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Saturday, September 24, 2016

प्रश्न- कुछ लोग बोलते है रामपाल जी महाराज हिन्दू धर्म की पूजा को गलत बता रहे है ????




प्रश्न- कुछ लोग बोलते है कबीर साहेब ने मूर्ति पूजा का विरोध किया है.. 
रामपाल जी महाराज भी ऐसा ही कर रहे है?? रामपाल जी हिन्दू धर्म की पूजा को गलत बता रहे है????

उत्तर - देखिए कबीर साहेब ने ये कहा है फोटो मूर्ति का काम इतना होता है हमे भगवान की याद आती हैा लेकिन मूर्ति के सामने घंटी बजाना या मूर्ति को भोग लगाना पैसे चढाना रोज नहलाना कपडे पहराना मतलब मूर्ति पर आश्रित होना वो गलत है..

पूजा क्या होती है?? 

१.ध्यान -- जैसे हम मूर्ति या फोटो को देखते है भगवान की याद आती है .. भगवान को जितनी बार याद करते है उससेे ध्यान यज्ञ का फल मिलता है.. चाहे कही बैठ कर कर लो.. 

२..ज्ञान.... सुबह शाम आरती करना धार्मिक बुक गीता या कबीर नानक वाणी को पढना ये होती है ज्ञान यज्ञ.. इससे ज्ञान यज्ञ का फल मिलता है.. 

३.हवन.... जैसे हम ज्योति लगाते है देशी घी की उससे हमे हवन यज्ञ का फल मिलता है... 

४. धर्म... जैसे हम भंडारा आदि भूखे को भोजन कराते है उससे धर्म यज्ञ का फल मिलता है.. 

५.. प्रणाम.. जो हम लम्बे लेट कर भगवान को प्रणाम करते है प्रणाम यज्ञ का फल मिलता है.. 

ये पांच यज्ञ करनी होती है साथ मे जो गुरू नाम (मंत्र )भी जाप करना होता है.. 


नाम(मंत्र) क्या होता है??? 

जिस इष्टदेव की आप पूजा करते हो उसका एक गुप्त आदि नाम होता है उसको मंत्र(नाम) बोलते है.. उदाहरण - जैसे नाग बिन के वश होता है बिन बजते ही सावधान हो जाता है.. ऐसे ही ये देवता भगवान अपने अपने मंत्र के वश होते है ... नारद ने ध्रुव को ऐसा मंत्र दिया था ध्रुव ने ऐसी कसक के साथ जाप किया था 6 महीने मे बिषणु भगवान को बुला दिया था.. 
ये 5 यज्ञ करना और साथ मे गुरूमंत्र का जाप करना ही पूजा करलाती है.. … 

उदाहरण के लिए - आपका शरीर समझो खेत है .. पूजा मे ये गुरूमंत्र समझो बीज है ये पांच यज्ञ समझो खाद पानी निराई गुडाई है... अगर आप गुरूमंत्र जापकर रहे हो पांचो यज्ञ नही कर रहे हो तो आप ऐसे हो -- जैसे आप खेत मे बीज डाल रहे है खाद पानी नही दोगे तो बीज नही होगा.. आपका बीज डालना व्यर्थ है... और अगर आपने गुरूमंत्र नही लिया है केवल पांच यज्ञ ही कर रहे हो तो ऐसा है... जैसे खेत मे खाद पानी डाल रहे हो बीज आपने डाला ही नही तो खाद पानी डालना व्यर्थ है.. उससे घास फूस झाडिया ही उगेगी...फसल नही जैसे खेत मे बीज और खाद पानी डालना जरूरी है, वैसे ही भगवान की पूजा भगती मे गुरूमंत्र(बीज) और पांचो यज्ञ (खाद पानी) करने जरूरी है...

 रामपाल जी महाराज कबीर साहेब ने ऐसे पूजा करने को कहा है.. ये गीता वेद शास्त्रो मे ऐसे ही लिखी है...

लेकिन हिन्दू धर्म के लोग इसके विपरीत कर रहे है ना तो वो गुरू बनाते है। राम कृष्ण मीरा घ्रुव पहलाद सबने गुरू बनाया क्या वो पागल थे.. ?

जिस इष्टदेव की पूजा करते है उनका मंत्र इनके पास नही है.. मंदिर की घंटी बजा कर फुल चढा कर पाच रूपये का प्रसाद बाटकर पूजा समझते है.. ओस के चाटने से प्यास नही बुझती.... 

रामपाल जी महाराज हमे सभी देवी देवताओ का आदर सत्कार करने को बोलते है... 

हम हिन्दू धर्म, वेद गीता , देवी देवताओ सबको मानते है सबका सत्कार करते हैा 

जैसे पतिवर्ता औरत पूजा अपने पति की करती है बाकी देवर जेठ जेठानी देवरानी सास ससुर सबका आदर करती है.. ऐसे ही हम पूजा कबीर साहेब पूर्णब्रह्म की करते है और सभी देवी देवता ब्रह्मा विषणु शिव दुर्गा ब्रह्म परब्रह्म सबका आदर सत्कार करते है.... 

ये संसार एक पेड की तरह है ये संसार के लोग संसार रूपी पेड के पत्ते है ३३ करोड देवी देवता छोटी छोटी टहनिया है..      आगे ब्रह्मा बिषणु शिव तीन मोटी शाखा है आगे ब्रह्म( काल) निरंजन डार है।  ------->आगे परब्रह्म तना है अागे--------> पूर्णब्रह्म (कविर्देव) कबीर साहेब संसार रूपी पेड की जड है.... 

संत रामपाल जी महाराज ये नही कहते कि इन टहनी पत्तो डार शाखा को काट दो मतलब इन देवी देवताओ को छोड दो.. 

संत रामपाल जी ये कहते है आप केवल जड मे पानी डालो मतलब पूर्णब्रह्म कबीर साहेब की पूजा करो..

