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Sunday, April 23, 2017

युहन्ना १६:११"मैले तिमिहरु

एउता प्रसङ्ग बाइबल बाट 

युहन्ना १६:११"मैले तिमिहरु लाई भन्ने कुरा अझ धेरै छन,तर अहिले तिमिहरु ति कुरा सहन सक्दैनौ।१३ जब उहाँ ,अर्थात सत्यका आत्मा आउनुहुनेछ,तब उहाँ ले तिमिहरु लाई सबै सत्याता मा डाेर्‍याउनुहुनेछ।उहाँ आफ्नो तर्फ बाट बोल्नु हुनेछैन।उहाँ ले जे सुनुहुन्छ,त्यही बोल्नु हुनेछ र हुन आउने कुरा हरु तिमिहरु लाई घोषणा गरिदिनु हुनेछ।


येशु ले आफ्नो बार्‍ह चेला हरुलाई समेत भेद बताउनु भएको छैन सिर्फ संकेत मात्र गरेका छन।

Thursday, March 30, 2017

बाइबल मे प्रमेश्वोर शाकार का प्रमाण

उत्पत्ति 1:1-31


26  फिर परमेश्वर ने कहा, “आओ हम + इंसान को अपनी छवि में, + अपने जैसा बनाएँ। + और वे समुंदर की मछलियों, आसमान के पंछियों, पालतू जानवरों और ज़मीन पर रेंगनेवाले सभी जंतुओं पर और सारी धरती पर अधिकार रखें।” +   27  परमेश्वर ने अपनी छवि में इंसान की सृष्टि की, हाँ, उसने अपनी ही छवि में इंसान की सृष्टि की। उसने उन्हें नर और नारी बनाया। +   28  फिर परमेश्वर ने उन्हें आशीष दी और उनसे कहा, “फूलो-फलो और गिनती में बढ़ जाओ, धरती को आबाद करो + और इस पर अधिकार रखो। + समुंदर की मछलियों, आसमान में उड़नेवाले जीवों और ज़मीन पर चलने-फिरनेवाले सब जीव-जंतुओं पर अधिकार रखो।” +29  फिर परमेश्वर ने उनसे कहा, “देखो, मैं तुम्हें धरती के सभी बीजवाले पौधे और ऐसे सभी पेड़ देता हूँ, जिन पर बीजवाले फल लगते हैं। ये तुम्हारे खाने के लिए हों। +  30  और मैं धरती के सभी जंगली जानवरों, आसमान में उड़नेवाले सभी जीवों और बाकी सभी जीव-जंतुओं को, जिनमें जीवन है, खाने के लिए हरी घास और पेड़-पौधे देता हूँ।” +और वैसा ही हो गया।

उत्पत्ति 2:1-25


2 इस तरह आकाश और पृथ्वी और जो कुछ उनमें है, उन सबको * बनाने का काम पूरा हुआ। +    परमेश्वर जो काम कर रहा था, * उसे सातवें दिन से पहले उसने पूरा कर दिया। सारा काम पूरा करने के बाद सातवें दिन उसने विश्राम करना शुरू किया। +    परमेश्वर ने सातवें दिन पर आशीष दी और ऐलान किया कि यह दिन पवित्र है, क्योंकि इस दिन से परमेश्वर सृष्टि के सारे कामों से विश्राम ले रहा है। परमेश्वर ने अपने मकसद के मुताबिक जो-जो बनाना चाहा था उसकी सृष्टि कर ली थी।  

किउ संसार मे ८ वा दिन नही हे सात्वा हि हे ?



