Wednesday, February 8, 2017

कृपया मैसेज को अपने कीमती समय में से कुछ पल निकालकर पूरा पढ़ने का कष्ट कीजियेगा

देश के बुद्दिमान शिक्षित नागरिको व् समस्त माता बहनो सहित देश के सभी भाइयो से दो शब्द प्रार्थना स्वरुप कहना चाहता हूँ.....

18 नवम्बर 2014 को हरियाणा के बरवाला काण्ड से आप सभी परिचित होंगे, जिसमे प्रसासन के द्वारा 47 हजार पुलिस फोर्स के इंतजाम के बाद सतलोक आश्रम से संत रामपाल जी महाराज की गिरफदारी हुई थी, वो इसलिए क्योंकि चंडीगढ़ हाईकोर्ट ने उनपर लगे मुकदमे में कोर्ट में पेश ना होने पर arrest वारंट जारी किया था साथ ही न्यायालय के खिलाफ तीन विवादपस्त पुस्तके ( भ्रस्ट जज कुमार्ग पर, न्यायालय की गिरती गरिमा और सच बनाम झूठ ) छापने के मामले में भी कोर्ट व् प्रसासन ने सख्ती दिखाई थी, आपजी ने तत्कालीन समय मीडिया के माध्य्म से जो भी सुना और देखा उस आधार से आपजी ने संत रामपाल जी महाराज के विषय में जो भी सोचा या सोच रखा है उसमें आप के विचारों का कोई दोष नहीं है, लेकिन वास्तविक सच्चाई कुछ और है जिससे आपजी ही नहीं, अभी तक संत रामपाल जी के शिष्य भी पूरी तरह से वाकिफ नहीं है,

आइये जानते है सच्चाई......
संत रामपाल जी महाराज 20 वर्षो से वसुधैव कुटुम्बकम की वैदिक नीति पर चलते हुये अपने शिष्यों को प्रेम और शांति का पाठ पढ़ाते है, उन्हें शास्त्र अनुकूल भक्ति बताकर उनके मोक्ष का मार्ग प्रसस्त करते है, वे वैसे ही है जैसा वे अपने सत्संगों में हमें बनने को कहते है और लाखों शिष्यो को वैसा बनाया भी, लेकिन बरवाला काण्ड के समय ऐसा क्या हुआ की अचानक उनके शिष्य हाथो में लाठी और पत्थर लेकर हिंसक हो गये, और मरने मारने को उतारू हो गये थे, 

आपजी ने बरवाला काण्ड में जो नजारा देखा, जैसे भक्तो के काले कपडे, हाथो में हथियार आदि आदि, दरअसल संत रामपाल जी महाराज जी तो 4 दिनों से स्वयं अंदर बंधक थे, मैनेजमेंट के ही कुछ लोगो ने एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत उन्हें बंधक बना के रखा था

आपको बता दे सन 2012 में आश्रम के कुछ ट्रस्टियो के द्वारा RSSS - रास्ट्रीय समाज सेवा सिमिति नाम से एक संगठन खड़ा किया गया और नीचे ही नीचे शुरू हो गई थी एक प्लानिंग, इस प्लानिंग के तहत सिमिति का मकशद केवल आश्रम की संपत्ति को हथियाना था उन्हें गद्दी से हटाकर स्वयं का अधिकार कायम करना थाऔर दुर्भाग्य से इस सिमिति में उनका अपना छोटा भाई महेन्द्र भी शामिल था और वर्तमान में अपना नाम महेन्द्र से मोहन लाल बदलकर पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए छुपता फिर रहा है, और अपने षड्यंत्र के तहत बरवाला काण्ड से पूर्व ही तैयार किये गये सम विचारक paid स्टॉफ के द्वारा आज भी पुरे नेटवर्क को हैंडल कर रहा है, अपनी राजनैतिक पावर व् प्रसासन में मजबूत पकड़ के चलते अभी भी देशद्रोह के केस में वांटेड होने के बावजूद भी सरेआम अपने मंसूबो को अंजाम दे रहा है।


इन्ही लोगो ने भोले भाले भक्तो व् माता बहनो को संत रामपाल जी के आदेश बातकर आश्रम के बाहर ढाल बनाकर खड़ा कर दिया गया और उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया, भोले श्रदालु अपने गुरूजी का आदेश समझकर उसकी पालना हेतु अपनी जान जोखिम में डालकर बच्चो समेत बैठे रहे, लेकिन संत रामपाल जी को इसकी भनक तक नहीं लगने दी गई,

जिन तीन पुस्तको को लेकर कोर्ट ने आपत्ति जाहिर की थी वे पुस्तके भी इसी राष्ट्रीय समाज सेवा सिमिति ने लिखी व् छपवाई थी,

गिरफदारी के बाद संत रामपाल जी महाराज जी ने इन सभी बातों का खुलासा सार्वजानिक तौर पर मीडिया के माद्यम से पूरे विश्व के समक्ष किया है, और कहा कि .....

मुझे तो आश्रम में बंधक बना रखा था, मै तो तारीख पर जाना चाहता था और किसी तरह सिमिति के चंगुल से बचकर पंचकूला तक पहुँच गया था लेकिन सिमिति को भनक लगते ही वे लोग मेरी गाडी घेरकर मुझे वापस आश्रम में ले आये और बंधक बना लिया गया




मीडिया के द्वारा सिमिति से सम्बंधित सवाल करने पर संत रामपाल जी ने साफ़ साफ़ कहा है की राष्ट्रीय समाज सेवा सिमिति मेरी नहीं है, और नाही आश्रम के बाहर खड़े लोग (कमांडो) मेरे नही थे.....................................


             "संत रामपाल जी महाराज"
नीचे कुछ विडियो आपजी के समक्ष पेश कर रहे है ताकि आपजी को यकीन हो की वास्तव में संत रामपाल जी के साथ घोर षड्यंत्र हुआ है जो उन्ही के मैनेजमेंट के कुछ मनवश लोगो के कारण किया गया, देखे कुछ विडियो 

और यदि आप विडियो देखने के बाद इस सच्चाई से सहमत है तो इस मैसेज को आगे शेयर करना ना भूले, 

एक दिन आपजी मानेंगे भी की वास्तव में न्यायलय का दोषी संत नहीं बल्कि उनके कुछ अनुयायी है

सत साहेब।।

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