गीता अ०-15 श्लोक 4 मे गीता ज्ञान दाता कह रहा है मै भी उसी आदि नारायण परमेश्वर की शरण मे हुँ. उसी की पूजा करनी चाहिये.. . जड पूरे पेड का मूल  है जड के सामने सारे टहनी पत्ते शाखा डार तना सब भिखारी है.. जड मे पानी डालने से पूरे पेड को आहार मिलेगा पूरे पेड का विकास होगा.. 

एक पूर्णब्रह्म के सामने सब भिखारी है एक पूर्णब्रह्म की पूजा मे सब की पूजा हो जाती है जैसे जड मे पानी डालने से पूरे पेड का विकास हो जाता है... 

ये साधना शास्त्रानुकूल साधना है.. 

कबीर - एक साधे सब सधे, सब साधे सब जावे... 
माली सिंचे मूल को फले फूले अंगाहे... 

लेकिन दुनिया वाले क्या कर रहे है देवी देवताओ को पूजते है ये तो ऐसे है टहनी और शाखाओ मे पानी देना... जड मूल(पूर्णब्रह्म) का लोगो को मालूम नही है.. जड को छोड टहनियो शाखाओ मे पानी दोगे तो पेड सूखेगा ही... ये शास्त्रविरूद्ध साधना है.. ये तो ओस चाटना है ओस चाटने से प्यास नही बुझती...

अवोर 
 आप को शास्त्रविरूद्ध साधना करने  से आपको कोइ फल नही मिलता हे/ 
पिछ्ले पुण्य कर्मो के हि फल इस जन्म मे मिलता हे जी आपको ।

अधिक जानकारी के लिए जगत गुरु रामपाल जी महाराजका सात संग जरुर देखे आवोर सुने 

   



Wednesday, September 14, 2016

क्या मेरे सवाल का जबाब किसी के पास है


1 दुर्गा जी का पति कौन है ???

2 यदि पति नहीं है तो माँग में सिन्दूर क्यों लगातीं हैं। लाल चुनरी क्यों पहनती है???

3 इनके पुत्र कौन हैं। यदि पुत्र नहीं तो माँ क्यों कहते हैं। और हैं तो कौन है???

4 क्या ये परमात्मा है। यदि नहीं तो परमात्मा कोण है?? अवश्य जानिए "सत्य क्या है?"
(1) ब्रह्मा विष्णु महेश के माता पिता कौन हैं ?
(2) दुर्गा अष्टांगी(अम्बे, शेरांवाली) का पति कौन है?
(3) हम को जन्म देने व मारने मे किस प्रभु का स्वार्थ है?
(4) हम सभी देवी देवताओं की इतनी भक्ति करते है फिर भी दुखी क्यों हैं?
(5) ब्रह्मा विष्णु महेश किस की भक्ति करते है?
(6) परमेश्वर साकार है या निराकार?

(7) परम संत की क्या पहचान है?

(8) पूर्ण मोक्ष कैसे मिलेगा?

(9) किसी भी गुरू से नाम दीक्षा लेने से मुक्ति संभव है या नहीं?

(10) तीर्थ ,व्रत ,तर्पण , भूत पूजा या श्राद्ध निकालने से मुक्ति संभव है या नही?

(11)पवित्र गीता जी का ज्ञान किसने कहा?

(12) समाधि अभ्यास, हरे राम, हरेकृष्ण, राधे राधे, हरिओम, हंस, तीन व पाँच नामों के जाप से मुक्ति संभव है या नहीं?

(13) कौन तथा कैसा है? कहाँ रहता है? कैसे मिलता है? किसने देखा है पूर्ण परमात्मा?

(14) ब्रह्मा की पूजा क्यों नही होती है?

(16) सन् 2020 मे क्या होगा?

(17) सतयुग कब आने वाला है?

(19) कलयुग कितना बीत चुका है?

(20) ब्रह्मा विष्णु महेश दुर्गा आदि से ऊपर कोई और परमेश्वर है वह कौन है?

(21) पूर्ण परमात्मा कैसी लीला करता है?

(22)समुद्र पर पुल किसने बनाया था?

(23) सृष्टि की रचना कैसे हुई?

(24) हम सभी आत्मायें कहाँ से आईं है?

(25) हम अपने परमेश्वर से कैसे बिछुड़ गये?

(27) आपकी जन्म व मृत्यू मिट सकती है लेकिन कैसे? 

आदि-आदि प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए पड़िए पुस्तक

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जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराजविश्व के सभी धर्म गुरूओ को आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा के लिए सादर आमंत्रित करते है । यदि कोई भी आध्यात्मिक गुरू आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा के लिए नहीं आते है तो यही समझा जायेगा कि आप सभी धर्म गुरूओ ने अपनी हार स्वीकार कर ली है । तथा आपके पास यथार्थ भक्ति मार्ग नहीं है ।

आखिर किस बात का डर सता रहा है इन  आध्यात्मिक गुरूओ (जैसे-गुरमीत जी महाराज, कृपालू जी, निरंकारी, ब्रह्मा कुमारी, राधास्वामी पंथ के सभी संत, हिन्दु  धर्म के सभी संत, मुस्लिम धर्म के सभी प्रवक्ता, नानक
पंथी आदि) को संत रामपाल जी महाराज के
साथ आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा (भगवान
की चर्चा) करने में ।यदी आप सभी धर्म गुरू के
पास सत ज्ञान है तो आइये संत रामपाल
जी महाराज के साथ आध्यात्मिक ज्ञान
चर्चा के मैदान में ।यदि आप नहीं आते है
तो आपके पास यथार्थ भक्ति नहीं है ।जिसके
कारण आप तथा आपके शिष्य नरक में जायेंगे ।
प्रतिदिन अवश्य देखिए बंदी छोड़ सतगुरू
रामपाल जी महाराज का सतसंग "साधना"
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तथा "नेपाल मे सगरमाथा टि भि मे सुबह ६ बजे से ७ बजे तक
प्रतीदिन आध्यात्मिक
ज्ञान चर्चा देखिए साधना चैनल पर
रात्रि 07.40 से 08.40 बजे तक ।
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Sunday, September 11, 2016

ज्ञान गंगा पुस्तक पढ़ने के बाद आप इन जटिल प्रश्नो के जवाब भी जान पायेगे


इस अथाह ब्रह्माण्ड का रचयिता कौन है ?

