कबीर परमेश्वर के अवतार गरीब दास जी ने कामिनी रूप नारी के लक्षण और उससे हानी,
माता रूप नारी की महिमा अटूट गाई है।।
कामिनि नागिनी के बारे मे!
बदनारी लंगर कामिनी ,ये बोले मदुरै बेत।
फैंट पड़े छोड़े नहीँ,के मगहर के कुरुछेत्र।।
बदनारी लंगर कामिनी ,ये बोले मधुरे बोल।
फेट पड़े छोड़े नही,काढ़े घुगट झोल।।
बदनारि लंगर कामिनी ,जामे अगिन खोट।
फांसी डारे बाह कर,वो करे लाख मे चोट।।
बदनारी नाही नारी,है जंगल का शेर ।
भाहर भीतर मार् दे,मुनिजन कर दिए जेल।।
सतगुरु हेला देत है ,सुनियो सन्त सुजान।
बदनारि पास न बैठियो,बदनारि आई खान!!
नैनो काजल डार कर,खाय लिये है हंस।
हाथो मेहँदी लाय कर,ये डूब दिये कुल वंश।।
उलटी मांग भराय कर,मन्जन कर है गात।
मीठी बोले मगन होवे,ये लावे बहुविध घात।।
क्या बेटी क्या बहन है,क्या माता क्या जोय।
बदनारि काली नागिनी,खाता हो सो खाय।।
माया(दुर्गा)काली नागिनी ,आपे जाय खाय।
माता रूप नारी की महिमा अटूट गाई है।।
कामिनि नागिनी के बारे मे!
बदनारी लंगर कामिनी ,ये बोले मदुरै बेत।
फैंट पड़े छोड़े नहीँ,के मगहर के कुरुछेत्र।।
बदनारी लंगर कामिनी ,ये बोले मधुरे बोल।
फेट पड़े छोड़े नही,काढ़े घुगट झोल।।
बदनारि लंगर कामिनी ,जामे अगिन खोट।
फांसी डारे बाह कर,वो करे लाख मे चोट।।
बदनारी नाही नारी,है जंगल का शेर ।
भाहर भीतर मार् दे,मुनिजन कर दिए जेल।।
सतगुरु हेला देत है ,सुनियो सन्त सुजान।
बदनारि पास न बैठियो,बदनारि आई खान!!
नैनो काजल डार कर,खाय लिये है हंस।
हाथो मेहँदी लाय कर,ये डूब दिये कुल वंश।।
उलटी मांग भराय कर,मन्जन कर है गात।
मीठी बोले मगन होवे,ये लावे बहुविध घात।।
क्या बेटी क्या बहन है,क्या माता क्या जोय।
बदनारि काली नागिनी,खाता हो सो खाय।।
माया(दुर्गा)काली नागिनी ,आपे जाय खाय।
कुंडली मे छोड़े नही,सो बातों की बात।।
कोण निकले और कोण रह गए
कुंडली में से निकले रैदास संग कबीर।
सुखदेव धुर्व प्रह्लाद से नही निकले रणधीर।।
कुंडली में से निकले सुल्तानी वाजीद।
गोपीचन्द ना भृतहरि ,डाक् लगाई फरीद।।
जनक विदेही न उभरे नागिनी बांधी दाढ़।
नानक दादु उभरे,ले सतगुरु की आड़।।
बदनारि काली नागिनी मारत है ब्रऱ डंक ।
कोण निकले और कोण रह गए
कुंडली में से निकले रैदास संग कबीर।
सुखदेव धुर्व प्रह्लाद से नही निकले रणधीर।।
कुंडली में से निकले सुल्तानी वाजीद।
गोपीचन्द ना भृतहरि ,डाक् लगाई फरीद।।
जनक विदेही न उभरे नागिनी बांधी दाढ़।
नानक दादु उभरे,ले सतगुरु की आड़।।
बदनारि काली नागिनी मारत है ब्रऱ डंक ।
शब्द गारुडु जो मिले जाकु नाही शंक।।
बंदीछोड़ कबीर परमेश्वर की जय हो
बंदीछोड़ कबीर परमेश्वर की जय हो