Wednesday, June 1, 2016

मेरे तमाम शिक्षित भाई बहनो, माताओ व् बुजुर्गो से निवेदन है।

मेरे तमाम शिक्षित भाई बहनो, माताओ व् बुजुर्गो से निवेदन है। मैसेज पढ़कर चिंतन कर सको तो ही पढ़ना
हिन्दुस्थान के बुद्दिजीवियों, क्या जगतगुरु कहलाने वाले भारत का आध्यात्मिक पतन होने के उपरान्त अपनी अपनी बुद्दी का उपयोग करोगे ?

क्या परमात्मा द्वारा दी हुई इस अनमोल शिक्षा का उपयोग पशु पक्षीयो के शरीर प्राप्त होने बाद करोगे ?

क्या अपनी आगामी पीढ़ियों के भविष्य की चिंता ये अनमोल शरीर छूट जाने के बाद करोगे ?

जिस भगवान् और भक्ति के लिए तुम्हे ये मानव शरीर मिला है क्या इस काम को मारने के बाद करोगे ?

पढ़ो, चिंतन करो, और जागो आखिर कब तक अज्ञानता की नींद सोये रहोगे ?

हिन्दू धर्म के चारो शंकराचार्यो सहीत भारत के सभी धर्म गुरु ( जय गुरुदेव पंथ, राधा स्वामी, धन धन सतगुरु, डेरा सच्चा सौदा, निरंकारी, कबीर पंथी मधु परमहंस, प्रकाश मुनि, सभी नकली कबीर पंथी, मुस्लिम धर्म के प्रक्वता डा. जाकिर नाइक सभी सभी धर्म गुरु, जैन धर्म के धर्म धुरंदर सुरेश्वर जी महाराज समेत समस्त धर्म गुरु, सिक्ख धर्म के वर्तमान सभी धर्म गुरु, आर्य समाज व् उसके प्रवक्ता )

आखिर क्यों कतराते है, संत रामपाल जी के साथ खुले में आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा करने से।

आखिर क्यों संत रामपाल जी के साथ आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा के नाम पर सर्दियो में भी इनके शरीर से पसीना टपकने लगता है। आखिर ऐसी क्या वजह है की, संत रामपाल जी का नाम सुनते ही इन सभी अपने आपको सर्वश्रेष्ठ कहलाने वाले सभी धर्मो के धर्मगुरुओ का दम घुटने लगता है।

जानिए क्यों ?

सन् 2008 से लगातार, समाचार पत्रो, TV चैनलो, व् व्यक्तिगत निमन्त्रण के माध्यम से इन सभी उल्टा ज्ञान प्रचार करने वाले धर्म गुरुओ को संत रामपाल जी ने मानव समाज के उद्धार उत्थान हेतु आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा के लिए जब भी आमन्त्रित करते है, ये सभी मानव समाज के दुश्मन (सर्व धर्मो के धर्मगुरु) चूहे के माफिक बिलो में गहरे घुस जाते है अर्थात उनके निमन्त्रण का जवाब तक देने की हिम्मत नहीं कर पाते है।

सदियो से धर्म के नाम पर अनेको पाखंड मत बनाकर,
शब्द मीठी भाषा में संस्कृत के सुनाकर,
हमारे भोले भाले अनपढ़ पूर्वजो को ये धर्म के नकली विद्वान इसलिए मुर्ख बनाते रहे,
क्योंकि वे इनको धर्मशास्त्रो के प्रकांड विद्वान समझकर इन मूर्खो की बातो पर विचार ना करके केवल विस्वास करते रहे।
जिसका आजतक ये पाखंडी बखूबी फायदा उठाते आ रहे है।
धर्मशास्त्रो का हवाला देकर पाखंड की नीव पर तैयार किये गए इनके आध्यात्मिकता के झूठे महलो की थोथली ईटो को, जब से संत रामपाल जी ने उन्ही धर्मशास्त्रो को खुले में शिक्षित समाज को दिखाकर उखाड़नी शुरू की है तब से इन धर्म के ठेकेदारो का दिन का चैन और रात की नींद उड़नी शुरू हो गई।

