Friday, May 27, 2016

परमातमा साकार है या निराकार ....????

 परमातमा साकार है या निराकार ....????


प्रथम साकार का अर्थ है - कि जिस चीज के दर्शन ,स्पर्श, रंग , रूप , हो यह सब साकार वस्तु के लक्षण है ।



निर आकार का अर्थ है - जिस वस्तु के दर्शन ना हो सकते हो , अरूप , अरंग , जो किसी विषेश स्थान पर न रहता हो । अदेश हो , बिना नाम का हो जिसको स्पर्श न हो सकते हो वो वस्तु निरकार है।


परमात्मा को सभी वेदो ने सिद्य कर दिया कि परमात्मा कविर्देव है और साकार है । महापुरूषों ने जिन्होने परमात्मा पाया उनहोने बताया परमातमा कविर देव ही हैं और साकार है । परंतु समाज के 95% प्रतिशत संत आज भी परमात्मा को निरकार माने हुए है । इन संतो को मानना है कि परमेशवर का सिर्फ प्रकाश ही प्रकाश है । वो कभी शरीर मे नही आता । फिर वोही लोग कहते है ति परमात्मा तखत पर बैठा है । निरकार वस्तु कहीं विशेष जगह पर मोजद नही होती । जिनको मालिक मिले उनहोने अपनी वाणी मे बहुत महिमा गाइ । इन संतो ने वो वाणी पढी और अपने आप ही निक्रश निकाल कर परमातमा को निरकार कह डाला । वास्तवीकता है कि परमातमा साकार है । पर महापुरूषो की वाणी मे बहुत सी जगह निराकार शब्द का प्रयोग भी है । लेकिन इस वाणी को समजंना सिर्फ सतगुरू का ही काम था ।
जहाँ भी वाणी मे निराकार कहा है उसका अर्थ है । कि जेसै
Tube's light - Tubelight
Sun's light - sunlight
God's light - godlight

परमातमा का प्रकाश है । जैसे light निरकार है पर जो thermal plant है वो तो साकार है ना । संतो ने परमातमा की शक्ति को निरकार कहा है । जेसे फुल साकार है पर खुशबु निरकार है । सुर्य साकार है पर उसका प्रकाश निरकार है । जेसै परमातमा कि वो निरकार शक्ति सभी को प्रभावित कर रही है । इसाई धर्म के लोग कहते है कि परमातमा निरकार है प्रथम परमातमा निरकार है तो धरती पर या कहीँ भी मोजुद नही हो सकता ।
सभी से निवेदन है कि एक बार फिर विचार करें और संत रामपाल जी महाराज जी से नाम लेकर कलयाण करवाए ।।।।।

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