Saturday, April 2, 2016

सुलतान अधम को पार करना ।।

बल्ख बुखारे का बादशाह था यह सुलतान अधम और यह वोही आत्मा थी जो सेऊ रूप मे कबीर जी की शरण मे आई थी । लेकिन पार नही हो पाई थी । अगला जन्म मे फिर वो नोलखा का नोशेरवां नाम का राजा बना फिर भी पार नही हुआ तो बन्दीछोड ने अगला जन्म सुलतान अधम का दिया क्योकि पिछली भगती थी । जो किसी भी जन्म मे भगती करते है उनके भगती की बहुत कसक होती है जिस कारण से उसके महल के पास मे सतसंग हो रहा था । उसने सुना उसे बढा पसंद आया और अल्लाह पाने की उम्मीद जाग गई । अगले दिन सिपाहीयों को कहा जो संत कल सतसगं कर रहे थे उनको महल बुला कर ले आओ । 
महल मे आए साधु संतो को कहा पीरजी आपने अल्लाह पा रखा है अगर पा रखा है तो मुझे मिलाओ ।
संत बोले - बादशाह । अल्लाह के पाने की विधि है वो एसे नही दिखता । एक समजदार संत था
वो बोला - राजन् एक गिलास दुध देना जी ।
दुध आगया । दुध मे वो संत उंगली डाल कर बार बार देख रहा है ।
बादशाह ने कहा क्या देख रहे हो जी वो बोला की सुना है दुध मे घी होता है पर इसमे नही है ।
बादशाह बोला - तुझे इतना तो पता नही दुध केसे घी बनता है अल्लाह क्या खाख पाया होगा तुने । इसके घी बनाने की विधि है एसे नही मिलता घी ।।
संत बोला - राजन् इसी प्रकार परमातमा भी युं कोनी मिलदा ।
राजा बोला - अच्छा !ओह !! मेरी बात का जवाब देता है । सबको जेल मे चकी पीसने लगा दो ।
उसने सबको जेल मे डाल दिया ।
एक दिन अल्लाह कबीर एक ऊंट चराने वाले का रूप बनाकर जंहा राजा का निवास स्थान था उसकी छत पर गड गड सोटी से मारी ।।
राजा की नींद बंग हुई बोला कौन है कमबखतं पकड तर लाओ । सेनिक ले पकड कर पुछा कोन है तु यहाँ क्या करन आया ।
मालिक बोले - राजन् मे रबहारी हुँ मेरा एक ऊंट गुम हो गया मे छत पर ऊट डुंढ रहा था ।
राजा बोला - छत पर और ऊटं कभी हो सकता है क्या !!!
मालिक बोले - जिस प्रकार छत पर ऊटं नही मिल सकता । उसी प्रकार राज मे अल्लाह नही पाया जा सकता । अल्लाह तो सतों मे मिलता है ।
परमात्मा - सामने से ही गायब हो गए ।राजा बेहोश हो गया । मालिक जेल मे पुहंचे  और कहा तुहारे राजा ने मुझे भी जेल कर दी  । सिपाही बोले - तो चल पीस चक्की । मालिक बोले- या तो हम चक्की पीसें गें या दाने डालेंगे कोई एक काम बोलो । तो उनहोने बोला तुम पीसो हम दाने डालें गें । परमातमा ने अपनी सोटी एक चक्की पे लगा दी । तो सभी चलने लगी ।  वो दाने डाल रहे थे कि परमातमा ने सबी संतो जो जेल मे थे उनहे कहा आखे बंद करो । अौर खोली तो दुर खडे थे ।
इतने राजा को होश आया सिपाही बोले राजा एक संत आया था सबको शुटवा गया । राजा गया देखने वो चक्की गुम ही रही थी राजा फिर बेहोश हो गया ।
10-15 दिन बीत गए । मालिक फिर एक यात्री का रूप बनाकर आए । बोले ए धर्मशाला वाले एक कमरा दे भाई रात काट नी है ।
राजा बोला - यह मेरा राज महल है ।मे राजा हुं ।
यात्री बोला - तुझ से पहले कौन था ??
राजा बोला -  मेरे पिता थे ।
यात्री बोला - उससे पहले कौन था ??
राजा बोला - दादा परदादा थे !!
यात्री बोला - वो लोग कहां गए ??
राजा बोला - वो अल्लाह खुदा को प्यारे हुए ।
यात्री बोली - तो तु कितने दिन रहे गा ?
राजा बोला - मे भी मरुंगा !
यात्री बोला - तो यह धर्मशाला नही तो क्या है ?
मालिक यह कहकर फिर गायब और राजा फिर बेहोश ।
3 घंटे मे होश आया तो बहुत दुखी हुआ राज से मन हटने लगा ।
