं। कबीर जी की वाणी
14. व्यभिचार निषेध
संत रामपाल जी महाराज
पराई स्त्री को माँ–बेटी–बहन की दृष्टि से देखना चाहिए। व्याभीचार महापाप है। जैसे
15. निन्दा सुनना व करना निषेध
संत रामपाल जी महाराज
अपने गुरु की निंदा भूल कर भी न करें और न ही सुनें। सुनने से अभिप्राय है यदि कोई आपके गुरु जी के बारे में मिथ्या बातें करें तो आपने लड़ना नहीं है बल्कि यह समझना चाहिए कि यह बिना विचारे बोल रहा है अर्थात् झूठ कह रहा है।
जैसे.... निन्दा तो किसी की भी नहीं करनी है और न ही सुननी है। चाहे वह आम व्यक्ति ही क्यों न हो। कबीर साहेब कहते हैं कि
16. गुरु दर्श की महिमा
संत रामपाल जी महाराज
सतसंग में समय मिलते ही आने की कोशिश करे तथा सतसंग में नखरे(मान–बड़ाई) करने नहीं आवे। अपितु अपने आपको एक बिमार समझ कर आवे। जैसे बिमार व्यक्ति चाहे कितने ही पैसे वाला हो, चाहे उच्च पदवी वाला हो जब हस्पताल में जाता है तो उस समय उसका उद्देश्य केवल रोग मुक्त होना होता है। जहाँ डॉक्टर लेटने को कहे लेट जाता है, बैठने को कहे बैठ जाता है, बाहर जाने का निर्देश मिले बाहर चला जाता है। फिर अन्दर आने के लिए आवाज आए चुपके से अन्दर आ जाता है। ठीक इसी प्रकार यदि आप सतसंग में आते हो तो आपको सतसंग में आने का लाभ मिलेगा अन्यथा आपका आना निष्फल है। सतसंग में जहाँ बैठने को मिल जाए वहीं बैठ जाए, जो खाने को मिल जाए उसे परमात्मा कबीर साहिब की रजा से प्रसाद समझ कर खा कर प्रस चित्त रहे। जैसे
17. गुरु महिमा
संत रामपाल जी महाराज
यदि कहीं पर पाठ या सतसंग चल रहा हो या वैसे गुरु जी के दर्शनार्थ जाते हों तो सर्व प्रथम गुरु जी को दण्डवत्(लम्बा लेट कर) प्रणाम करना चाहिए बाद में सत ग्रन्थ साहिब व तसवीरें जैसे साहिब कबीर की मूर्ति – गरीबदास जी की व स्वामी राम देवानन्द जी व गुरु जी की मूर्ति को प्रणाम करें जिससे सिफर्ल भावना बनी रहेगी। मूर्ति पूजा नहीं करनी है। केवल प्रणाम करना पूजा में नहीं आता यह तो भक्त की श्रद्धा को बनाए रखने में सहयोग देता है। पूजा तो वक्त गुरु व नाम मन्त्रा की करनी है जो पार लगाएगा। कबीर साहेब कहते हैं
18. मांस भक्षण निषेध
संत रामपाल जी महाराज
मांस भक्षण व जीव हिंसा नहीं करनी है। यह महापाप होता है। अनजाने में हुई हिंसा का पाप नहीं लगता। बन्दी छोड़ कबीर साहिब कहते हैं :
‘‘इच्छा कर मारै नहीं, बिन इच्छा मर जाए। कहैं कबीर तास का, पाप नहीं लगाए।।‘‘