क्या इसकी रचना विज्ञान के बिग-बैंग थ्योरी के आधार पर हुई है या इसको रचने वाला परमात्मा है ?

पूर्ण परमात्मा कौन है?  कहाँ रहता है?  कैसे मिलता है?

पूर्ण परमात्मा साकार है या निराकार?

मोक्ष क्या है, हमें मोक्ष की आवश्यकता क्यों पडती है?

जीव, ब्रह्म, माया क्या है ?

आत्मा और मन क्या है ?

आत्मा परमात्मा का अंश है फ़िर ये शैतान मन किसका अंश है ?

कहते है परमात्मा सुख का सागर है फ़िर भी सब जीव इतने दुखी क्यों है ?

परमात्मा ने आत्माऐं बनायी थी फ़िर आत्मा के ऊपर ये शरीर (जो कि दुख का मूल कारण है) किसने चढ़ा दिया तथा इस अमर आत्मा को पशु-पक्षी एवं कीडे-मकोडे के शरीर में क्यों डाल दिया  गया ?

हमको जन्म देने व मारने में किस प्रभु का स्वार्थ हैं ?

ब्रह्मा, विष्णु, महेश कौन है, इनके माता-पिता कौन है ? इनकी उत्पत्ति कैसे हुई ? और इनकी आयु कितनी है ?

गीता व पुराणों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु, महेश अजर-अमर नहीं हैं, क्यों ?

दुर्गा जी के पति का क्या नाम है ? द्वापर युग में दुर्गा जी ने द्रौपदी के रूप मे जन्म क्यो लिया ? दुर्गा जी ने ब्रह्मा जी को शाप एवं विष्णु जी को वरदान क्यों दिया ? ब्रह्मा जी की पूजा क्यो नही होती ?

शिव जी का एक जन्म परन्तु पार्वती जी के 108 जन्म ऐसा क्यों ? अमरनाथ की कथा का क्या रहस्य है ?
तीर्थ और धाम क्या है ?

प्रलय और महा-प्रलय में क्या अन्तर है ? तत्त्वज्ञान क्या है तथा तत्त्वज्ञान प्रदान करने वाले तत्त्वदर्शी संत (सतगुरु) की क्या पहचान है ?

वास्तव में गीता जी का ज्ञान किसने कहा था ? गीता का ज्ञान देने वाला प्रभु गीता अध्याय 18 के श्लोक 62 में अर्जुन को किस अन्य 'पूर्ण परमात्मा' की शरण में जाने को कह रहा है ? गीता अध्याय 11 श्लोक 32 में ये विराट रूप दिखाकर कहता है कि हे अर्जुन 'मैं काल हूँ'। ये काल कौन है ?

क्या आप जानते है जिसको हम आज तक भगवान मानकर पूजते आये है वो हमें खाने वाला काल है ?

हम सब आत्माऐं काल के जाल में कैसे फँसी ? महाभारत के युद्ध के बाद श्री कृष्ण जी गीताजी का ज्ञान क्यों भूल गये ?

गीता जी में तीनों देवताओं रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी तथा तमगुण शिव जी की पूजा करने वालों को मनुष्य में नीच एवं बुद्धिहीन क्यों कहा ?

गीता जी अध्याय 15 श्लोक 16 में वर्णित तीनों देवताओं से उपर 'क्षर ब्रह्म' तथा 'अक्षर ब्रह्म' कौन है तथा श्लोक 17 में इन दोनों से परे पूर्ण परमात्मा 'परम अक्षर ब्रह्म' कौन है ?

ईश, ईश्वर, परमेश्वर या ब्रह्म, परब्रह्म, पारब्रह्म में क्या भेद हैं ?

ॐ, तत्, सत क्या हैं ?
ॐ(ब्रह्म), तत्(परब्रह्म), सत(पारब्रह्म) इन सांकेतिक शब्दों का क्या अर्थ है ?

शास्त्रों के अनुसार साधना के लाभ व शास्त्रविरुद्ध साधना से हानि क्या है ?

हम सभी आत्माओं को 84 लाख योनियाँ क्यों भोगनी पडती है ?

क्या ब्रह्मा, विष्णु, महेश चौरासी लाख योनियों से मुक्त हैं ?

पूर्ण सन्त(सदगुरु) की क्या पहचान है? 

उसके क्या लक्षण है?

कृपया यह मैसेज अपने रिश्तेदारों मित्रो को फारवर्ड करने का कष्ट करे।

Tuesday, June 28, 2016

प्रश्न- कुछ लोग बोलते है कबीर साहेब ने मूर्ति पूजा का विरोध किया है.. रामपाल जी महाराज भी ऐसा ही कर रहे है??

प्रश्न- कुछ लोग बोलते है कबीर साहेब ने मूर्ति पूजा का विरोध किया है.. रामपाल जी महाराज भी ऐसा ही कर रहे है??

रामपाल जी हिन्दू धर्म की पूजा को गलत बता रहे है????

उत्तर - देखिए कबीर साहेब ने ये कहा है फोटो मूर्ति का काम इतना होता है हमे भगवान की याद आती हैा लेकिन मूर्ति के सामने घंटी बजाना या मूर्ति को भोग लगाना पैसे चढाना रोज नहलाना कपडे पहराना मतलब मूर्ति पर आश्रित होना वो गलत है..

पूजा क्या होती है??
१.ध्यान -- जैसे हम मूर्ति या फोटो को देखते है भगवान की याद आती है .. भगवान को जितनी बार याद करते है उससेे ध्यान यज्ञ का फल मिलता है.. चाहे कही बैठ कर कर लो..
२..ज्ञान.... सुबह शाम आरती करना धार्मिक बुक गीता या कबीर नानक वाणी को पढना ये होती है ज्ञान यज्ञ.. इससे ज्ञान यज्ञ का फल मिलता है..
३.हवन.... जैसे हम ज्योति लगाते है देशी घी की उससे हमे हवन यज्ञ का फल मिलता है...
४. धर्म... जैसे हम भंडारा आदि भूखे को भोजन कराते है उससे धर्म यज्ञ का फल मिलता है..
५.. प्रणाम.. जो हम लम्बे लेट कर भगवान को प्रणाम करते है प्रणाम यज्ञ का फल मिलता है.. ये पांच यज्ञ करनी होती है साथ मे जो गुरू नाम (मंत्र )भी जाप करना होता है..