और साथ ही शुरू हो गई इनकी प्लानिंग, की आखिर कैसे संत रामपाल का सच बोलता मुँह बंद किया जाए। आखिर कैसे संत रामपाल को समाज के सामने बदनाम किया जाए। कैसे तत्त्वज्ञान का सत् उपदेश देने वाले परमसंत को झूठा साबित किया जाए।


कहते है। बेटा बाप से चतुराई व् नीचता में तो आगे निकल सकता है लेकिन ज्ञान और अनुभव में नहीं।
और वो

चतुराई व् नीचता भरा दुष्कर्म, 18 नवंबर 2014 को मंदबुध्दि हरियाणा प्रसासन के साथ मिलकर इन समाज के चंद ठेकेदारो ने कभी ना भुलाये जाने वाले "बरवाला काण्ड" के रूप में करवा डाला।

1. मानव मात्र में परस्पर विष घोलती, व् समाज को दिन ब् दिन दलदल में धकेल रही पाखंडवाद पर आधारित कुरूतियों जैसे दहेज प्रथा, बाल विवाह, भूर्ण हत्या, जातिवाद, व् लाखो नशे के आदि हो चुके नोजवानो को जीने की सही दिशा देकर एक आदर्श समाज व् देश का निर्माण कर रहे परमसंत को यदि "देशद्रोह"का इनाम दिया जाता है तो फिर हिंदुस्तान का बच्चा बच्चा देशद्रोही है।

2. कुमार्ग पर चल रहे देश दुनिया के शिक्षित युवावो का नशा, जूआ, चोरी, रिश्वतखोरी व् हरामखोरी जैसी भयंकर बुराइयो को छुड़वाकर नेकनीति व् ईमानदारी के रास्ते पर चलाने वाले परमसंत को यदि "बलात्कारी" का इनाम दिया जाता है तो फिर हिन्दुस्थान का बच्चा बच्चा बलात्कारी है।

जागो और सवाल करो इन पाखंडी धर्मगुरुओ से, जो इन बिकाऊ मीडिया चैनलो पर दिन रात पागलो की तरह सुनी सुनाई बाते भोंकते रहते है जिनकी बातो का ना कोई सार है ना सारांश।

पूछो इन पाखंडियो से जब द्वापर युग में वेदव्यास सहित सभी ऋषि मुनियो ने राजा परीक्षित को ये कहकर भगवत की कथा सुनाने से इनकार कर दिया था की हम ये कथा सुनाने के अधिकारी नहीं है तो फिर इस कलयुग में तुम्हे किसने भागवत और रामायण का पाठ करने का लाइसेंस दे दिया।

पूछो इन पाखंडियो से जब तुम्हारे तीनो भगवान् ब्रह्मा विष्णु महेश स्वयं कह रहे है की हमारी जन्म और मृत्यु होती है हम पूर्ण भगवान् नहीं है, तो फिर पूर्ण परमात्मा कौन है कैसा है कहा रहता है और कैसे मिलता है
(श्री मद देवी भागवत देवी पुराण 6 वा अध्याय, तीसरा स्कन्द, पेज नंबर 123,)

पूछो इन पाखंडियो से जब गीता जी मना कर रही है की व्रत करने वाले, श्राद्ध निकालने वाले और देवी देवताओ की पूजा करने वालो को ना कोई सुख होता है ना ही मारने पर उनकी गति (मोक्ष) होती है। ( 6 वा अध्याय 16 वा श्लोक)

पूछो इन पाखंडियो से जिन 33 करोड़ देवी देवताओ को श्री लंका के राजा रावण ने अपनी कैद में डाल रखा था फिर क्यों सदियो से हमसे बेबस देवी देवता पूजवाते आ रहे हो।

