।। अध काफर बोध ।।
काफर बोध सुनो रे भाई , दोहूँ दीन बिच राम खुदाई ।
काफर सो माता दे गारी , वै काफर जो खेलै सारी ।।1।।
काफर कूड़ी साखि भरांही , काफर चोरी खट्या खांही ।
काफर दान यज्ञ नहीँ करहीँ , काफर साधु संत से अरहिँ ।।2।।
काफर तीरथ व्रत उठावैँ , सत्यवादी जन निश्चय लावैँ ।
काफर पिता बचन उलटाहीँ , इतने काफर दोजिख जाहीँ ।।3।।
सत्यकर मानोँ बचन हमारा , काफर जगत करुं निरबारा ।
वै काफर जो बड़-बड़ बोलै , काफर कहो घाटि जो तोलै ।।4।।
वै काफर ऋण हत्या राखै , वै काफर पर दारा ताकै ।
काफर स्वाल सुखन कूँ मोड़ै , काफर प्रीति नीच सूं जोड़ै ।।5।।
काफर काफर छाडि हूँ , सत्यवादी से नेह ।
गरीबदास जुग जुग पड़ै , काफर के मुख खेहं ।।6।।
काफर बोध सुनो रे भाई , दोहूँ दीन बिच राम खुदाई ।
काफर सो माता दे गारी , वै काफर जो खेलै सारी ।।1।।
काफर कूड़ी साखि भरांही , काफर चोरी खट्या खांही ।
काफर दान यज्ञ नहीँ करहीँ , काफर साधु संत से अरहिँ ।।2।।
काफर तीरथ व्रत उठावैँ , सत्यवादी जन निश्चय लावैँ ।
काफर पिता बचन उलटाहीँ , इतने काफर दोजिख जाहीँ ।।3।।
सत्यकर मानोँ बचन हमारा , काफर जगत करुं निरबारा ।
वै काफर जो बड़-बड़ बोलै , काफर कहो घाटि जो तोलै ।।4।।
वै काफर ऋण हत्या राखै , वै काफर पर दारा ताकै ।
काफर स्वाल सुखन कूँ मोड़ै , काफर प्रीति नीच सूं जोड़ै ।।5।।
काफर काफर छाडि हूँ , सत्यवादी से नेह ।
गरीबदास जुग जुग पड़ै , काफर के मुख खेहं ।।6।।
वै काफर जो कन्या मारैँ , वै काफर जो बन खंड जारैँ ।
वै काफर जो नारि हितांही , वै काफर जो तोरैँ बांही ।।7।।
वै काफर जो अंतर काती , वै काफर देवल जाती ।
वै काफर जो डाक बजावैँ , वै काफर जो शीश हलावैँ ।।8।।
वै काफर जो करैँ कंदूरी ,वै काफर जिन नहीँ सबूरी ।
वै काफर जो बकरे खांही , वै काफर नहीँ साधु जिमाहीँ।।9।।
वै काफर जो मांस मसाली , वै काफर जो मारै हाली ।
वै काफर जो खेती चोरं , वै काफर जो मारैँ मोरं ।।10
वै काफर जो नारि हितांही , वै काफर जो तोरैँ बांही ।।7।।
वै काफर जो अंतर काती , वै काफर देवल जाती ।
वै काफर जो डाक बजावैँ , वै काफर जो शीश हलावैँ ।।8।।
वै काफर जो करैँ कंदूरी ,वै काफर जिन नहीँ सबूरी ।
वै काफर जो बकरे खांही , वै काफर नहीँ साधु जिमाहीँ।।9।।
वै काफर जो मांस मसाली , वै काफर जो मारै हाली ।
वै काफर जो खेती चोरं , वै काफर जो मारैँ मोरं ।।10