5-6 दिन बाद एक बाग जहां राजा हर रोज दोपहर को आरम करता था ।वहां अल्लाह एक नोकरानी के रूप मे उस बिस्तर पर सो रहे थे ।
राजा बोला - तेरी इतनी हिमत तु मेरे बिसतर पर सोइ । कोरडे से तीन बार पीठ पर मारा । जो कपडा था मालिक वो भी फट गया । पहले तो परमातमा ने थोडा रोने का नाटक किया फिर हसतें हसतें लोट पोट हो गए
राजा बोला - 1  कोरडे की खाके आदमी तो मर जाता है । औरत का तो मतलब क्या कि हसें । हाथ पकड कर पुछा तु हसीं क्यो ।
बादीं रूप मे बोले अल्लाह - कि मे युं हसुं हुँ कि मे इस बिस्तर पर 3 घडी सोइ तो मेरा यह हाल हुआ और तेरा क्या होगा मे यह सोच कर हसीं । बन्दीछोड फिर गायब ।
राजा फिर बेहोश ।
राज काज मे मन लगना बंद हो गया । रानी ने सोचा कि कही ये राज ना त्याग दे । इसका मन बहलाने के लिए इसको शिकार पर ले जाओ ।
शिकार पर गए तो वहां शाम तक कोइ शिकार नही मिला । फिर एक हिरन दिखा राजा ने बोला कि यह छुटना नही चाहिए । जिसने छोडा सुली तोड दुगां उसको । राजा के घोडे के नीचे से वो हिरन निकाल गया । राजा शरम के मार पीछे पड गया ।10 कीलोमीटर के बाद वो हिरन कहीँ गायब हो गया । पर राजा मरने की हालत मे हो गया प्यास लग गई अगर 2 मिनट पानी ना मिले तो दोनो मरें राजा और घोडा दोनोमर जाए ।
सामने राजा ने देखा एक भाग है सुंदर पेड है काजु बादाम के फलो से लदे हुए । पास ही एक तालाब है बहुत शीतल जल है और एक झोंपडी  है । एक महातमा बाबा जी बेठा है । वो जिंदा महातमा थे उन्होने तीन कुते जो बहुत सुंदर है बाधं रखे है एक कुता बाधने की डोर खाली पडी है ।
राजा ने प्यास बुजाइ । घोडे को भी पिलाया पानी फिर बाबा जी को बोला - पीर जी को सलाम ।
जिंदा बोले - सलाम कुबुल
राजा बोला - यह तून कुतो मे से दो मुझे दे दे तु क्या करे गा
जिंदा बोले - भाई यह आम कुते नही है !!
राजा बोला - एसा क्या इनमे ??
जिंदा बोले - भाइ यह एक तो बलखबुखारे का जो राजा है ना उसका बाप है ।
दुसरा दादा है ।
तीसरा परदादा है ।
जब मे इनको बोलता था कि दो घडी अल्लाह को याद करलो तो यह बोलते थे समय नही है !! आज इन हरामजादों के पास समय भी है और यह हलवा खाने की कोशीश करते है तो इनको अब मे खाने नही देता इनको मारता हुँ अब । और अभी जो राजा है ना वो कुता बने गा वहां खाली डोर पडी थी यँहा बांदुगा अब अफलातुन बना हुआ है । राजा ने सोचा यह तो वोही लगता है । पैर पकडने के लिए झुकता है तो परमात्मा गायब। राजा बेहोश । जब उठा तो देखा ना कोइ कुता है ना कोई बाबा ना कोई तालाब पर घोडे के पैर गीले राजा बिल कुल दुखी हो गया ।
राजभवन मे बैठा था सेनापति बोले महाराज ये भुत तो छोरीयों को दिखते है आप क्यों दुखी होते है ।
इतने मे एक कुता जो बुरी तरह से जखमी और उसको सिर मे कीडे पडे थे दोडकर आया बोला अबराहिम मे भाई उस देश का राजा था । आज मेरे पाप का नितजा सामने आ रहा है और बीरा तेरे पास मोका है सँबहाल ले !! कुता भाग गया !!
अबराहिम बोला अब यह क्या चीज थी भाई तुम तो मरद थे ।
राजा अपने महल के छत पर बैठ जाता है वँहा उसका सिपाही कुछ चकोरोँ को छोड देता है । एक बाज आता है चकोर को लेकर उड जाता है । आकाशवाणी हुई देखले काल तुझे इसी तरह लेके उड जाएगा । अभी मोका है ।
पुरी तरह से सुलतान वेराग होकर राज्य तयाग कर जंगल मे रहने लगता है । वहाँ उसे बन्दीछोड मिलते है और उसे नाम देकर पार करते है ।
जय बन्दीछोड की ।।।
सतसाहेब ।।।

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