Monday, December 28, 2015

।। शब्द ।। हम विनती करते जी , गुरु जी तेरे आगै , sabda kabir saheb rampal jee maharaj

।। शब्द ।।
हम विनती करते जी ,
गुरु जी तेरे आगै ,
साहिँब तेरे आगे ।टेक।
गरीब,साहिँब मेरी विनती,
सुनो गरीब निवाज ।
जल की बूंद महल रच्या ,
भला बनाया साज ।1।
साहिब मेरी विनती ,
सुनियो अरज अवाज ।
माद्र पिद्र करीम तूं ,
पुत्र पिता कुं लाज ।2।
साहिब मेरी विनती ,
कर जोरुं करतार ।
तन मन घन कूरबानं जां ,
दीजै मोहे दिदार ।3।
मालिक मीरां मिहरबान ,
सुनियो अरज अवाज ।
पंजा राखो शीश पर ,
जम नहीँ होत तिरास ।4।
मीरां मापै मिहिर कर ,
मैँ आया तक श्याम ।
समरथ तुम्हारे आसरै ,
बांदी जाम गुलाम ।5।
मैँ समर्थ के आसरै ,
दम कदम करतार ।
गफलत मेरी दुर करो ,
खड़ा रहूं दरबार ।6।
अविनाशी के आसरै .
अजरा वर की श्याम ।
अर्थ,धर्म,काम,मोक्ष होंही,
समरथ राजा राम(पुर्ण ब्रह्म)।7।
अर्ज अवाज अनाथ की ,
आजिज की अरदास।
आवन जान मेटियो ,
दिज्यो निश्चल वास।8।
अनन्त कोटि ब्रह्मण्ड का ,
एक रति नहीँ भार ।
सतगुरु पुरुष कबीर हैँ ,
कुल के सिरजन हार।9।
जुगन-2 के पाप सब ,
जुगन-2 के मैल ।
जानत है जगदीश तूं ,
जोर किए बद फैल ।10।
अलल पंख अनुराग है ,
सुन्न मण्डल रहै थीर ।
दास गरीब उधारिया ,
सतगुरु मिलेँ कबीर ।11।
अकाल पुरुष साहिब धनी ,
अबिगत अविनासी ।
गरीब दास शरणै लग्या ,
काटो यम फांसी ।12।
।। सत साहिँब ।।
कृप्या शेँयर करे जी

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