पूछो इन पाखंडियो से जिस स्वर्ग के राजा इंद्र ने, रावण के स्वर्ग पर हमला करके उसे हराने पर अपनी पुत्री की शादी रावण के बेटे मेघनाथ से करके अपने प्राणों की रक्षा की। फिर किसलिए हमें मारने के बाद स्वर्ग भेजने की बात करते है।

पूछो इन पाखंडियो से, जब दशरथ पुत्र रामचंद्र का जन्म त्रेता युग में हुआ तो फिर सतयुग में राम कौन था।

पूछो इन पाखंडियो से श्री कृष्ण का जन्म आज से 5500 वर्ष पहले द्वापर युग में हूवा था । जबकि त्रेता व् सतयुग के इंसान तो जानते भी नहीं थे की कृष्ण कौन है फिर ये कैसे पूर्ण भगवान् हुए।

पूछो इन पाखंडियो से ये कहते है की वेदों में भगवान् की महिमा है। फिर वेदों में कबीर (कविर्देव) के अलावा 33 करोड़ देवी देवताओ, राम, कृष्ण, व् ब्रह्मा विष्णु महेश दुर्गा किसी का भी नाम तक क्यों नहीं है।

पूछो इन पाखंडियो से गीता जी अध्याय नंबर 11 के श्लोक 32 मे श्री कृष्ण जी कहते है की अर्जुन मै काल हु और सबको खाने आया हु। श्री कृष्ण अपने को काल कह रहा है फिर ये पाखंडी उसे जबरदस्ती भगवान् क्यों बना रहे है।

और भी ना जाने कितने सवाल जिनके जवाब इनके पास नहीं है।

अब तक तो आपजी भी समझ चुके होने की संत रामपाल जी के सामने आकर ज्ञान चर्चा करने की क्यों इनकी हिम्मत नहीं होती है।

आपजी इन पाखंडियो से पूछेंगे या नहीं, ये तो आपका अपना फैसला होगा।

लेकिन हिन्दुस्तान का नागरिक होने के नाते मै आपसे पूछता हु। यदि आपजी ने अब भी विचार नहीं किया तो आप पढ़कर भी अनपढ़ रहे। इस शिक्षा से कमाया हुआ धन आपके साथ कभी नहीं जायेगा लेकिन पूर्ण संत की शरण लेकर कमाया भक्ति धन कई गुना होकर आपजी के साथ जायेगा।

जब पृथ्वी पर पूर्ण संत आ चूका है तो मत फंसो इन पाखंडियो के जाल में यदि फसे हुए हो तुरंत निकल जावो वहा से वरना ये स्वयं तो नर्क में जायेंगे ही जायेंगे तुम्हे भी साथ लेकर जायेंगे। और तुम्हारे बच्चों को भी तैयार कर जायेंगे।

यदि संत रामपाल जी को जेल में देखकर अभी भी शंका हो तो याद करलो त्रेता में रामचंद्र को भी 14 वर्ष तक जेल काटनी पड़ी थी।
सीता जी को भी 12 वर्ष तक भूखी प्यासी अधनंगे कपड़ो में रावण की जेल काटनी पड़ी थी।

द्वापर में श्री कृष्ण का तो जन्म ही जेल में हुआ था।

यदि आप इसे उनकी लीला कहते हो तो कोई बड़ी बात नहीं आने वाले समय में संत रामपाल जी का भी इतिहास बन जायेगा। लेकिन उनके चले जाने के बाद उनके आश्रमो में वे नहीं मिलेंगे केवल पश्चाताप मिलेगा।
लेकिन अभी समय है। जाग जाओ औरो को भी जगाओ भगवान् आएगा तो कोई सींग लगाकर नहीं आएगा जो अलग ही दिखाई दे।

उसे ज्ञान आधार से पहचानने के लिए ही तो आज आपजी को उसने शिक्षित किया है।

ये किसी की निंदा नही है इस पर विचार करने का विषय है
सत् साहेब।।  Arun Dass

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