जगत भगत का बैर है
ज्यो केला बड बेर !
एक हाले एक चीर दे,
साहेब करेगे मेहर !!
अनुवाद : आदरणीय पूर्ण
ब्रह्म कबिर साहेब कहते
है इस संसार मे जगत और
भगत का बैर ऐसे है जैसे केले
और बेर के पेड का होता है..
ये दोनो एक साथ नही रह
सकते.. अगर एक साथ होते
है तो बेरी के पेड के कांटे
केले को बार बार चुबते है..
जब भी वो हिलते है.. ठीक
इसी तरह जगत के लोग
भगत को बार बार दंग
करते है... ऐसे मे भगत को
अपने साहेब (परमात्मा)
का ही साहारा होता है
वो मालिक ही मेहर करते
है.! भगत को जगत की
बातो को लेकर घबराना
नही चाहिए पनी भक्ति
करते रहना चाहिए .!
सतगुरु देव की जय हो !!!
अगर आप हर मुस्कान के बाद भगवान का शुक्रिया नहीं करते तो
फिर आप को हर आंसू के लिए उसे दोष देने का कोई अधिकार नहीं है।
ज्यो केला बड बेर !
एक हाले एक चीर दे,
साहेब करेगे मेहर !!
अनुवाद : आदरणीय पूर्ण
ब्रह्म कबिर साहेब कहते
है इस संसार मे जगत और
भगत का बैर ऐसे है जैसे केले
और बेर के पेड का होता है..
ये दोनो एक साथ नही रह
सकते.. अगर एक साथ होते
है तो बेरी के पेड के कांटे
केले को बार बार चुबते है..
जब भी वो हिलते है.. ठीक
इसी तरह जगत के लोग
भगत को बार बार दंग
करते है... ऐसे मे भगत को
अपने साहेब (परमात्मा)
का ही साहारा होता है
वो मालिक ही मेहर करते
है.! भगत को जगत की
बातो को लेकर घबराना
नही चाहिए पनी भक्ति
करते रहना चाहिए .!
सतगुरु देव की जय हो !!!
अगर आप हर मुस्कान के बाद भगवान का शुक्रिया नहीं करते तो
फिर आप को हर आंसू के लिए उसे दोष देने का कोई अधिकार नहीं है।
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