19. गुरु द्रोही का सम्पर्क निषेध
संत रामपाल जी महाराज
यदि कोई भक्त गुरु जी से द्रोह(गुरु जी से विमुख हो जाता है) करता है वह महापाप का भागी हो जाता है। यदि किसी को मार्ग अच्छा न लगे तो अपना गुरु बदल सकता है। यदि वह पूर्व गुरु के साथ बैर व निन्दा करता है तो वह गुरु द्रोही कहलाता है। ऐसे व्यक्ति से भक्ति चर्चा करने में उपदेशी को दोष लगता है। उसकी भक्ति समाप्त हो जाती है। जैसे.... अर्थात् गुरु द्रोही के पास जाने वाला भक्ति रहित होकर नरक व लख चौरासी जूनियों में चला जाएगा।
20. जुआ निषेध
संत रामपाल जी महाराज
जुआ–तास कभी नहीं खेलना चाहिए। कबीर साहेब कहते हैं...
21. नाच–गान निषेध
संत रामपाल जी महाराज
किसी भी प्रकार के खुशी के अवसर पर नाचना व अश्लील गाने गाना भक्ति भाव के विरूद्ध है। जैसे एक समय एक विधवा बहन किसी खुशी के अवसर पर अपने रिश्तेदार के घर पर गई हुई थी। सभी खुशी के साथ नाच–गा रहे थे परंतु वह बहन एक तरफ बैठ कर प्रभु चिंतन में लगी हुई थी। फिर उनके रिश्तेदारों ने उससे पूछा कि आप ऐसे क्यों निराश बैठे हो? आप भी हमारे की तरह नाचों, गाओ और खुशी मनाओ। इस पर वह बहन कहती है कि किस की खुशी मनाऊँ? मुझ विावा का एक ही पुत्रा था वह भी भगवान को प्यारा हो चुका है। अब क्या खुशी है मेरे लिए? ठीक इसी प्रकार इस काल के लोक में प्रत्येक व्यक्ति की स्थिति है।
22. छूआछात निषेध
संत रामपाल जी महाराज
हम सब एक मलिक के बंदे हैं। भगवान ने किसी भी जाती या मज़हब के स्त्री पुरुषों में कोई अंतर नहीं किया तो हम क्यूँ करें?
23. दहेज लेना तथा देना निषेध
संत रामपाल जी महाराज
दहेज लेना व देना कुरीति है तथा मानव मात्र की अशांति का कारण है। उपदेशी के लिए मना है। जिसने अपने कलेजे की कोर पुत्री को दे दिया फिर बाकी क्या रहा?
विशेष: स्त्री तथा पुरूष दोनों ही परमात्मा प्राप्ति के अधिकारी हैं। स्त्रिायों को मासिक धर्म (menses) के दिनों में भी अपनी दैनिक पूजा, ज्योति लगाना आदि बन्द नहीं करना चाहिए। किसी के देहान्त या जन्म पर भी दैनिक पूजा कर्म बन्द नहीं करना है।
नोट :–– जो भक्तजन इन इक्कीस सुत्रीय आदेशों का पालन नहीं करेगा उसका नाम समाप्त हो जाएगा। यदि अनजाने में कोई गलती हो भी जाती है तो वह माफ हो जाती है और यदि जान बुझकर कोई गलती की है तो वह भक्त नाम रहित हो जाता है। इसका समाधान यही है कि गुरुदेव जी से क्षमा याचना करके दोबारा नाम उपदेश लेना होगा।