नाम(मंत्र) क्या होता है???
जिस इष्टदेव की आप पूजा करते हो उसका एक गुप्त आदि नाम होता है उसको मंत्र(नाम) बोलते है.. उदाहरण - जैसे नाग बिन के वश होता है बिन बजते ही सावधान हो जाता है.. ऐसे ही ये देवता भगवान अपने अपने मंत्र के वश होते है ... नारद ने ध्रुव को ऐसा मंत्र दिया था ध्रुव ने ऐसी कसक के साथ जाप किया था 6 महीने मे बिषणु को बुला दिया था..ये 5 यज्ञ करना और साथ मे गुरूमंत्र का जाप करना ही पूजा करलाती है.. उदाहरण के लिए - आपका शरीर समझो खेत है .. पूजा मे ये गुरूमंत्र समझो बीज है ये पांच यज्ञ समझो खाद पानी निराई गुडाई है...
अगर आप गुरूमंत्र जापकर रहे हो पांचो यज्ञ नही कर रहे हो तो आप ऐसे हो -- जैसे आप खेत मे बीज डाल रहे है खाद पानी नही दोगे तो बीज नही होगा.. आपका बीज डालना व्यर्थ है... और अगर आपने गुरूमंत्र नही लिया है केवल पांच यज्ञ ही कर रहे हो तो ऐसा है... जैसे खेत मे खाद पानी डाल रहे हो बीज आपने डाला ही नही तो खाद पानी डालना व्यर्थ है.. उससे घास फूस झाडिया ही उगेगी...फसल नही जैसे खेत मे बीज और खाद पानी डालना जरूरी है, वैसे ही भगवान की पूजा भगती मे गुरूमंत्र(बीज) और पांचो यज्ञ (खाद पानी) करने जरूरी है... रामपाल जी महाराज कबीर साहेब ने ऐसे पूजा करने को कहा है.. ये गीता वेद शास्त्रो मे ऐसे ही लिखी है... लेकिन हिन्दू धर्म के लोग इसके विपरीत कर रहे है ना तो वो गुरू बनाते है

राम कृष्ण मीरा घ्रुव पहलाद सबने गुरू बनाया क्या वो पागल थे..??

 जिस इष्टदेव की पूजा करते है उनका मंत्र इनके पास नही है.. मंदिर की घंटी बजा कर फुल चढा कर पाच रूपये का प्रसाद बाटकर पूजा समझते है.. ओस के चाटने से प्यास नही बुझती....रामपाल जी महाराज हमे सभी देवी देवताओ का आदर सत्कार करने को बोलते है... हम हिन्दू धर्म, वेद गीता , देवी देवताओ सबको मानते है सबका सत्कार करते हैा जैसे पतिवर्ता औरत पूजा अपने पति की करती है बाकी देवर जेठ जेठानी देवरानी सास ससुर सबका आदर करती है.. ऐसे ही हम पूजा कबीर साहेब पूर्णब्रह्म की करते है और सभी देवी देवता ब्रह्मा विषणु शिव दुर्गा ब्रह्म परब्रह्म सबका आदर सत्कार करते है.... ये संसार एक पेड की तरह है ये संसार के लोग संसार रूपी पेड के पत्ते है ३३ करोड देवी देवता छोटी छोटी टहनिया है..आगे ब्रह्मा बिषणु शिव तीन मोटी शाखा है आगे ब्रह्म( काल) निरंजन डार है आगे परब्रह्म तना है अागे पूर्णब्रह्म (कविर्देव) कबीर साहेब संसार रूपी पेड की जड है.... संत रामपाल जी महाराज ये नही कहते कि इन टहनी पत्तो डार शाखा को काट दो मतलब इन देवी देवताओ को छोड दो.. संत रामपाल जी ये कहते है आप केवल जड मे पानी डालो मतलब पूर्णब्रह्म कबीर साहेब की पूजा करो... जड पूरे पेड का center है जड के सामने सारे टहनी पत्ते शाखा डार तना सब भिखारी है.. जड मे पानी डालने से पूरे पेड को आहार मिलेगा पूरे पेड का विकास होगा.. एक पूर्णब्रह्म के सामने सब भिखारी है एक पूर्णब्रह्म की पूजा मे सब की पूजा हो जाती है जैसे जड मे पानी डालने से पूरे पेड का विकास हो जाता है... ये साधना शास्त्रानुकूल साधना है..

कबीर - एक साधे सब सधे, सब साधे सब जावे...
माली सिंचे मूल को फले फूले अंगाहे...
लेकिन दुनिया वाले क्या कर रहे है देवी देवताओ को पूजते है ये तो ऐसे है टहनी और शाखाओ मे पानी देना... जड मूल(पूर्णब्रह्म) का लोगो को मालूम नही है.. जड को छोड टहनियो शाखाओ मे पानी दोगे तो पेड सूखेगा ही... ये शास्त्रविरूद्ध साधना है.. ये तो ओस चाटना है ओस चाटने से प्यास नही बुझती..

Wednesday, June 1, 2016

अबस्य बुझ्नुहोस्

1) भगवान ब्रह्मा, बिष्णु र शंकर का माता पिता को हुन ?

2) दुर्गा माता शेरावाली/अष्टाङ्गी) का पति को हुन ? 

3) प्राणीहरूको जन्म र मृत्यु कुन भगवान को स्वार्थपूर्तीका लागि हुन्छ ? 

मानव चोला के का लागिहो ? 

4) पूर्ण सन्त को पहिचान कसरी गर्ने ? 