 यहोवा परमेश्वर ने ज़मीन की मिट्टी से आदमी को रचा + और उसके नथनों में जीवन की साँस फूँकी। + तब वह जीता-जागता इंसान * बन गया। +    यहोवा परमेश्वर ने पूरब की तरफ, अदन नाम के इलाके में एक बाग लगाया + और वहाँ उसने आदमी को बसाया जिसे उसने रचा था। +    यहोवा परमेश्वर ने ज़मीन से हर तरह के पेड़ उगाए जो दिखने में सुंदर और खाने के लिए अच्छे थे। उसने बाग के बीच में जीवन का पेड़+ और अच्छे-बुरे के ज्ञान का पेड़+ भी लगाया।

15  यहोवा परमेश्वर ने आदमी को लेकर अदन के बाग में बसाया ताकि वह उसमें काम करे और उसकी देखभाल करे। +   16  यहोवा परमेश्वर ने आदमी को यह आज्ञा भी दी, “तू बाग के हरेक पेड़ से जी-भरकर खा सकता है। +   17  मगर अच्छे-बुरे के ज्ञान का जो पेड़ है उसका फल तू हरगिज़ न खाना, क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाएगा उस दिन ज़रूर मर जाएगा।” +


  21  इसलिए यहोवा परमेश्वर ने आदमी को गहरी नींद सुला दिया और जब वह सो रहा था, तो उसकी एक पसली निकाली और फिर चीरा बंद कर दिया।   
(विसे हि आदम हव्वा को बरे भुले का ज्ञान नही था जैसे रक्सी ज्यादा  पिने वालोको कुछ पता नही होता )

22  और यहोवा परमेश्वर ने आदमी से जो पसली निकाली थी, उससे एक औरत बनायी और उसे आदमी के पास ले आया। +
23  तब आदमी ने कहा, 
   “आखिरकार यह वह है जिसकी हड्डियाँ मेरी हड्डियों से रची गयी हैं,जिसका माँस मेरे माँस से बनाया गया है। यह नर में से निकाली गयी है,इसलिए यह नारी कहलाएगी।” +
24  इस वजह से आदमी अपने माता-पिता को छोड़ देगा और अपनी पत्नी से जुड़ा रहेगा * और वे दोनों एक तन होंगे। +   25  आदमी और उसकी पत्नी दोनों नंगे थे, +फिर भी वे शर्म महसूस नहीं करते थे।


उत्पत्ति 3:1-24

3 यहोवा परमेश्वर ने जितने भी जंगली जानवर बनाए थे, उन सबमें साँप + सबसे सतर्क रहनेवाला * जीव था। साँप ने औरत से कहा, “क्या यह सच है कि परमेश्वर ने तुमसे कहा है कि तुम इस बाग के किसी भी पेड़ का फल मत खाना?” +    औरत ने साँप से कहा, “हम बाग के सब पेड़ों के फल खा सकते हैं। +    मगर जो पेड़ बाग के बीच में है+ उसके फल के बारे में परमेश्वर ने हमसे कहा है, ‘तुम उसका फल मत खाना, उसे छूना तक नहीं, वरना मर जाओगे।’”    तब साँप ने औरत से कहा, “तुम हरगिज़ नहीं मरोगे। +    परमेश्वर जानता है कि जिस दिन तुम उस पेड़ का फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आँखें खुल जाएँगी, तुम परमेश्वर के जैसे हो जाओगे और खुद जान लोगे कि अच्छा क्या है और बुरा क्या।” + इसलिए जब औरत ने पेड़ पर नज़र डाली तो उसे लगा कि उसका फल खाने के लिए अच्छा है और वह पेड़ उसकी आँखों को भाने लगा। हाँ, वह दिखने में बड़ा लुभावना लग रहा था। इसलिए वह उसका फल तोड़कर खाने लगी। + बाद में जब उसका पति उसके साथ था, तो उसने उसे भी फल दिया और वह भी खाने लगा। +    फिर उन दोनों की आँखें खुल गयीं और उन्हें एहसास हुआ कि वे नंगे हैं। इसलिए उन्होंने अंजीर के पत्ते जोड़कर अपने लिए लंगोट जैसे बना लिए। +

दोनों की आँखें खुल गयीं और उन्हें एहसास हुआ कि वे नंगे हैं। जैसे बेहोसी से होस् मे कोइ आता हे 

