सांई मेरा बाणियां, सहजि करै ब्यौपार ।
बिन डांडी बिन पालड़ैं, तोले सब संसार ॥
भावार्थ - ऐसा बनिया है मेरा स्वामी, जिसका
व्यापार सहज ही चल रहा है ।
उसकी तराजू में न तो डांडी है
और न पलड़े फिर भी वह सारे संसार को तौल
रहा है, सबको न्याय दे रहा है ।
साईं सूं सब होत है, बंदै थैं कुछ नाहिं ।
राईं थैं परबत कषै, परबत राई माहिं ॥
भावार्थ - स्वामी ही मेरा समर्थ
है, वह सब कुछ कर सकता है उसके इस बन्दे से
कुछ भी नहीं होने का ।वह राई
से पर्वत कर देता है और उसके इशारे से पर्वत
भी राई में समा जाता है
बिन डांडी बिन पालड़ैं, तोले सब संसार ॥
भावार्थ - ऐसा बनिया है मेरा स्वामी, जिसका
व्यापार सहज ही चल रहा है ।
उसकी तराजू में न तो डांडी है
और न पलड़े फिर भी वह सारे संसार को तौल
रहा है, सबको न्याय दे रहा है ।
साईं सूं सब होत है, बंदै थैं कुछ नाहिं ।
राईं थैं परबत कषै, परबत राई माहिं ॥
भावार्थ - स्वामी ही मेरा समर्थ
है, वह सब कुछ कर सकता है उसके इस बन्दे से
कुछ भी नहीं होने का ।वह राई
से पर्वत कर देता है और उसके इशारे से पर्वत
भी राई में समा जाता है
No comments:
Post a Comment