5) ब्रह्मा, बिष्णु र महेश्वर कस्को भक्ति गर्नु हुन्छ ? 

6) देव देवीको भक्ति गर्दा गर्दै पनि मानव किन दु:खी नै रहेका छन् ? 

7) परमात्मा निरकार छन् की आकारमा छन ? 

8) परमात्मा को हो ? कहाँ रहन्छन ? कसरी पाउने ? के कसैले भेटेका छन् त परमात्मालाई ? 

9) जो कोहि पनि गुरुको शरणमा पर्दैमा मुक्ति पाईन्छ त ? सदगुरु को पहिचान के हो ?
10) मोक्ष प्राप्ती को पथ् कुन हो ? 

11) भगवान श्रीकृष्ण काल होइनन भने गीतामा भनिएका काल को हुन ? 

12) हरे राम, हरे कृष्ण, हरि ॐ, वाहे गुरु, तीन नाम, पञ्चनाम जप्दैमा वा समाधी अभ्यास गरेर सुख, शान्ति र मोक्ष सम्भव छ अथवा छैन ? 

13) तीर्थ, व्रत, तर्पण, श्राद इत्यादी कर्म गर्नाले कुनै लाभ छ वा छैन ? (गीतानुसार) 

14) नास्त्रेदमसजी को भबिस्यवाणी सत्य
प्रमाणित भयो ? ============ 
"ईश, ईश्वर र परमेश्वर" को तत्वज्ञान तथा सत भक्ति हाम्रा पवित्र (चारै वेद, श्रीमद्भगवत गीता, छ: शास्त्र, अठार पुराण, गुरुग्रंथ, बाइबल र क़ुरान ) बाटशास्त्र प्रमाणित ज्ञानको  लागि "ज्ञान गंगा" पुस्तक वा www.jagatgurura mpalji.org मा अबस्य
पढ्नु, हेर्नु, होला

अगर आपके गुरु भगवान हैं तो वो जेल से बाहर क्यों नही आते?

जो पूण्य आत्माएं संत रामपाल जी महाराज के शिश्यों से बार बार ये स्वाल करते हैं के अगर आपके गुरु भगवान हैं तो वो जेल से बाहर क्यों नही आते?

हम आपके स्वाल का जवाब जरूर देंगे लेकिन उससे पहले आपको इतिहास पे एक नजर ढलवाते हैं।

1 सतोगुण प्रधान विष्णु जी के अवतार श्री कृष्ण जी का जन्म जेल में ही हुआ और पूरी उम्र उनकी युद्ध जितने में ही निकल गयी। महाभारत जैसा युद्ध जिसमे करोड़ों लोग मारे गए जिसमे उनके पक्ष की भी बहुत सी नेक आत्माएं मृत्यू को प्राप्त हुई थी, क्या वो उन युद्धों को टाल नही सकते थे। 
समझिये परमात्मा की वाणी से:-
श्री कृष्ण गोवर्धन धारयो, द्रोणागीरि हनुमान।
शेसनाग सब पृथ्वी धारी, इनमे कौन भगवान।।
परमात्मा कबीर जी कहते हैं के आपके द्वारा प्रचलित कथाएँ ही कहती हैं के श्री कृष्ण और हनुमान ने पहाड़ उठाये।और आप ही कहते हो के शेसनाग के फैन पे सारी पृथ्वी है तो भगवान कौन हुए धरती के एक छोटे से पहाड़ को उठाने वाले या पूरी पृथ्वी उठाने वाला?
2 सतोगुण प्रधान विष्णु जी के दूसरे अवतार श्री रामचंद्र जी अपनी पत्नी सीता को ढूंढते हुए रोते रहे।उसी समुन्दर को जहाज से पार करके एक राक्षस सीता माता को उठा ले गया लेकिन भगवान पुल बना रहे हैं। 

परमात्मा की वाणी है :-
समुदर पाट लंका गए, सीता के भरतार।
उन्हें अगस्त ऋषि पिय गए, इनमे कौन करतार।।
जिस समुदर को पार करने के लिए श्री रामचंद्र जी ने पुल इतनी मुश्किल से बनाया उस एक समुद्र नही बल्कि सातों समुद्रों को एक अगस्त नामक ऋषि अपनी सिद्धि से केवल एक घूंट में पी गए थे तो इन दोनों में बड़ा कौन हुआ? 
मालिक की दूसरी वाणी:-

काटे बंधन विपत्ति में, कठिन कियो संग्राम।
चिन्हो रे नर प्राणिया, वो गरुड़ बड़ो के राम।।
जिस गरुड़ ने मेघनाथ के नागपास में फंसे श्री राम जी और लक्षमण की जान बचाई वो बड़े हुए या राम?
अब आइये संतों पे आधरणीय नानक जी को उस समय लोगों ने भला बुरा कहा 13 महीने तक उस संत को जेल में रखा और आज सब मानते हैं के वो परमात्मा की प्यारी आत्मा थे।लेकिन उस समय हम उनके जीते जी उनका आदर ना कर सके। 

इशा मसीह जी को उस समय लोगों ने शरीर में कीलें ठोक ठोक के मारा आज आधा विश्व उनको मानता है।।लेकिन उस समय उनका आदर ना कर सके 

वो भी मुर्ख है जो कहता है की राम कृष्ण अवतार नही थे। वो तीन लोक के भगवान विष्णु के अवतार थे ।लेकिन हमे पूर्ण मोक्ष के लिये इनसे ऊपर के भगवान की तलास करनी है।

अब आपको बताते हैं के संत रामपाल जी महाराज क्यों चमत्कारी तरीके से जेल से बाहर नही आते ??

