कबीर, गुरु महिमा गावत सदा, मन राखो अतिमोद ।
सो भव फिर आवै नहीं, बैठे प्रभू की गोद ।।
कबीर साहिब कहते है जो प्राणी गुरु की महिमा का सदैव बखान करता फिरता है और उनके आदेशों का प्रसन्नता पूर्वक पालन करता है उस प्राणी का पुनःइस भव बन्धन रुपी संसार मे आवागमन नहीं होता । संसार के भव चक्र से मुक्त होकर सतलोक को प्राप्त होता है ।
सो भव फिर आवै नहीं, बैठे प्रभू की गोद ।।
कबीर साहिब कहते है जो प्राणी गुरु की महिमा का सदैव बखान करता फिरता है और उनके आदेशों का प्रसन्नता पूर्वक पालन करता है उस प्राणी का पुनःइस भव बन्धन रुपी संसार मे आवागमन नहीं होता । संसार के भव चक्र से मुक्त होकर सतलोक को प्राप्त होता है ।
कबीर जैसी प्रीती कुटुम्ब की, तैसी गुरु सों होय ।
कहैं कबीर ता दास का, पला न पकडै कोय ।।
हे मानव । जैसा तुम अपने परिवार से करते हो वैसा ही प्रेम गुरु से करो । जीवन की समस्त बाधाएँ मिट जायेंगी । कबीर जी कहते हैं कि ऐसे सेवक की कोई मायारूपी बन्धन में नहीं बांध सकता , उसे मोक्ष प्राप्ती होगी, इसमें कोई संदेह नहीं ।
कहैं कबीर ता दास का, पला न पकडै कोय ।।
हे मानव । जैसा तुम अपने परिवार से करते हो वैसा ही प्रेम गुरु से करो । जीवन की समस्त बाधाएँ मिट जायेंगी । कबीर जी कहते हैं कि ऐसे सेवक की कोई मायारूपी बन्धन में नहीं बांध सकता , उसे मोक्ष प्राप्ती होगी, इसमें कोई संदेह नहीं ।
कबीर, भूखा भूखा क्या करे , क्या सुनावे लोग ।
भांडा घड़ा निज मुख दिया , सोई पूरण जोग ।।
तू अपने को भूखा भूखा कहकर लोगों को क्या सुनाता फिरता है क्या लोग तेरी क्षुधा भा देंगे । जिस परम पिता परमेश्वर ने तुझे मुंह दिया है । उस पर विश्वास रख । वही तेरे पेट भर ने का साधन भी देगा ।
बंदीछोड सतगुरू रामपाल जी की जय हो..........
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