Thursday, December 31, 2015

Gita Gyan



युद्व जित कर पांडव, खुशी हुये अपार
इंद्रप्रस्थ की गदी पर, युधिस्टर की सरकार!!
एक दिन अर्जुन पूछता, सुन कृष्ण भगवान
एक बार फिर सूना दियो, वो निर्मल गीता ज्ञान!!
घमासान युद के कारण, भूल पड़ी है मोहे
ज्यो का त्यों कहना भगवन, तनिक न अंतर होय!!
ऋषि मुनि और देवता, सबको रहे तुम खाय
इनको भी नही छोड़ा आपने, रहे तुम्हारा ही गुण गाय!!
कृष्ण बोले अर्जुन से, यह गलती क्यों कीन्ह
ऐसे निर्मल ज्ञान को भूल गया बुदिहिंन!!
अब मुझे भी कुछ याद नही, पड़ी निदान
ज्यो का त्यों उस गीता का में, नही कर सकता गुणगान!!
स्वयम श्री कृष्ण को याद नही और अर्जुन को धमकावे
बुद्धि काल के हाथ है, चाहे त्रिलोकी नाथ कहलावे!!

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