सतयुग द्वापर त्रेता और कलयुग के भी लगभग 200 साल पहले के टाइम तक संचार माध्यमों का अभाव था ,कोई भी घटना अगर यहां घटती है तो 200 से 400k m तक उस घटना की जानकारी फैलने में भी महीनो लग जाते थे। इसी लिए उस समय के संत या अवतार चमत्कार कर देते थे,क्योंकि व्यवस्था बनी रहती थी लोगों तक खबर भी एक साथ नही पहुंचती थी और खबर मिलने के बाद लोग भी एक साथ नही पहुंच पाते थे। लेकिन आज के इस साइंस युग में जब भारत के किसी कोने में हो रही घटना लाइव पुरे संसार में देखी जा रही है।और घंटों के अंदर लोग संसार में कहीं भी पहुंच जाते हैं तो ऎसे में क्या संत रामपाल जी महाराज के कोई चमत्कार दिखाने के बाद आप पुरे संसार को छोटे से हरियाणा में आप कंट्रोल कर पाएंगे। नही । मुर्ख मत बनिए ज्ञान को आधार बनाइये।

समय का इंतजार करें और समजे की ऐसा क्या ज्ञान है संत रामपाल जी महाराज का की उनके शिष्य उनके दूसरी बार जेल जाने के बाद भी पीछे हटने को त्यार नही ।

वो समय दूर नही जब पूरा संसार संत रामपाल जी महाराज के बताये मार्ग पे चलेगा। लेकिन इस समय को तरसेंगे वो लोग जो आज ये कहते हैं के अभी नही बाद में देखेंगे।और वो तो फुट फुट कर रोयेंगे जो आज निंदक बने बैठे हैं। उन्हें छुपने को जगह नही मिलेगी। हाथ जोड़ कर विनति के समय रहते ज्ञान को समझे।

उसके लिए 7:40से 8:40 pm तक साधना टीवी और सुबह 06 से 07 बजे तक हरियाणा न्यूज़ देखें।
ज्ञान गंगा पुस्तक पढ़ें और किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए आप किसी भी संत रामपाल जी महाराज के शिष्य से मिलिए।

हम सब परमात्मा के कुते आप पूण्य आत्माओं तक इस ज्ञान को पहुंचाने में हर संभव मदद के लिए तैयार बैठे है।

सत साहेब

मेरे तमाम शिक्षित भाई बहनो, माताओ व् बुजुर्गो से निवेदन है।

मेरे तमाम शिक्षित भाई बहनो, माताओ व् बुजुर्गो से निवेदन है। मैसेज पढ़कर चिंतन कर सको तो ही पढ़ना
हिन्दुस्थान के बुद्दिजीवियों, क्या जगतगुरु कहलाने वाले भारत का आध्यात्मिक पतन होने के उपरान्त अपनी अपनी बुद्दी का उपयोग करोगे ?

क्या परमात्मा द्वारा दी हुई इस अनमोल शिक्षा का उपयोग पशु पक्षीयो के शरीर प्राप्त होने बाद करोगे ?

क्या अपनी आगामी पीढ़ियों के भविष्य की चिंता ये अनमोल शरीर छूट जाने के बाद करोगे ?

जिस भगवान् और भक्ति के लिए तुम्हे ये मानव शरीर मिला है क्या इस काम को मारने के बाद करोगे ?

पढ़ो, चिंतन करो, और जागो आखिर कब तक अज्ञानता की नींद सोये रहोगे ?

हिन्दू धर्म के चारो शंकराचार्यो सहीत भारत के सभी धर्म गुरु ( जय गुरुदेव पंथ, राधा स्वामी, धन धन सतगुरु, डेरा सच्चा सौदा, निरंकारी, कबीर पंथी मधु परमहंस, प्रकाश मुनि, सभी नकली कबीर पंथी, मुस्लिम धर्म के प्रक्वता डा. जाकिर नाइक सभी सभी धर्म गुरु, जैन धर्म के धर्म धुरंदर सुरेश्वर जी महाराज समेत समस्त धर्म गुरु, सिक्ख धर्म के वर्तमान सभी धर्म गुरु, आर्य समाज व् उसके प्रवक्ता )

आखिर क्यों कतराते है, संत रामपाल जी के साथ खुले में आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा करने से।

आखिर क्यों संत रामपाल जी के साथ आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा के नाम पर सर्दियो में भी इनके शरीर से पसीना टपकने लगता है। आखिर ऐसी क्या वजह है की, संत रामपाल जी का नाम सुनते ही इन सभी अपने आपको सर्वश्रेष्ठ कहलाने वाले सभी धर्मो के धर्मगुरुओ का दम घुटने लगता है।

जानिए क्यों ?

सन् 2008 से लगातार, समाचार पत्रो, TV चैनलो, व् व्यक्तिगत निमन्त्रण के माध्यम से इन सभी उल्टा ज्ञान प्रचार करने वाले धर्म गुरुओ को संत रामपाल जी ने मानव समाज के उद्धार उत्थान हेतु आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा के लिए जब भी आमन्त्रित करते है, ये सभी मानव समाज के दुश्मन (सर्व धर्मो के धर्मगुरु) चूहे के माफिक बिलो में गहरे घुस जाते है अर्थात उनके निमन्त्रण का जवाब तक देने की हिम्मत नहीं कर पाते है।

सदियो से धर्म के नाम पर अनेको पाखंड मत बनाकर,
शब्द मीठी भाषा में संस्कृत के सुनाकर,
हमारे भोले भाले अनपढ़ पूर्वजो को ये धर्म के नकली विद्वान इसलिए मुर्ख बनाते रहे,
क्योंकि वे इनको धर्मशास्त्रो के प्रकांड विद्वान समझकर इन मूर्खो की बातो पर विचार ना करके केवल विस्वास करते रहे।
जिसका आजतक ये पाखंडी बखूबी फायदा उठाते आ रहे है।
धर्मशास्त्रो का हवाला देकर पाखंड की नीव पर तैयार किये गए इनके आध्यात्मिकता के झूठे महलो की थोथली ईटो को, जब से संत रामपाल जी ने उन्ही धर्मशास्त्रो को खुले में शिक्षित समाज को दिखाकर उखाड़नी शुरू की है तब से इन धर्म के ठेकेदारो का दिन का चैन और रात की नींद उड़नी शुरू हो गई।

