.जीभ जन्म से होती है और मृत्यु तक रहती है...
..क्योकि वो कोमल होती है. दाँत जन्म के बाद में आते है और मृत्यु से पहले चले जाते हैं..क्योकि वो कठोर होते है। छोटा बनके रहोगे तो मिलेगी हर बड़ी रहमत...बड़ा होने पर तो माँ भी गोद से उतार देती है. पानी के बिना नदी बेकार है,अतिथि के बिना आँगन बेकार है,प्रेम न हो तो सगे-सम्बन्धी बेकार है,पैसा न हो तो पाकेट बेकार है,और जीवन में गुरु न हो तो जीवन बेकार है,,इसलिए जीवन में"गुरु"जरुरी है.. "गुरुर" नही
..क्योकि वो कोमल होती है. दाँत जन्म के बाद में आते है और मृत्यु से पहले चले जाते हैं..क्योकि वो कठोर होते है। छोटा बनके रहोगे तो मिलेगी हर बड़ी रहमत...बड़ा होने पर तो माँ भी गोद से उतार देती है. पानी के बिना नदी बेकार है,अतिथि के बिना आँगन बेकार है,प्रेम न हो तो सगे-सम्बन्धी बेकार है,पैसा न हो तो पाकेट बेकार है,और जीवन में गुरु न हो तो जीवन बेकार है,,इसलिए जीवन में"गुरु"जरुरी है.. "गुरुर" नही
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