भगति विचार नाम खण्ड होने पर ,
नाम खण्ड होने की समस्या आती है जब हम मर्यादा भंग कर देते है । इसके अलावा कुछ मर्यादा भी होती जो गुरु जी ने सत्संगों में हमें बताई गई है. हमेशा हमारे व्यवहार में हर पल हर क्षण चलती रहती है जैसे ---किसी को झूठ बोल दिया ,या किसी के साथ चालाकी कर ली अथवा किसी के साथ ठगी कर दी ,किसी को भी मन ,क्रम ,वचन से दुखी कर दिया जैसे किसी मन में किसी के लिए बुरा सोच लिया अथवा किसी का अहित सोच लिया ,किसी को कठोर शब्द बोल दिये ,जो उसे खराब लगे ,किसी डांट दिया ,किसी को पीट दिया ,या किसी से बदले की भावना है ,किसी बात पर क्रोध आ जाना ,किसी की निन्दा करना ,किसी की चुगली करना ,किसी के प्रति गलत भावना होना आदि कारण है जिनमें से कोई एक मर्यादा भंग होने पर काफी देर तक भक्ति में मन नही लगता है ।
इसके लिए गुरु जी ने बताया है कि उस समय परमात्मा से माफी मांगनी चाहिए तथा मन न लगते हुए भी लगातार सुमरन करना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा सतसंग सुनना चाहिए ,चाहे कैसिट में सत्संग सुन सकते है ।
दूसरा कारण यह भी होता है कि जिस समय नाम दान लेते है ,तब काफी समय परमात्मा जीव को उभारा देते है ,जिससे भक्ति में बहुत मन लगता है ,फिर जैसे जैसे भक्ति बढ़ती जाती है ,काल का दबाव बढ़ता जाता है ।लेकिन मन न लगते हुए भी भक्ति करते रहना चाहिए ,
ऐसा गुरु जी कहते है की:-
उमंग बनाने के लिए सत्संग ज्यादा से ज्यादा सुनना चाहिए । सुमरन में शुरु में मन नही लगता है ,लेकिन परमात्मा कहते है न चाहते हुए भी लगातार ,कम से कम बीस मिनट करते रहने से फिर काल का दबाव हटने लगता है और सुमरन में आनंद आने लगता है ।सत्संग जरुर सुनना चाहिए ।
सत् साहेब जी !
नाम खण्ड होने की समस्या आती है जब हम मर्यादा भंग कर देते है । इसके अलावा कुछ मर्यादा भी होती जो गुरु जी ने सत्संगों में हमें बताई गई है. हमेशा हमारे व्यवहार में हर पल हर क्षण चलती रहती है जैसे ---किसी को झूठ बोल दिया ,या किसी के साथ चालाकी कर ली अथवा किसी के साथ ठगी कर दी ,किसी को भी मन ,क्रम ,वचन से दुखी कर दिया जैसे किसी मन में किसी के लिए बुरा सोच लिया अथवा किसी का अहित सोच लिया ,किसी को कठोर शब्द बोल दिये ,जो उसे खराब लगे ,किसी डांट दिया ,किसी को पीट दिया ,या किसी से बदले की भावना है ,किसी बात पर क्रोध आ जाना ,किसी की निन्दा करना ,किसी की चुगली करना ,किसी के प्रति गलत भावना होना आदि कारण है जिनमें से कोई एक मर्यादा भंग होने पर काफी देर तक भक्ति में मन नही लगता है ।
इसके लिए गुरु जी ने बताया है कि उस समय परमात्मा से माफी मांगनी चाहिए तथा मन न लगते हुए भी लगातार सुमरन करना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा सतसंग सुनना चाहिए ,चाहे कैसिट में सत्संग सुन सकते है ।
दूसरा कारण यह भी होता है कि जिस समय नाम दान लेते है ,तब काफी समय परमात्मा जीव को उभारा देते है ,जिससे भक्ति में बहुत मन लगता है ,फिर जैसे जैसे भक्ति बढ़ती जाती है ,काल का दबाव बढ़ता जाता है ।लेकिन मन न लगते हुए भी भक्ति करते रहना चाहिए ,
ऐसा गुरु जी कहते है की:-
उमंग बनाने के लिए सत्संग ज्यादा से ज्यादा सुनना चाहिए । सुमरन में शुरु में मन नही लगता है ,लेकिन परमात्मा कहते है न चाहते हुए भी लगातार ,कम से कम बीस मिनट करते रहने से फिर काल का दबाव हटने लगता है और सुमरन में आनंद आने लगता है ।सत्संग जरुर सुनना चाहिए ।
सत् साहेब जी !
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