Saturday, January 2, 2016

तत्वज्ञान का प्रचार आपजी को करने का सुअवसर प्राप्त हुआ है ।

गुरूजी ने बोला है कि परमात्मा 600 वर्ष पहले जो काम 
करने आये थे । वही तत्वज्ञान का प्रचार आपजी को करने
का सुअवसर प्राप्त हुआ है । प्रचार करते रहो । संघर्ष करते
रहो , परमात्मा सब जल्दी ठीक कर देंगे । इसके विपरीत करोगे तो परमात्मा खुश नहीं होगा। आजादी से बड़ी लड़ाई समझना । पृथ्वी पर निवास करने वाले सभी प्राणी ,
कबीर परमेश्वर जी के बच्चे है। 
जितनी भी योनियों में प्राणी - जीव कष्ट उठा रहे है , वे सभी आप ही के भाई - बहन है। 
परमात्मा आप सभी के लिए दुःखी हैं , चिंतित है , कष्ट में है व् इस गंदे लोक आपजी के लिए 
भटक रहे है। आप सभी को शिक्षित करने का उद्देश्य भी मालिक का यही है कि आप 
परमात्मा पहचान ले , व् वैज्ञानिक उपकरणों का सदुपयोग करने का वक़्त है , यह सब आविष्कार 
आपको ये तत्वज्ञान समझाने के लिए ही किया गया है. 
परीक्षा की कसौटी पर आपजी ने खरा उतारना है और ये सब परमेश्वर कबीरजी का किया हुआ है। 
जेल में , पंजाब पुलिस के कुछ अधिकारी आये व् बोला कि आपने तो अजूबा करके दिखाया है और बिगड़ा कुछ नहीं !
कबीर, जो जो मेरी शरण है , ताक मैं हूँ दास , गेल गेल लाग्या रहूँ , जबलग धरती आकाश।
मोक्ष का द्वार और काल कसाई भगवान का बाड़ा खोल दिया है , जिसके बस का हो निकल जाओ । संघर्ष जितना ज्यादा होगा , जीत उतनी 
ही शानदार होगी । जो इस प्रचार में अवरोध करेगा वो अँधा
गधा है । आप सब की जीत सुनिश्चित है । सत्य न हारा है न हारेगा । वक़्त और संघर्ष जरूर लगता है । सत्यमेव जयते ।
बाप के काम में हाथ बटाना , बेटे का फ़र्ज़ और कर्तव्य बनता है। 
आप सभी पुण्यआत्मायें इस दास के शब्द के बेटा - बेटी हो। 
कबीर , गुरु के चरण सेवे गोविंदा , गुरु पद सेवे बिरला कोई , जापर कृपा साहिब की होई। 
कबीर , सात द्वीप नौ खंड में , गुरु से बड़ा न कोय। 
करता करे न कर सके , गुरु करे सो होय।। 
कबीर , सात समुद्र की मसी करूँ , लेखनी करुँ बनिराय। 
धरती का कागज़ करूँ , गुरु गुण लिखा न जाय।। 
कबीर , गुरु गोविन्द दोनों खड़े , काके लागू पाय। 
बलिहारी गुरु आपना , गोविन्द दिया बताय ।। 
कबीर , साँच बराबर तप नहीं , झूठ बराबर पाप ।
जाके हृदय साँच है , ताके हृदय आप ।।
कबीर , शीश दिए जो गुरु मिले , तो भी सस्ता जान ।
मन नेकी कर ले दो दिन का मेहमान ।।
कबीर , लूट सको तो लूट लो , राम नाम की लूट । 
पीछे फिर पछताओगे , प्राण जाएंगे छूट ।।
कुरआन शरीफ , सूरत फुरकनी 25 आयत 52 :
फला तुतिअल् काफिरन व् जहिद्हूम विहि जिहादन कबीरा ।
अर्थात् : कबीर परमात्मा अल्लाहु कबीर के लिए संघर्ष करो और वो काफ़िर है जो कबीर अल्लाह की पूजा न करके निचे अन्य देवी देवताओं में लगे रहते है ।
जो बहने शहीद हुई है , वो सभी मोक्ष प्राप्त कर चुकी है ।
बोलो सतगुरुदेव की जय। बंदी छोड़ कबीर साहेब की जय। सत साहेब !!

No comments:

Post a Comment