Showing posts with label riste nate. Show all posts
Showing posts with label riste nate. Show all posts

Wednesday, June 29, 2016

अथ ज्ञान परिचय

अथ ज्ञान परिचय
सद्गुरु दीन दयाल दियाला। नजरी है नजर निहाला।।
सतगुरु अगम भूमि से आये। निर्भय पद निज नाम सुनाये।।
कर हंसा प्रतीति हमारी। सतगुरु प्यारे नर और नारी।।
कोई बेटा बाप रु भाई। कोई मात पिता कुल दाई।।
कोई काका कै नाय बोले। कोई ताऊ से होय ओल्हे।।
कोई मामा भानिज भीना। जिसका तिस क्यों नही दीना।।
कोई दादा पोता नाती। चलते कोई संग ना साथी।।
कोई फुफसरा ननदोई। योह जूं का त्युं ही होई।।
कहीं पितासरा पति धारी। कही तायसरा बुझारि।।
कहीं जेठ जिठानी ख़समा। ये सभी हो गये भस्मां।।
कहीं भाभी देवर साली। इन नाते बड़ घर घाली।।
कहीं बहन भानीजी फूफी। याह फूटी गई भ्रम  कूपी।।
कहीं बेटा बहू भाई रे। समझे नाही अकली गई रे।।
ये है दोजिख के लपकुँ। देखो गुलरि के गपकू।।
योह नाता छारम् छारा। बूढे दरिया वार ना पारा।।
यौह चोरासी झक झोला। सब होंगे गोल मथोला।।
हम कारवान होय आये। महलो पर ऊंट बताये।।
बोले पादशाह सुलतानम्। तू रहता कहाँ दीवाना।।
दूजे क़ासिद गवन किया रे। डेरा महल सराय लिया रे।।
जब हम महल सराय बताई। सुलतानी कूँ तावर आई।।
अरे तेरे बाप दादा पड पीढ़ी। ये बसे सराय में गीदी।।
ऐसे ही तू चली जाई। यौह हम महल सराय बताई।।

जय बंदीछोड़ कबीर साहेब की जय
जय बंदीछोड़ गरीबदास साहेब की जय
जय स्वामी रामदेवानन्द महाराज की जय
जय बंदीछोड़ सत्तगुरू रामपाल जी महाराज की जय

Tuesday, June 28, 2016

बंदी छोड़ गरीबदास जी साहिब ने सतगुरु महिमा और रिश्ते नातो का कैसा अलौकिक वर्णन किया है अपनी अमृतवाणी में :~

सद्गुरु दीन दयाल दियाला। नजरी है नजर निहाला।।
सतगुरु अगम भूमि से आये। निर्भय पद निज नाम सुनाये।।
कर हंसा प्रतीति हमारी। सतगुरु प्यारे नर और नारी।।
कोई बेटा बाप रु भाई। कोई मात पिता कुल दाई।।
कोई काका कै नाय बोले। कोई ताऊ से होय ओल्हे।।
कोई मामा भांजा भीना। जिसका तिस क्यों नही दीना।।
कोई दादा पोता नाती। चलते कोई संग ना साथी।।
कोई फुफसरा ननदोई। योह जूं का त्युं ही होई।।
कहीं पितासरा पति धारी। कही तायसरा बुझारि।।
कहीं जेठ जिठानी ख़समा। ये सभी हो गये भस्मां।।
कहीं भाभी देवर साली। इन नाते बड़ घर घाली।।
कहीं बहन भतीजी फूफी। याह फूटी गई भ्रम कूपी।।
कहीं बेटा बहू भाई रे। समझे नाही अकली गई रे।।
ये है दोजिख के लपकुँ। देखो गुलरि के गपकू।।
योह नाता छारम् छारा। बूढे दरिया वार ना पारा।।
यौह चोरासी झक झोला। सब होंगे गोल मथोला।।
हम कारवान होय आये। महलो पर ऊंट बताये।।
बोले बादशाह सुलतानम्। तू रहता कहाँ दीवाना। 
दूजे काशी ते गवन किया रे। डेरा महल सराय लिया रे।।
जब हम महल सराय बताई। सुलतानी कूँ तावर आई।।
अरे तेरे बाप दादा पड पीढ़ी। ये बसे सराय में गीदी।।
ऐसे ही तू चली जाई। यौह हम महल सराय बताई।

जय बंदीछोड़ कबीर साहेब की जय
जय बंदीछोड़ गरीबदास साहेब की जय
जय स्वामी रामदेवानन्द महाराज की जय
जय बंदीछोड़ सत्तगुरू रामपाल जी महाराज की जय