कई मायनों में यह आपके लिए नुकसानदेय हो सकता है।
भक्तिकाल के प्रसिद्घ संत कवि कबीरदास जी ने कहा है कि—
'नारी निरखि न देखिए, निरखि न किजै दौर।
देखत ही ते विष चढ़ै, मन आवे कछु और।।'
देखत ही ते विष चढ़ै, मन आवे कछु और।।'
यानी स्त्रियों को कभी भी घूरकर नहीं देखना चाहिए। और
अगर देख लिया तो भूलकर भी उनके पीछे दौरना नहीं चाहिए। इसका कारण यह है कि नारी
ऐसी होती है जिन्हें देखने मात्र से विष चढ़ जाता है और मन में कुविचार आने लगता
है।
यहां कबीर दास जी ने विष शब्द का प्रयोग इसलिए किया है क्योंकि विष से जैसे शरीर का क्षय होने लगता है उसी प्रकार सुंदर स्त्रियों को देखकर मन में काम भाव जागृत होने लगता है।
यहां कबीर दास जी ने विष शब्द का प्रयोग इसलिए किया है क्योंकि विष से जैसे शरीर का क्षय होने लगता है उसी प्रकार सुंदर स्त्रियों को देखकर मन में काम भाव जागृत होने लगता है।
काम भाव के जगने से दूषित और मलीन होने लगता है। व्यक्ति
में अच्छे बुरे के बीच भेद करने की शक्ति नष्ट होने लगती है और कई बार इंसान गलत
कदम उठा लेता है। इसलिए नारी को घूरकर देखने की मनाही करते हैं
कबीरदास जी कहते हैं
कबीरदास जी कहते हैं
'नारी मदन तालबड़ी, भवसागर की पाल।
नर मच्छा के कारने, जीवत मांड़ी जाल।।
नर मच्छा के कारने, जीवत मांड़ी जाल।।
कबीरदास जी अपने इस दोहे के माध्यम से स्त्री रुप के मोह
में फंसे पुरुषों को बताते हैं कि स्त्री वासना का सरोवर है और इसने वासना और काम
भाव में डूबे पुरुषों को फंसाने के लिए अपना जाल बिछा रखा है जिसने इस जाल की
अनदेखी की और सरोवर में डुबकी लगायी उसकी नैय्या कभी पार नहीं लग सकती। वास्तव
ईश्वर ने इस भवसागर में मनुष्यों को परखने के लिए स्त्री रुपी सरोवर और जाल को डाल
रखा है। जो मनुष्य इस रहस्य को समझकर जाल में उलझने से बच जाते हैं उनकी नैय्या
पार लग जाती है और वह ईश्वर के पास पहुंच जाते हैं।
लेकिन इन सब बातों से नारी की निंदा का ख्याल भी मन में नहीं लाइएगा, क्योंकि नारी रत्नों की खान है यह बात कबीर दास जी अपने अगले दोहे इस प्रकार व्यक्त करते हैं।
लेकिन इन सब बातों से नारी की निंदा का ख्याल भी मन में नहीं लाइएगा, क्योंकि नारी रत्नों की खान है यह बात कबीर दास जी अपने अगले दोहे इस प्रकार व्यक्त करते हैं।
'नारी निंदा न करो, नारी रतन की खान।
नारी से नर होत हैं, ध्रुव प्रह्लाद समान।।
नारी से नर होत हैं, ध्रुव प्रह्लाद समान।।
यानी नारी का कभी अपमान नहीं करना चाहिए, नारी के प्रति कभी भी
कुदृष्टि नहीं रखनी चाहिए क्योंकि नारी गुणों की खान है। इस खान से कई महान
व्यक्तियों ने जन्म लिया है जिनमें ध्रुव और प्रह्लाह शामिल हैं।
यानी सब कुछ मनुष्य की दृष्टि पर निर्भर है अगर आप नारी
के प्रति सम्मान का भाव रखेंगे तो वह आपको मुक्ति की ओर ले जा सकती है और अगर
कुदृष्टि डालेंगे उन्हें घूरेंगे तो वही नारी आपको नरक का राह भी दिखा सकती है।
इसलिए अब तय आपको करना है कि नारी को घूरेंगे या उनका सम्मान करेंगे।
No comments:
Post a Comment