"तन धर सुखिया कोई न देख्या, जो देखा सो दुखिया हो,उदय अस्त की बात करत है मैंने सब का किया विवेका हो-2"
भई धाटे बादे सब जग दुखिया, के गृहस्थी बैरागी हो,
सुखदेव ने दुख के डर से, गर्भ में माया त्यागी हो-2
सुखदेव ने दुख के डर से, गर्भ में माया त्यागी हो-2
भई जंगम दुखिया योगी दुखिया, तपस्वी को दुख दुना हो,
आशा तृष्णा सब धट व्यापै, कोई महल ना सूना हो-2
आशा तृष्णा सब धट व्यापै, कोई महल ना सूना हो-2
भई साँच कहूँ तो ये जग ना माने, झूठ कहीं ना जाई हो,
ये ब्रह्मा विष्णु शिवजी दुखिया, जिन ये राह चलाई हो-2
ये ब्रह्मा विष्णु शिवजी दुखिया, जिन ये राह चलाई हो-2
भई सुरपति दुखिया भूपति दुखिया,
ये रंक दुखी बपरीति हो,
कहै कबीर और सब दुखिया,
"एक संत सुखी मन जीती हो
सन्त सुखी मन जीती हो"
ये रंक दुखी बपरीति हो,
कहै कबीर और सब दुखिया,
"एक संत सुखी मन जीती हो
सन्त सुखी मन जीती हो"
सत् साहिब!
परमेश्वर बन्दीछोड़ सन्त रामपाल जी महाराज की जय हो!!
परमेश्वर बन्दीछोड़ सन्त रामपाल जी महाराज की जय हो!!
Sat sahib ji
ReplyDeleteSant rampal ji maharaj ji ki jai ho
सत साहेब जी 🙏🙏🙇🙇
ReplyDeleteपरमात्मा बताते हैं केवल संत ही सुखी है बाकी सब दुःखी हैं
ReplyDeleteपूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर जी की जय हो
ReplyDeleteपीछे लाग्या जाऊं था में, लोक वेद के साथ।
ReplyDeleteरास्ते में सतगुरू मिले, दीपक दे दिया हाथ।