और साथ ही शुरू हो गई इनकी प्लानिंग, की आखिर कैसे संत रामपाल का सच बोलता मुँह बंद किया जाए। आखिर कैसे संत रामपाल को समाज के सामने बदनाम किया जाए। कैसे तत्त्वज्ञान का सत् उपदेश देने वाले परमसंत को झूठा साबित किया जाए।


कहते है। बेटा बाप से चतुराई व् नीचता में तो आगे निकल सकता है लेकिन ज्ञान और अनुभव में नहीं।
और वो

चतुराई व् नीचता भरा दुष्कर्म, 18 नवंबर 2014 को मंदबुध्दि हरियाणा प्रसासन के साथ मिलकर इन समाज के चंद ठेकेदारो ने कभी ना भुलाये जाने वाले "बरवाला काण्ड" के रूप में करवा डाला।

1. मानव मात्र में परस्पर विष घोलती, व् समाज को दिन ब् दिन दलदल में धकेल रही पाखंडवाद पर आधारित कुरूतियों जैसे दहेज प्रथा, बाल विवाह, भूर्ण हत्या, जातिवाद, व् लाखो नशे के आदि हो चुके नोजवानो को जीने की सही दिशा देकर एक आदर्श समाज व् देश का निर्माण कर रहे परमसंत को यदि "देशद्रोह"का इनाम दिया जाता है तो फिर हिंदुस्तान का बच्चा बच्चा देशद्रोही है।

2. कुमार्ग पर चल रहे देश दुनिया के शिक्षित युवावो का नशा, जूआ, चोरी, रिश्वतखोरी व् हरामखोरी जैसी भयंकर बुराइयो को छुड़वाकर नेकनीति व् ईमानदारी के रास्ते पर चलाने वाले परमसंत को यदि "बलात्कारी" का इनाम दिया जाता है तो फिर हिन्दुस्थान का बच्चा बच्चा बलात्कारी है।

जागो और सवाल करो इन पाखंडी धर्मगुरुओ से, जो इन बिकाऊ मीडिया चैनलो पर दिन रात पागलो की तरह सुनी सुनाई बाते भोंकते रहते है जिनकी बातो का ना कोई सार है ना सारांश।

पूछो इन पाखंडियो से जब द्वापर युग में वेदव्यास सहित सभी ऋषि मुनियो ने राजा परीक्षित को ये कहकर भगवत की कथा सुनाने से इनकार कर दिया था की हम ये कथा सुनाने के अधिकारी नहीं है तो फिर इस कलयुग में तुम्हे किसने भागवत और रामायण का पाठ करने का लाइसेंस दे दिया।

पूछो इन पाखंडियो से जब तुम्हारे तीनो भगवान् ब्रह्मा विष्णु महेश स्वयं कह रहे है की हमारी जन्म और मृत्यु होती है हम पूर्ण भगवान् नहीं है, तो फिर पूर्ण परमात्मा कौन है कैसा है कहा रहता है और कैसे मिलता है
(श्री मद देवी भागवत देवी पुराण 6 वा अध्याय, तीसरा स्कन्द, पेज नंबर 123,)

पूछो इन पाखंडियो से जब गीता जी मना कर रही है की व्रत करने वाले, श्राद्ध निकालने वाले और देवी देवताओ की पूजा करने वालो को ना कोई सुख होता है ना ही मारने पर उनकी गति (मोक्ष) होती है। ( 6 वा अध्याय 16 वा श्लोक)

पूछो इन पाखंडियो से जिन 33 करोड़ देवी देवताओ को श्री लंका के राजा रावण ने अपनी कैद में डाल रखा था फिर क्यों सदियो से हमसे बेबस देवी देवता पूजवाते आ रहे हो।

पूछो इन पाखंडियो से जिस स्वर्ग के राजा इंद्र ने, रावण के स्वर्ग पर हमला करके उसे हराने पर अपनी पुत्री की शादी रावण के बेटे मेघनाथ से करके अपने प्राणों की रक्षा की। फिर किसलिए हमें मारने के बाद स्वर्ग भेजने की बात करते है।

पूछो इन पाखंडियो से, जब दशरथ पुत्र रामचंद्र का जन्म त्रेता युग में हुआ तो फिर सतयुग में राम कौन था।

पूछो इन पाखंडियो से श्री कृष्ण का जन्म आज से 5500 वर्ष पहले द्वापर युग में हूवा था । जबकि त्रेता व् सतयुग के इंसान तो जानते भी नहीं थे की कृष्ण कौन है फिर ये कैसे पूर्ण भगवान् हुए।

पूछो इन पाखंडियो से ये कहते है की वेदों में भगवान् की महिमा है। फिर वेदों में कबीर (कविर्देव) के अलावा 33 करोड़ देवी देवताओ, राम, कृष्ण, व् ब्रह्मा विष्णु महेश दुर्गा किसी का भी नाम तक क्यों नहीं है।

पूछो इन पाखंडियो से गीता जी अध्याय नंबर 11 के श्लोक 32 मे श्री कृष्ण जी कहते है की अर्जुन मै काल हु और सबको खाने आया हु। श्री कृष्ण अपने को काल कह रहा है फिर ये पाखंडी उसे जबरदस्ती भगवान् क्यों बना रहे है।

और भी ना जाने कितने सवाल जिनके जवाब इनके पास नहीं है।

अब तक तो आपजी भी समझ चुके होने की संत रामपाल जी के सामने आकर ज्ञान चर्चा करने की क्यों इनकी हिम्मत नहीं होती है।

आपजी इन पाखंडियो से पूछेंगे या नहीं, ये तो आपका अपना फैसला होगा।

लेकिन हिन्दुस्तान का नागरिक होने के नाते मै आपसे पूछता हु। यदि आपजी ने अब भी विचार नहीं किया तो आप पढ़कर भी अनपढ़ रहे। इस शिक्षा से कमाया हुआ धन आपके साथ कभी नहीं जायेगा लेकिन पूर्ण संत की शरण लेकर कमाया भक्ति धन कई गुना होकर आपजी के साथ जायेगा।

