Saturday, January 2, 2016

पांच बरस का भोला-भाला, बीस में जवान भयो। तीस बरस में माया के कारण,देश विदेश गयो।



टेक-उमरिया धोखे में खोये दियो रे।
धोखे में खोये दियो रे।।


1.पांच बरस का भोला-भाला, बीस में जवान भयो।
तीस बरस में माया के कारण,देश विदेश गयो।
अर्थात-साहेब कहते है की पांच वर्ष की आयु में बच्चा होते है और खेल कूद में खो देते है और जब बिस वर्ष की आयु होती है तब नींद में खो देते है और जब तिस वर्ष आयु होती है तो देश विदेश धन के कारन गुमते रहते है।।

2.चालिस बरस अन्त अब लागे, बाढ़ै मोह
गयो।
धन धाम पुत्र के कारण,निस दिन सोच
भयो।।
अर्थात-इस पंक्ति में क्या बतलाते है की जब चालिश की आयु होती है उस उम्र में फिर धन पुत्र बहू इनकी ही सोच में निकल जाती है तब भी विचार नही लगते है की उम्र बीत रही है।।

3.बरस पचास कमर भई टेढ़ी, सोचत खाट परयो।
लड़का बहुरी बोलन लागे, बूढ़ा मर न गयो।।
अर्थात-साहेब कहते है जब जब पचास की उम्र होती है और जब कमर टेडी हो जाती है फिर कोई नही पूछता उस समय ध्यान आता है की उम्र दोखे में ही खो दी ना कोई सुभ क्रम किया ना कभी साधू की संगत की और घर में बेटा बहू बोलते है की बूढ़ा मर तो नही गया बार बार देखने आते है।

4.बरस साठ-सत्तर के भीतर, केश सफेद भयो।
वात पित कफ घेर लियो है, नैनन निर बहो।
अर्थात-इस पंक्ति में क्या बतलाते है की जब 60-70 की आयु होती है बाल सफ़ेद हो जाते है और बीमारी घेर लेती है और दुःख होता है और आँखों से नीर आंसू निकलते है और तब उस मालिक की याद अति है और फिर ध्यान आता है की उम्र तो दोखे में ही खो दी।

5.न हरि भक्ति न साधो की संगत, न शुभ कर्म कियो।
कहै कबीर सुनो भाई साधो, चोला छुट। गयो।।.
अर्थात-अंत में साहेब क्या कहते है की ना तो कभी सत्संग में आये गए और ना ही कभी साधू संगत की और साडी उम्र दोखे में ही खो दी और अंत में ये मानुस जन्म जो अनमोल मिला था कोडी के धाम खो दिया।।

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