 फिर शाम के वक्‍त जब हवा चल रही थी, आदमी और उसकी पत्नी ने यहोवा परमेश्वर की आवाज़ सुनी जो बाग में चला आ रहा था। तब वे दोनों यहोवा परमेश्वर से छिपने के लिए पेड़ों के झुरमुट में चले गए।    और यहोवा परमेश्वर आदमी को पुकारता रहा, “तू कहाँ है?”   10  आखिरकार आदमी ने कहा, “मैंने बाग में तेरी आवाज़ सुनी थी, मगर मैं तेरे सामने आने से डर गया क्योंकि मैं नंगा था। इसलिए मैं छिप गया।”   11  तब परमेश्वर ने कहा, “तुझसे किसने कहा कि तू नंगा है? + क्या तूने उस पेड़ का फल खाया है जिसके बारे में मैंने आज्ञा दी थी कि तू उसे न खाना?” +   12  आदमी ने कहा, “तूने यह जो औरत मुझे दी है, इसी ने मुझे उस पेड़ का फल दिया और मैंने खाया।”   13  तब यहोवा परमेश्वर ने औरत से कहा, “यह तूने क्या किया?” औरत ने जवाब दिया, “साँप ने मुझे बहका दिया इसीलिए मैंने खाया।” +


17  और परमेश्वर ने आदम * से कहा, “तूने अपनी पत्नी की बात मानकर उस पेड़ का फल खा लिया जिसके बारे में मैंने आज्ञा दी थी कि तू मत खाना। + इसलिए तेरी वजह से ज़मीन शापित है। + तू सारी ज़िंदगी दुख-दर्द के साथ इसकी उपज खाया करेगा।

   18  ज़मीन पर काँटे और कँटीली झाड़ियाँ उगेंगी और तू खेत की उपज खाया करेगा।   19  सारी ज़िंदगी तुझे रोटी * के लिए पसीना बहाना होगा और आखिर में तू मिट्टी में मिल जाएगा क्योंकि तू उसी से बनाया गया है। + तू मिट्टी ही है और वापस मिट्टी में मिल जाएगा।” +20  इसके बाद, आदम ने अपनी पत्नी का नाम हव्वा *रखा क्योंकि वह दुनिया में जीनेवाले सभी इंसानों की माँ बनती। +   21  और यहोवा परमेश्वर ने आदम और उसकी पत्नी के लिए चमड़े की लंबी-लंबी पोशाकें बनायीं। +  22  फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा, “अब इंसान इस मायने में हमारे बराबर हो गया है कि वह खुद जानने लगा है* कि अच्छा क्या है और बुरा क्या। + अब कहीं ऐसा न हो कि वह हाथ बढ़ाकर जीवन के पेड़+ का फल भी तोड़कर खा ले और हमेशा तक जीता रहे,—”   


23  तब यहोवा परमेश्वर ने उसे अदन के बाग से बाहर निकाल दिया + ताकि वह उस ज़मीन को जोते जिसकी मिट्टी से उसे बनाया गया था। +   24  उसने इंसान को बाहर खदेड़ दिया और जीवन के पेड़ तक जानेवाले रास्ते का पहरा देने के लिए अदन के बाग के पूरब में करूब + तैनात किए और लगातार घूमनेवाली एक तलवार भी रखी जिससे आग की लपटें निकल रही थीं।



उत्पत्ति 17:1-27

17 जब अब्राम 99 साल का था, तब यहोवा ने उसके सामने प्रकट होकर कहा, “मैं सर्वशक्‍तिमान परमेश्वर हूँ। तू मेरे सामने सही राह पर चलता रह और अपना चालचलन निर्दोष बनाए रख।    मैंने तेरे साथ जो करार किया था उसे पक्का करूँगा + और तेरे वंशजों की गिनती बहुत-बहुत बढ़ाऊँगा।” +

 इस पर अब्राम मुँह के बल गिरा और परमेश्वर ने उससे यह भी कहा,  
  “देख, मैंने तेरे साथ एक करार किया है, + इसलिए तू बेशक बहुत-सी जातियों का पिता बनेगा। +   अब से तेरा नाम अब्राम * नहीं बल्कि अब्राहम *होगा, क्योंकि मैं तुझे बहुत-सी जातियों का पिता बनाऊँगा।   मैं तेरे वंशजों की गिनती इतनी बढ़ाऊँगा कि उनसे कई जातियाँ बनेंगी और तेरे वंश से राजा पैदा होंगे। +

