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Sunday, October 9, 2016

बाबा फरीद ने क्या खूब कहा है


वेख फरीदा मिट्टी खुल्ली, (कबर)
मिट्टी उत्ते मिट्टी डुली; (लाश)

मिट्टी हस्से मिट्टी रोवे, (इंसान)
अंत मिट्टी दा मिट्टी होवे (जिस्म)

ना कर बन्दया मेरी मेरी, (पैसा)
ना ऐह तेरी ना ऐह मेरी; (खाली जाना)

चार दिना दा मेला दुनिया, (उम्र)
फ़िर मिट्टी दी बन गयी ढेरी; (मौत)

ना कर एत्थे हेरा फेरी, (पैसे कारन झुठ, धोखे)

मिट्टी नाल ना धोखा कर तू, (लोका नाल फरेब)
तू वी मिट्टी मैं वी मिट्टी; (इंसान)

जात पात दी गल ना कर तू,
जात वी मिट्टी पात वी मिट्टी, (पाखंड)

*जात सिर्फ खुदा दी उच्ची, बाकी सब कुछ मिट्टी मिट्टी।

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