Monday, December 28, 2015

जो बूझे सोई बावरा, क्या है उम्र हमारी। Kabir saheb

जो बूझे सोई बावरा, क्या है उम्र हमारी।
असंख युग प्रलय गई, तब का ब्रह्मचारी।।टेक।।
कोटि निरंजन हो गए, परलोक सिधारी।
हम तो सदा महबूब हैं, स्वयं ब्रह्मचारी।।
अरबों तो ब्रह्मा गए, उनन्चास कोटि कन्हैया।
सात कोटि शम्भू गए, मोर एक नहीं पलैया।।
कोटिन नारद हो गए, मुहम्मद से चारी।
देवतन की गिनती नहीं है, क्या सृष्टि विचारी।।
नहीं बुढ़ा नहीं बालक, नाहीं कोई भाट भिखारी।
कहैं कबीर सुन हो गोरख, यह है उम्र हमारी।।
मेटि दिया अपराध सब । आय मिले छन माँह । दादू
संग ले चले । कबीर चरण की छांह ।
सेवक देव निज चरण का । दादू अपना जान ।
भृंगी सत्य कबीर ने । कीन्हा आप समान ।
दादू अन्तरगत सदा । छिन छिन सुमिरन ध्यान । वारु
नाम कबीर पर । पल पल मेरा प्रान ।
सुन सुन साखी कबीर की । काल नवावै माथ । धन्य
धन्य हो तिन लोक में । दादू जोड़े हाथ ।
केहरि नाम कबीर का । विषम काल गज राज । दादू
भजन प्रताप ते । भागे सुनत आवाज ।
पल एक नाम कबीर का । दादू मन चित लाय ।
हस्ती के अश्वार को । श्वान काल नहीं खाय ।
सुमरत नाम कबीर का । कटे काल की पीर । दादू दिन
दिन ऊँचे । परमानन्द सुख सीर ।
दादू नाम कबीर की । जो कोई लेवे ओट ।
तिनको कबहुं ना लगई । काल बज्र की चोट ।

1 comment:

  1. सत् साहेब जी! बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय 🙏🙏🙏🙏

    ReplyDelete