18  इसलिए अब्राहम ने सच्चे परमेश्वर से कहा, “मैं तुझसे बिनती करता हूँ कि इश्माएल पर तेरी आशीष हो!” +   19  तब परमेश्वर ने उससे कहा, “तेरी पत्नी सारा बेशक तुझे एक बेटा देगी और तू उसका नाम इसहाक* + रखना। मैं उसके साथ और उसके बाद उसके वंश * के साथ सदा का करार करूँगा। +   20  रही बात इश्माएल की, उसके बारे में मैंने तेरी बिनती सुनी है। मैं उसे आशीष दूँगा। वह बहुत फूलेगा-फलेगा और उसकी बहुत-सी संतान होंगी। उससे 12 प्रधान निकलेंगे और मैं उसे एक बड़ा राष्ट्र बनाऊँगा। +   21  लेकिन मैं अपना करार सिर्फ इसहाक के साथ करूँगा, +जिसे सारा अगले साल इसी समय जन्म देगी।” +22  यह कहने के बाद परमेश्वर अब्राहम के पास से चला गया।   

उत्पत्ति 18:1-33

18 बाद में यहोवा + अब्राहम के सामने प्रकट हुआ। भरी दोपहरी का वक्‍त था और कड़ी धूप थी। अब्राहम, ममरे में बड़े-बड़े पेड़ों के बीच + अपने तंबू के द्वार पर बैठा था।    जब उसने आँख उठाकर देखा तो उसे तीन आदमी नज़र आए जो उसके तंबू से कुछ दूरी पर खड़े थे। + जैसे ही अब्राहम ने उन्हें देखा, वह उनसे मिलने के लिए तंबू के द्वार से दौड़कर गया और उसने ज़मीन पर गिरकर प्रणाम किया।    फिर उसने कहा, “हे यहोवा, अगर तेरी कृपा मुझ पर हो तो अपने दास के तंबू में आए बगैर यहाँ से मत जाना।

    मैं थोड़ा पानी लाता हूँ ताकि तुम्हारे पैर धोए जाएँ। + फिर इस पेड़ के नीचे कुछ देर आराम कर लेना।    देखो, तुम अपने दास के यहाँ मेहमान हो, मैं तुम्हें खाना खाए बगैर नहीं जाने दूँगा। मैं जाकर तुम्हारे लिए थोड़ी रोटियाँ लाता हूँ ताकि तुम खाकर तरो-ताज़ा हो जाओ।” * उन्होंने कहा, “ठीक है, जैसी तेरी मरज़ी।”

 तब अब्राहम भागकर तंबू में सारा के पास गया और उससे कहा, “जल्दी से तीन पैमाना * मैदा ले और उसे गूँधकर रोटियाँ बना।”    इसके बाद, अब्राहम दौड़कर अपने गाय-बैल के झुंड के पास गया और उसने एक अच्छा-सा मुलायम बछड़ा लाकर अपने सेवक को दिया। वह फौरन उसे पकाने में लग गया।    फिर अब्राहम ने मक्खन, दूध और गोश्त लिया और अपने मेहमानों के सामने खाना परोसा। जब वे पेड़ के नीचे बैठे खा रहे थे, तो अब्राहम उनके पास ही खड़ा रहा। +




22  इसके बाद वे आदमी वहाँ से सदोम की तरफ चले गए। मगर यहोवा + अब्राहम के संग रह गया।   23  तब अब्राहम ने परमेश्वर के पास जाकर उससे पूछा, “क्या तू दुष्टों के साथ-साथ नेक लोगों को भी मिटा देगा? +   24  मान लो उस शहर में 50 नेक लोग हैं। क्या तब भी तू उसका नाश कर देगा? क्या तू उन 50 की खातिर उस जगह को नहीं बख्शेगा?   25  तू दुष्ट के साथ-साथ नेक जन को मार डालने की कभी सोच भी नहीं सकता। + तू दोनों को एक ही सिला दे, यह कभी नहीं हो सकता। + क्या सारी दुनिया का न्याय करनेवाला कभी अन्याय कर सकता है?” +   

26  तब यहोवा ने कहा, “अगर मुझे सदोम में 50 लोग भी नेक मिले, तो मैं उनकी खातिर पूरे शहर को छोड़ दूँगा।”