शंकरजी भगवान होते हुए भी अपनी जान नहीं बचा पाए ! तो अपने पूजा करने वाले लोगों की जान कैसे बचाएंगे !
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:------ भस्मासुर
के कारण भगवान शंकर की जान संकट में आ गई थी।
हालांकि भस्मासुर का नाम कुछ और था लेकिन भस्म
करने का वरदान प्राप्त करने के कारण उसका नाम
भस्मासुर पड़ गया।
भस्मासुर एक महापापी असुर था। उसने अपनी शक्ति
बढ़ाने के लिए भगवान शंकर की घोर तपस्या की और
उनसे अमर होने का वरदान मांगा, लेकिन भगवान शंकर
ने कहा कि तुम कुछ और मांग लो तब भस्मासुर ने
वरदान मांगा कि मैं जिसके भी सिर पर हाथ रखूं वह
भस्म हो जाए। भगवान शंकर ने कहा- तथास्तु।
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भस्मासुर ने इस वरदान के मिलते ही कहा, भगवन् क्यों
न इस वरदान की शक्ति को परख लिया जाए। तब वह
स्वयं शिवजी के सिर पर हाथ रखने के लिए दौड़ा।
शिवजी भी वहां से भागे गए।
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भस्मासुर से बचने के लिए भगवान शंकर वहां से भाग गए। उनके पीछे भस्मासुर भी भागने लगा। भागते-भागते शिवजी एक पहाड़ी के पास रुके और फिर उन्होंने इस पहाड़ी में अपने त्रिशूल से एक गुफा बनाई और वे फिर उसी गुफा में छिप गए।
बाद में विष्णुजी ने आकर उनकी जान बचाई। विष्णुजी ने एक सुन्दर स्त्री का रूप धारण कर भस्मासुर को आकर्षित किया। भस्मासुर शिव को भूलकर उस सुंदर स्त्री के मोहपाश में बंध गया। मोहिनी स्त्रीरूपी विष्णु ने भस्मासुर को खुद के साथ नृत्य करने के लिए प्रेरित किया। भस्मासुर ही मान गया। नृत्य करते समय भस्मासुर मोहिनी की ही तरह नृत्यकरने लगा और उचित मौका देखकर विष्णुजी ने अपनेसिर पर हाथ रखा। शक्ति और काम के नशे में चूर भस्मासुर ने जिसकी नकल की और भस्मासुर अपने ही प्राप्त वरदान से भस्म हो गया।
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