जब पृथ्वी पर पूर्ण संत आ चूका है तो मत फंसो इन पाखंडियो के जाल में यदि फसे हुए हो तुरंत निकल जावो वहा से वरना ये स्वयं तो नर्क में जायेंगे ही जायेंगे तुम्हे भी साथ लेकर जायेंगे। और तुम्हारे बच्चों को भी तैयार कर जायेंगे।

यदि संत रामपाल जी को जेल में देखकर अभी भी शंका हो तो याद करलो त्रेता में रामचंद्र को भी 14 वर्ष तक जेल काटनी पड़ी थी।
सीता जी को भी 12 वर्ष तक भूखी प्यासी अधनंगे कपड़ो में रावण की जेल काटनी पड़ी थी।

द्वापर में श्री कृष्ण का तो जन्म ही जेल में हुआ था।

यदि आप इसे उनकी लीला कहते हो तो कोई बड़ी बात नहीं आने वाले समय में संत रामपाल जी का भी इतिहास बन जायेगा। लेकिन उनके चले जाने के बाद उनके आश्रमो में वे नहीं मिलेंगे केवल पश्चाताप मिलेगा।
लेकिन अभी समय है। जाग जाओ औरो को भी जगाओ भगवान् आएगा तो कोई सींग लगाकर नहीं आएगा जो अलग ही दिखाई दे।

उसे ज्ञान आधार से पहचानने के लिए ही तो आज आपजी को उसने शिक्षित किया है।

ये किसी की निंदा नही है इस पर विचार करने का विषय है
सत् साहेब।।  Arun Dass

Tuesday, March 22, 2016

क्या मेरे सवाल का जबाब है किसी के पास?

क्या मेरे सवाल का जबाब है किसी के पास
1 दुर्गा जी का पति कौन है।
2 यदि पति नहीं है तो माँग में सिन्दूर क्यों लगातीं हैं। लाल चुनरी क्यों पहनती है।
3 इनके पुत्र कौन हैं। यदि पुत्र नहीं तो माँ क्यों कहते हैं। और हैं तो कौन है।
4 क्या ये परमात्मा है। यदि नहीं तो परमात्मा कोण है।
अवश्य जानिए "सत्य क्या है?"
(1) ब्रह्मा विष्णु महेश के माता पिता कौन
हैं?
(2) दुर्गा अष्टांगी(अम्बे, शेरांवाली)
का पति कौन है?
(3) हम को जन्म देने व मारने मे किस प्रभु
का स्वार्थ है?
(4) हम सभी देवी देवताओं
की इतनी भक्ति करते है फिर
भी दुखी क्यों हैं?
(5) ब्रह्मा विष्णु महेश किसकी भक्ति करते है?
(6) परमेश्वर साकार है या निराकार?
(7) परम संत की क्या पहचान है?
(8) पूर्ण मोक्ष कैसे मिलेगा?
(9) किसी भी गुरू से नाम दीक्षा लेने से
मुक्ति संभव है या नहीं?
(10) तीर्थ ,व्रत ,तर्पण , भूत पूजा या श्राद्ध
निकालने से मुक्ति संभव है या नही?
(11)पवित्र गीता जी का ज्ञान किसने
कहा?
(12) समाधि अभ्यास, हरे राम, हरेकृष्ण, राधे
राधे, हरिओम, हंस, तीन व पाँच नामों के जाप
से मुक्ति संभव है या नहीं?
(13) कौन तथा कैसा है? कहाँ रहता है? कैसे
मिलता है? किसने देखा है पूर्ण परमात्मा?
(14) ब्रह्मा की पूजा क्यों नही होती है?
(15) ज्योति निरंजन को एक लाख मानव
धारी प्राणिओं के सूक्ष्म शरीर को खाने
तथा सवा लाख पैदा करने की श्राप
क्यों लगी?
(16) सन् 2020 मे क्या होगा?
(17) सतयुग कब आने वाला है?
(18) धरती पर अवतार आ चुका है वह कौन है?
(19) कलयुग कितना बीत चुका है?
(20) ब्रह्मा विष्णु महेश दुर्गा आदि से ऊपर
कोई और परमेश्वर है वह कौन है?
(21) पूर्ण परमात्मा कैसी लीला करता है?
(22)समुद्र पर पुल किसने बनाया था?
(23) सृष्टि की रचना कैसे हुई?
(24) हम सभी आत्मायें कहाँ से आईं है?
(25) हम अपने परमेश्वर से कैसे बिछुड़ गये?
(26)नास्तरेदमस, फ्लोरेंस, भक्त प्रहलाद,
जयगुरूदेव, गरीब दास , कबीर परमेश्वर
की भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुईं?
(27) आपकी जन्म व मृत्यू मिट सकती है लेकिन
कैसे?
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से समाज में विश्व कल्याण हेतु फ्री वितरितजगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराजविश्व के सभी धर्म गुरूओ को आध्यात्मिक
ज्ञान चर्चा के लिए सादर आमंत्रित करते है ।
यदि कोई भी आध्यात्मिक गुरू आध्यात्मिक
ज्ञान चर्चा के लिए नहीं आते है
तो यही समझा जायेगा कि आप सभी धर्म
गुरूओ ने अपनी हार स्वीकार कर ली है ।
तथा आपके पास यथार्थ भक्ति मार्ग नहीं है ।
आखिर किस बात का डर सता रहा है इन
आध्यात्मिक गुरूओ (जैसे-गुरमीत जी महाराज,
कृपालू जी, निरंकारी, ब्रह्मा कुमारी,
राधास्वामी पंथ के सभी संत, हिन्दी धर्म के
सभी संत, मुस्लिम धर्म के सभी प्रवक्ता, नानक
पंथी आदि) को संत रामपाल जी महाराज के
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पास सत ज्ञान है तो आइये संत रामपाल
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चर्चा के मैदान में ।यदि आप नहीं आते है
तो आपके पास यथार्थ भक्ति नहीं है ।जिसके
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9165619411 (आशा है कि आप इस पर अवश्य
टिप्पणी देंगे) सत साहिब
Jagat Guru Rampal Ji Maharaj
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