Monday, December 28, 2015

निरनजन धन तेरा दरबार,जहां पर तनिक ना नयाय विचार..

निरनजन धन तेरा दरबार,जहां पर तनिक ना नयाय विचार..
वैशया औढे मल मल खासा,गले मे मोतीयो के हार..
पतिवरता को मिले ना खादी,सूखा निरस आहार...
निरनजन धन तेरा दरबार,जहां पर तनिक ना नयाय विचार..
पाखंडी की पूजा जग मे,संत को कहे लबार..
अगयानी को परम विवेकी, गयानी को मूढ गंवार..
निरनजन धन तेरा दरबार,जहां पर तनिक ना नयाय विचार...
कह कबीर सुनो भाई साधो सब उलटा वयवहार...
सचचो को तो ये झूठा बतावे,इन झूठो का एतबार...
निरनजन धन तेरा दरबार, जहां पर तनिक ना नयाय विचार...
Yaha par sab ulta h.. Jo jitna jhuth bolta h uske pass kisi cheez ki kami nhi paisa family friend sab kuch h..
Lekin Jo sach ke raste par chalta h us se apne bhi mooh mod lete h.. Ek ek karke sab uska sath chod dete h..
Isliye kaha h yaha ke log sacho ka kam jhuto ka jayda aitbaar karte h..
Sach bolna bhi ek Gunaah h is kaal ki duniya m...

No comments:

Post a Comment