सतगुरु पुरुष कबीर हैं, चारों युग प्रवान। झूठे गुरुवा मर गए, हो गए भूत मसान।।
-गरीबदास जी
और संत सब कूप हैं, केते झरिता नीर। दादू अगम अपार है, दरिया सत्य कबीर।।
-दादु दयाल जी
-दादु दयाल जी
वाणी अरबो खरवो, ग्रन्थ कोटी हजार। करता पुरुष कबीर, रहै नाभे विचार।।
-नाभादास जी
-नाभादास जी
साहेब कबीर समर्थ है, आदी अन्त सर्व काल। ज्ञान गम्या से देदीया, कहै रैदास दयाल॥
-रैदास जी
-रैदास जी
नौ नाथ चौरसी सिद्धा, इनका अन्धा ज्ञान। अवीचल ज्ञान कबीर का, यो गति विरला जान॥
-गोरखनाथ जी
-गोरखनाथ जी
खालक आदम सिरजिआ आलम बडा कबीर॥ काइम दिइम कुदरती सिर पीरा दे पीर॥ सयदे (सजदे) करे खुदाई नू आलम बडा कबीर॥
-नानक जी
-नानक जी
बाजा बाजा रहितका, परा नगरमे शोर। सतगुरू खसम कबीर है, नजर न आवै और॥
-धर्मदास जी
-धर्मदास जी
सन्त अनेक सन्सार मे, सतगुरू सत्य कबीर। जगजीवन आप कहत है, सुरती निरती के तीर॥
-जगजीवन जी
-जगजीवन जी
तुम स्वामी मै बाल बुद्धि, भर्म कर्म किये नाश। कहै रामानन्द निज ब्रह्म तुम, हमरा दुढ विश्वास।।
-रामानन्द जी
-रामानन्द जी
कबीर इस संसार को, समझांऊ के बार । पूंछ जो पकङे भेड़ की, उतरया चाहे पार ॥
-कबीर साहेब**
-कबीर साहेब**
सत् साहेब..
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