अगर बरवाला काण्ड के बाद जब कभी भी मैनेजमेंट से यह पूछा जाता था की जिन 5 6 भगत आत्माओं की मौतें हुई उन्होंने कौनसी गलती करके मालिक की मर्यादा तोड़ी थी जो उनकी अकाल मृत्यु हुई।
तो मैनेजमेंट का जवाब आता था की यह मालिक की लीला थी , इन सभी भक्तों ने सेवा करते हुए शरीर छोड़ा था इसलिए सभी पुण्य कमाकर सतलोकवासी हो गए। और फिर दूसरी तरफ इन्होंने यह भी कहा की इस काण्ड में तो कई हजारों मौतें होनी थी जो की मालिक ने लीला करके टाल दी।
तो इससे यहाँ भी दोगलेपनका पता लगता है।
इनके अनुसार तो वो 6 भगत आत्माएं अकाल मृत्यु से भी सतलोक चली गई क्योंकि उनकी मृत्यु मालिक की सेवा के दौरान हुई थी।
लेकिन यहाँ प्रश्न यह उठता है की यदि सेवा करते हुए अकाल मृत्यु होने पर भी सतलोक जाया जा सकता था तो फिर मालिक ने आश्रम में मौजूद कई हजारों भक्तों की होने वाली मृत्यु को क्यों टाल दिया, मालिक तो उसी वक़्त हजारों लाखों भक्तों को एक ही झटके में सतलोक ले जा सकते थे फिर परमात्मा ने यह लीला क्यों टाली।
हमें सतलोक ले जाने के लिये ही तो मालिक इस मृतलोक में इतने कष्ट सहन कर रहे हैं और हमने भी सारा समाज सतलोक जाने के लिए ही छोड़ा है।
क्या मालिक को केवल उन्हीं 6 भक्तों से विशेष प्रेम था जो मालिक सिर्फ उन्हीं को शरीर छुड़वाकर सतलोक ले गये। मालिक उन 6 भक्तात्माओ की तरह पूरे मैनेजमेंट को भी शरीर छुड़वाकर हजारों लाखों भक्तों के साथ उसी वक़्त सतलोक ले जा सकते थे। फिर क्यों सारे मैनेजमेंट ने पुलिस के डंडे के डर से भागकर आश्रम में घुसकर क्यों मेन गेट बन्द कर लिया था। मैनेजमेंट ने सतलोक जाने का ऐसा सुनहरा अवसर हाथ से क्यों जाने दिया।
कृपया इसका जवाब दे,
तो मैनेजमेंट का जवाब आता था की यह मालिक की लीला थी , इन सभी भक्तों ने सेवा करते हुए शरीर छोड़ा था इसलिए सभी पुण्य कमाकर सतलोकवासी हो गए। और फिर दूसरी तरफ इन्होंने यह भी कहा की इस काण्ड में तो कई हजारों मौतें होनी थी जो की मालिक ने लीला करके टाल दी।
तो इससे यहाँ भी दोगलेपनका पता लगता है।
इनके अनुसार तो वो 6 भगत आत्माएं अकाल मृत्यु से भी सतलोक चली गई क्योंकि उनकी मृत्यु मालिक की सेवा के दौरान हुई थी।
लेकिन यहाँ प्रश्न यह उठता है की यदि सेवा करते हुए अकाल मृत्यु होने पर भी सतलोक जाया जा सकता था तो फिर मालिक ने आश्रम में मौजूद कई हजारों भक्तों की होने वाली मृत्यु को क्यों टाल दिया, मालिक तो उसी वक़्त हजारों लाखों भक्तों को एक ही झटके में सतलोक ले जा सकते थे फिर परमात्मा ने यह लीला क्यों टाली।
हमें सतलोक ले जाने के लिये ही तो मालिक इस मृतलोक में इतने कष्ट सहन कर रहे हैं और हमने भी सारा समाज सतलोक जाने के लिए ही छोड़ा है।
क्या मालिक को केवल उन्हीं 6 भक्तों से विशेष प्रेम था जो मालिक सिर्फ उन्हीं को शरीर छुड़वाकर सतलोक ले गये। मालिक उन 6 भक्तात्माओ की तरह पूरे मैनेजमेंट को भी शरीर छुड़वाकर हजारों लाखों भक्तों के साथ उसी वक़्त सतलोक ले जा सकते थे। फिर क्यों सारे मैनेजमेंट ने पुलिस के डंडे के डर से भागकर आश्रम में घुसकर क्यों मेन गेट बन्द कर लिया था। मैनेजमेंट ने सतलोक जाने का ऐसा सुनहरा अवसर हाथ से क्यों जाने दिया।
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