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जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज को पहचानो और नाम उपदेश लेकर अपना मानव जीवन सफल कर लो
आप सभी से प्रार्थना है की ये विडियो अवश्य देखें .... http://m.youtube.com/watch?v=UsnnHAf7Gy8 . अवश्य पढिये "ग्यान गंगा" बुक.. सभी भाषाओ मे उपलब्घ ..... www.jagatgururampalji.org/booksandpublications.php 
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कृपया अवश्य जानिए ... 100% सत्य आध्यात्मिक तत्वज्ञान , श्रीमद भग्वद गीता जी और वेदों के सब प्रमाण के साथ .. देखना ना भूले "साधना" टी.वी चेनल रोजाना शाम 07:40 से 08:40 . . . . सत साहेब : इस पोस्ट को आगे आगे शेयर किजिये. . न जाने कौन इंतज़ार कर रहा है!!!!!!...

Tuesday, March 22, 2016

Truth Behind Satlok Ashram Barwala Episode 18-11-2014 (बरवाला काण्ड की सच्चाई)


(बरवाला काण्ड की सच्चाई)
18 नवम्बर 2014 का वो काला दिन जिसने भारत ही नहीं पूरे विश्व को सोचने पर मजबूर कर दिया कि भारत जिसको संतों कि भूमि कहा जाता है, उस देश में एक संत को बीमारी कि हालत में गिरफ्तार करने के लिए लगभग 40,000 पुलिस फ़ोर्स (जिसमें CRPF, RAF, NSG, चंडीगढ़ पुलिस एवं हरियाणा पुलिस के जवान शामिल थे) तैयार खड़ी थी ! लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि इतनी बड़ी तादाद में पुलिस फ़ोर्स को आना पड़ा ! लोग देख रहे थे और जानना चाह रहे थे कि आखिर इस संत में ऐसा क्या है कि हजारों लोग जिसमें महिलाएं, बच्चे और बुढ्ढे शामिल हैं ! वे इस संत के लिए अपनी जान देने के लिए तैयार हैं , हाथों में तख्तियां पकड़े हुए हैं जिन पर लिखा था कि जजों की जवाबदेही तय हो, भारत में सभी केसों की वीडियो रिकॉर्डिंग हो और संत रामपाल जी महाराज पर लगाये गए सभी केसों की सीबीआई जांच हो ! अगर हमारी बातें नहीं मानी जाती हैं तो राष्ट्रपति जी हमें मौत दो ! लेकिन उन मायूस भक्तों और बहनों को क्या पता था कि जिस देश में तुम रहते हो, वहां न्याय मांगने वालों को सिर्फ मौत दी जाती है ! लोग जानना चाहते थे कि इतनी पुलिस फ़ोर्स आखिर एक संत को गिरफ्तार करने क्यों पहुँच गयी, आखिर क्यों सरकारी डॉक्टरों के पैनल की भेजी रिपोर्ट को रिजेक्ट करके एक तानाशाही फरमान सुनाया गया कि किसी भी कीमत पर संत को पेश करो, चाहे बीमार हो या न हो ! आईये आपको पूरा किस्सा समझाते हैं कि आखिर ये सब माज़रा क्या है ? कैसे कुछ जजों ने सविंधान को ताक पर रखकर मनमाने आदेश दिए, कैसे कुछ राजनेताओं ने तानाशाही फरमान जारी करके जुल्म किये ? एक एक किस्सा आपके सामने रखते हैं !


Friday, February 19, 2016

अबस्य बुझ्नुहोस्


1) भगवान ब्रह्मा, बिष्णु र शंकर का माता पिता को हुन ?
2) दुर्गा माता शेरावाली/अष्टाङ्गी) का पति को हुन ?
3) प्राणीहरूको जन्म र मृत्यु कुन भगवान को स्वार्थपूर्तीका लागि हुन्छ ? मानव चोला के का लागि हो ?
4) पूर्ण सन्त को पहिचान कसरी गर्ने ?
5) ब्रह्मा, बिष्णु र महेश्वर कस्को भक्ति गर्नु हुन्छ ?
6) देव देवीको भक्ति गर्दा गर्दै पनि मानव किन दु:खी नै रहेका छन् ?
7) परमात्मा निरकार छन् की आकारमा छन ?
8) परमात्मा को हो ? कहाँ रहन्छन ? कसरी पाउने ? के कसैले भेटेका छन् त परमात्मालाई ?
9) जो कोहि पनि गुरुको शरणमा पर्दैमा मुक्ति पाईन्छ त ? सदगुरु को पहिचान के हो ?
10) मोक्ष प्राप्ती को पथ् कुन हो ?
11) भगवान श्रीकृष्ण काल होइनन भने गीतामा भनिएका काल को हुन ?
12) हरे राम, हरे कृष्ण, हरि ॐ, वाहे गुरु, तीन नाम, पञ्चनाम जप्दैमा वा समाधी अभ्यास गरेर सुख, शान्ति र मोक्ष सम्भव छ अथवा छैन ?
13) तीर्थ, व्रत, तर्पण, श्राद इत्यादी कर्म गर्नाले कुनै लाभ छ वा छैन ? (गीतानुसार)
14) नास्त्रेदमसजी को भबिस्यवाणी सत्य प्रमाणित भयो ?
============ "ईश, ईश्वर र परमेश्वर" को तत्वज्ञान तथा सत भक्ति हाम्रा पवित्र (चारै वेद, श्रीमद्भगवत गीता, छ: शास्त्र, अठार पुराण, गुरुग्रंथ, बाइबल र क़ुरान ) बाट शास्त्र प्रमाणित तत्वदर्शी सन्त......sat guru..Rampaljee Maharaj bata.………….. अधिक जानकारी को लागि "ज्ञान गंगा" पुस्तक वा www.jagatgurura
mpalji.org मा अबस्य पढ्नु, हेर्नु, सुन्नुहोला