पाँच शब्द पाँच हैं मुद्रा काया बीच ठिकाना|
जो जिहसंक आराधन करता सो तिहि करत बखाना||
शब्द निरंजन चाँचरी मुद्रा है नैनन के माँही|
ताको जाने गोरख योगी महा तेज तप माँही||
शब्द ओंकार भूचरी मुद्रा त्रिकुटी है स्थाना|
व्यास देव ताहि पहिचाना चाँद सूर्य तिहि जाना||
सोहं शब्द अगोचरी मुद्रा भंवर गुफा स्थाना|
सुकदेव मुनी ताहि पहिचाना सुन अनहद को काना||
शब्द ररंकार खैंचरी मुद्रा दसवें द्वार ठिकाना|
ब्रह्मा विष्नु महेश आदि लो ररंकार पहिचाना||
शक्ति शबद ध्यान उनमुनी मुद्रा बसै आकाश सनेही|
झिलमिल झिलमिल जोति दिखावै जाने जनक विदेही||
शबद ही काल कलंदर कहीये शबद ही मर्म भुलाया|
पाँच शबद की आशा में सर्वस मूल गमाया||
पाँच शबद पाँच हैं मुद्रा सो निश्चय कर जाना|
आगे पुरुष पुरान निःअक्षर तिनकी खबर न जाना||
तू लगङा है लँगर झूठा लवार |
अमली के मुख में मूत्र की धार ||
सोहं ऊपर और है सतसुकरत एक नाम|
सब जीवों का वास है सही बस्ती सही ठाम||
नामा छीपा ऊँ तारी पीछे सोहं भेद उचारी|
सारशबद पाया जद लोई आवा गमन बहुरि ना होई||
ऊँ नाम काल के ब्रह्मलोक तक सोहं परब्रह्म
की भँवर गुफा तक व सारनाम सतलोक तक ले
जायेगा|
कबीर
सारनाम हम भाखि सुनाया|
ये मूरख जीव मर्म ना पाया||
है निःशबद शबद से कहीयौ|