Monday, December 28, 2015

शायद ये 2 शब्द् आप जी का जीवन बदल दे।।।।।

शायद ये 2 शब्द् आप जी का जीवन बदल दे।।।।। 

परमात्मा ने इंसान को 84 लाख पशु पक्षियों से भिन्न बनाया है विशेष् शरीर और बुद्दी प्रदान की है तो जाहिर सी बात है इंसान का कार्य भी उन 84 लाख जीवो से भिन्न ही होगा अन्यथा जन्म लेना युवा होकर बच्चे पैदा करना सारा जीवन उनके लालन पालन में लगे रहना और अंत में एक दिन मर जाना ये सभी काम तो एक जानवर भी करता है
अगर मानव शरीर प्राप्त करके भी इन्ही क्रियाओ को मानव जीवन का अंतिम मकसद मान बैठे तो जानवर और इंसान में कोई अंतर नहीं है।
इंसान को उसके जीवन में बच्चे रोजगार सुख दुःख अपनी मेहनत से नहीं अपितु अपने पूर्व जन्म के संस्कार आधार से परमात्मा देता है।
मानव जीवन हमें केवल पूर्ण परमात्मा को पहचानकर उसकी भक्ति करके सदा सदा के लिए जन्म मृत्यु से निकलकर मोक्ष प्राप्ति के लिए मिलता है परमात्मा कहते है
मानव जन्म पाय कर जो नहीं रटे हरी नाम।
जैसे कुँवा जल बिना बनवाया क्या काम।
यदि हमने इस मानव शरीर के रहते परमात्मा की प्राप्ति कर ली तो ठीक है वरना युगों युगों 84 लाख पशु पक्षियों के शरीरो को भोगते भोगते महा कष्ट उठाते रहेंगे।
वर्तमान में नकली संतो व् गुरुओ द्रारा हमारे पवित्र सद्ग्रंथो में छुपे हुए गूढ़ ज्ञान को ना समझ पाने के कारण ये हमें इनका निष्कर्ष निकाल कर नहीं दे पाये और भगवान को निराकार बता दिया। अर्थात पूर्ण परमात्मा कौन है हमें उसकी पहचान नहीं करवा सके।
पवित्र गीता जी के अध्याय नंबर 18 के सलोक् नंबर 62 66 में गीता ज्ञान देने वाला भगवान कह रहा है अर्जुन अगर तुझे पूर्ण मोक्ष चाहिय तो उस परमात्मा की शरण में चला जा जो मेरा भी इस्ट देव है। तो क्या ? गीता झूठ बोल रही है।
पवित्र बाइबल उत्त्पति ग्रन्थ में लिखा है परमात्मा कह रहे है हमने मनुष्य को अपने ही स्वरूप् बनाया है नर और नारी करके बनाया है अर्थात परमात्मा का शरीर मनुष्य के जैसा है।। तो क्या ? बाइबल झूठ बोल रही है।
कुरान सरीफ में प्रमाण है उस परमात्मा ने 6 दिन में सृस्टि रचकर 7 वे दिन तकत पर विश्राम किया। तो क्या बाइबल झूठ बोल रही है।
गुरु ग्रन्थ साहेब में पृष्ठ नंबर 721 पर नानक जी कह रहे है।
हक्का कबीर करीम तू बे अब परवरदिगार । तो क्या ? नानक जी झूठ बोल रहे है।
यजुर्वेद में प्रमाण है
परमात्मा सशरीर है सबका पालन करने वाले परमात्मा का शरीर है
ना गीत जी झूठी है ना बाइबल झूठी है ना कुरान सरीफ झूठी है ना गुरु ग्रन्थ साहेब झूठा है और नहीं वेद् पुराण झूठे है।
झूठे वे नकली संत और गुरु है जो इन शास्त्रो में छिपे गूढ़ ज्ञान को समझ नहीं पाय और परमात्मा चाहने वाली प्यारी आत्माओ को पत्थर पूजा पर आधारित करके पत्थर बना दिया। परमात्मा कहते है
गुरुवा गाव बिगाड़े संतो गुरुवा गाव बिगाड़े
ऐसे कर्म जीव कै लगा दिए इब झड़े ना झाड़े
लेकिन ये अब होगा क्योंकि पहले हमारे पूर्वज अशिक्षित होने के कारण हमारे शास्त्रो में क्या लिखा है समझ नहीं पाये जिसका फायदा इन नकली गुरुओ ने बखूबी उठाया लेकिन आज कलयुग में परमात्मा में हमें शिक्षित किया है जिसकी बदौलत अपने सद्ग्रंथो को समझकर वास्तविक परमात्मा को पहचानकर उसकी भक्ति करके इस काल लोक से मुक्त होकर अपने निज घर सतलोक चलेंगे। जहा हमारा ऐसा ही परिवार है सुन्दर मानव सरीर है सर्व सुख सुविधाये है जन्म मृत्यु व् बुढ़ापे से दूर सदा युवा शरीर रहता है
मानव जन्म दुर्लब है ये मिले ना बारम्बार।जैसे पेड़ से पत्ता टूट गिरे वो बहुर ना लगता डार
सत् साहेब


भक्ति जब भोजन में प्रवेश करती है,भोजन " प्रसाद "बन जाता है.।भक्ति जब भूख में प्रवेश करती है,भूख " व्रत " बन जाती है.।भक्ति जब पानी में प्रवेश करती है,पानी " चरणामृत " बन जाता है.।भक्ति जब सफर में प्रवेश करती है,सफर " तीर्थयात्रा " बन जाता है.।भक्ति जब संगीत में प्रवेश करती है,संगीत " कीर्तन " बन जाता है.।भक्ति जब घर में प्रवेश करती है,घर " मन्दिर " बन जाता है.।भक्ति जब कार्य में प्रवेश करती है,कार्य " कर्म " बन जाता है.।भक्ति जब क्रिया में प्रवेश करती है,क्रिया "सेवा " बन जाती है.। और...भक्ति जब व्यक्ति में प्रवेश करती है,व्यक्ति " मानव " बन जाता है..।

No comments:

Post a Comment