Monday, December 28, 2015

जो - जो कदम आगे रखे

जो - जो कदम आगे रखे ,
वो ही यज्ञ समान ।।
कबीर,संत मिलन कूं जाईए,
दिन मे कई - कई बार ।
आसोज के मेह ज्योँ ,
घना करे उपकार ।।
कबीर, दर्शन साधु का ,
परमात्मा आवै याद ।
लेखे मेँ वोहे घड़ी ,
बाकी के दिन बाद ।।
कबीर, दर्शन साधु का .
मुख पर बसै सुहाग ।
दर्श उन्ही को होत हैँ ,
जिनके पुर्ण भाग ।।
सच्चे भगत का सतगुरु ,
देते हरदम साथ ।।


पानी आकाश से गिरे तो........बारिश,
आकाश की ओर उठे तो........भाप,
अगर जम कर गिरे तो...........ओले,
अगर गिर कर जमे तो...........बर्फ,
फूल पर हो तो....................ओस,
फूल से निकले तो................इत्र,
जमा हो जाए तो..................झील,
बहने लगे तो......................नदी,
सीमाओं में रहे तो................जीवन,
सीमाएं तोड़ दे तो................प्रलय,
आँख से निकले तो..............आँसू,
शरीर से निकले तो..............पसीना,
और
अगर गुरु जी के चरणों को छू ले तो चरणामृत......
सत साहेब जी

No comments:

Post a Comment